प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऑस्ट्रेलिया दौरे के समय वहां के संसद भवन में गुजरात दंगों में उनकी भूमिका रेखांकित करने वाली बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई. इसके बाद हुई एक चर्चा में ऑस्ट्रेलियाई ग्रीन्स सीनेटर ने भारत में मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति पर वहां के प्रधानमंत्री द्वारा मोदी से बात न करने पर चिंता जताई.
राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया है कि साल 2014 से 2020 के बीच 5,415 सांप्रदायिक दंगों की सूचना मिली है. अकेले साल 2019 में 25 सांप्रदायिक दंगे हुए हैं. अमित शाह ने बिहार में एक रैली के दौरान दावा किया था कि भाजपा के शासन में दंगे नहीं होते हैं.
भारत जोड़ो यात्रा एक ऐसी कोशिश है, जिसका प्रभाव निकट भविष्य पर पड़ेगा या नहीं, और पड़ेगा तो कितना, यह कहना मुश्किल है. इसे सिर्फ़ चुनावी नतीजों से जोड़कर देखना भूल है. इससे देश में बातचीत का एक नया सिलसिला शुरू हुआ है जो अब तक के घृणा, हिंसा और इंसानियत में दरार डालने वाले माहौल के विपरीत है.
बेबाक कलेक्टिव द्वारा जारी हालिया रिपोर्ट में देश में पिछले कुछ वर्षों में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और घृणा अपराधों में वृद्धि के कारण मुस्लिम समुदाय के सामने खड़ी हुई सामाजिक, भावनात्मक और वित्तीय मुश्किलों को शामिल किया गया है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 के दंगों से जुड़े एक मामले में किंग्सवे कैंप थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी को सक्षम प्राधिकारी द्वारा उचित दंड देने का आदेश हुए कहा कि दंगों में निर्दोष लोगों की जान चली गई, राष्ट्र अब भी उस पीड़ा से गुज़र रहा है. ऐसे में पुलिसकर्मी को उनकी 79 वर्ष की अवस्था के चलते छूट नहीं दी जा सकती.
'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' और 'सबका साथ-सबका विकास' सरीखे नारे देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने शासन में इस पर अमल करते नज़र नहीं आते हैं.
उत्तरी मुंबई के मालवणी इलाके में रामनवमी जुलूस के दौरान समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोप में भाजपा नेताओं तेजिंदर तिवाना, विनोद शेलार और बजरंग दल के पदाधिकारियों समेत 20 लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है. इसके अलावा मानखुर्द इलाके में इसी दिन हुई हिंसा में शामिल होने के आरोप में सात लोगों को गिरफ़्तार किया गया और चार अन्य को हिरासत में लिया गया है.
इंदौर के संभागायुक्त पवन शर्मा के मुताबिक, हिंसा के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को हुए नुकसान की भरपाई दंगाइयों से की जाएगी. अब तक 84 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है और इन आरोपियों के 50 अवैध निर्माणों की पहचान की गई है, जिन्हें गिराना शुरू हो चुका है. हिंसा को लेकर अफ़वाह फैलाने के लिए राज्य सरकार के चार कर्मचारियों के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई की गई है.
बीते पांच सालों में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने औरतों, अल्पसंख्यकों और असहमति ज़ाहिर करने वालों पर हुए ज़ुल्म की अनदेखी की है, या इसमें स्वयं उसकी भूमिका रही. ऐसे हालात में भी विडंबना यह है कि भाजपा प्रदेश में क़ानून व्यवस्था के अपने रिकॉर्ड को उपलब्धि के रूप में पेश कर रही है.
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया कि देश में वर्ष 2018 में सांप्रदायिक दंगों के 512 मामले, 2019 में 438 मामले और 2020 में 857 मामले दर्ज किए गए. इन मामलों में कुल 8,565 लोगों को गिरफ़्तार किया गया. सांप्रदायिक दंगों के सर्वाधिक मामले बिहार में दर्ज किए गए. इसके बाद महाराष्ट्र और हरियाणा का स्थान रहा.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक कार्यक्रम में विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि ये लोग जातिवाद, क्षेत्रवाद, बेईमानी और भ्रष्टाचार फैलाते थे, दंगे करवाते थे. हमारी सरकार आई तो हमने प्रदेश को दंगा मुक्त किया और साढ़े चार वर्ष में एक भी दंगा नहीं हुआ.
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरुल इस्लाम खान ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को पत्र लिख कर कहा है कि हिंदूवादी संगठन पुलवामा हमले के बाद कश्मीरियों और आम मुसलमानों को निशाना बना रहे हैं और दंगा भड़काना चाहते हैं.
रामनवमी के बाद बिहार के विभिन्न ज़िलों में फैली सांप्रदायिक हिंसा के एक महीने बाद इन इलाकों में हिंदू-मुस्लिमों के बीच किसी तरह का मनमुटाव या दुर्भावना नहीं दिखती.
नीतीश कुमार ने समझने में भूल कर दी कि इस बार उनका सामना पहले की तुलना में शक्तिशाली भाजपा से हुआ है. भाजपा बिहार के हालात का भरपूर फ़ायदा उठा रही है और नीतीश महज़ एक तमाशबीन बनकर रह गए हैं.