केंद्र सरकार के आरटीआई पोर्टल से कई वर्षों की जानकारी ग़ायब

सूचना का अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस बात की पुष्टि की है कि आरटीआई पोर्टल से वर्षों का डेटा गायब हो गया है. पिछले साल केंद्र सरकार ने ‘भारी लोड’ का हवाला देते हुए पोर्टल पर एकाउंट बनाने की सुविधा हटा दी थी. इसके अलावा अगर मौजूदा एकाउंट होल्डर अपने एकाउंट को बरक़रार रखना चाहते हैं तो उन्हें छह महीने की अवधि में कम से कम एक आवेदन दाख़िल करना होगा.

गुजरात: दस लोगों को आरटीआई दाख़िल करने से आजीवन प्रतिबंधित किया गया

पिछले 18 महीनों में गुजरात सूचना आयोग ने दस लोगों को जीवनभर आरटीआई आवेदन दायर करने से बैन करते हुए कहा कि वे 'सरकारी अधिकारियों को परेशान करने के लिए आरटीआई अधिनियम का इस्तेमाल' करते हैं. आयोग ने एक शख़्स पर आरटीआई के तहत सूचना मांगने पर पांच हज़ार रुपये जुर्माना भी लगाया है.

आरटीआई के तहत मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय आने से जुड़े मामले का घटनाक्रम

सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने एकमत होकर ये फैसला दिया और साल 2010 के दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को सही ठहराया जिसमें कोर्ट ने कहा था कि मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय आरटीआई एक्ट के दायरे में है.

मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय आरटीआई के दायरे में: सुप्रीम कोर्ट के फैसले का चौतरफा स्वागत

आरटीआई कार्यकर्ताओं ने शीर्ष न्यायालय के इस फैसले की सराहना की और साथ ही कहा कि ‘कानून से ऊपर कोई नहीं है.’

बिहार में क्यों निशाने पर हैं आरटीआई कार्यकर्ता?

विशेष रिपोर्ट: एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2005 से लेकर अब तक देशभर में 79 आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या की जा चुकी है, जिसमें क़रीब 20 फीसदी की हत्याएं केवल बिहार में हुई हैं. साल 2018 में बिहार में पांच आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या के मामले सामने आए हैं.

नई दिल्ली में आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या

नवल किशोर आरटीआई कार्यकर्ता होने के साथ चांदनी चौक इलाके में लाल किले के सामने कपड़े की दुकान लगाया करते थे. नवल के आरटीआई लगाने की वजह से कई लोगों की दुकानें सील हो गई थीं.

बिहार: दो आरटीआई कार्यकर्ताओं की गोली मारकर हत्या, जदयू के प्रखंड अध्यक्ष गिरफ़्तार

बिहार के जमुई ज़िले में मारे गए आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या का कारण पंचायत विकास से जुड़ी योजनाओं में लूट खसोट को उजागर करना बताया जा रहा है.

ह्विसिल ब्लोअर क़ानून में आरटीआई कार्यकर्ताओं के संरक्षण की आवश्यकता: अरुणा रॉय

सूचना का अधिकार क़ानून के लिए चले आंदोलन का नेतृत्व करने वालीं अरुणा रॉय ने कहा कि अब तक 70 से अधिक आरटीआई कार्यकर्ता भ्रष्टाचार का खुलासा करने और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा करने के बदले में मारे गए हैं.