आरटीआई कानून लागू होने की 14वीं सालगिरह पर जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भी सूचना आयुक्तों की समय पर नियुक्ति नहीं हो रही है. इसकी वजह से देश भर के सूचना आयोगों में लंबित मामलों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है और लोगों को सही समय पर सूचना नहीं मिल पा रही है.
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया द्वारा जारी रिपोर्ट में सूचना आयोगों में पदों की रिक्ति को आरटीआई की सक्रियता के लिए बाधक बताया गया है. राज्यों के मामले में उत्तर प्रदेश ने 14 साल में एक भी वार्षिक रिपोर्ट पेश नहीं की है, जबकि बिहार सूचना आयोग की अब तक वेबसाइट भी नहीं बन पायी है.
आरटीआई कानून की धारा 24 (1) कुछ खुफिया तथा सुरक्षा संगठनों को जानकारी साझा करने से छूट देती है. हालांकि, यदि मांगी गई सूचना भ्रष्टाचार और मानवाधिकार के उल्लंघन से जुड़ी है तो यह नियम लागू नहीं होता है.
वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग में आरटीआई दाखिल कर राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने के दौरान पहचान की गोपनीयता बनाए रखने के संबंध में दानकर्ताओं द्वारा लिखे गए पत्र और इलेक्टोरल बॉन्ड योजना के ड्राफ्ट की प्रति के बारे में जानकारी मांगी गई थी.
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार, गोद देने वाली संस्थाओं में एक अप्रैल 2016 से इस साल आठ जुलाई तक सबसे अधिक 124 बच्चों की मौत उत्तर प्रदेश में हुई. इसके बाद बिहार में 107 और महाराष्ट्र में 81 बच्चों की मौत दर्ज की गई.
देश में कुल वन क्षेत्र लगभग 7.08 लाख वर्ग किमी है. यह देश के कुल क्षेत्रफल का 21.54 प्रतिशत है. सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी में बताया गया है कि अनधिकृत क़ब्ज़े के दायरे में सर्वाधिक वन क्षेत्र वाले राज्य मध्य प्रदेश, असम और ओडिशा हैं.
आरटीआई के जरिए प्राप्त जानकारी के मुताबिक, 31 जुलाई 2019 तक यमुना एक्सप्रेसवे पर 357 सड़क दुर्घटनाओं में 145 लोगों की मौत हुई है. अगस्त और सितंबर में नौ और लोगों की मौत के साथ यह आंकड़ा बढ़कर 154 हो गया.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर अनुदान पाने वाले स्कूल, कॉलेज और अस्पताल जैसे संस्थान भी आरटीआई क़ानून के तहत नागरिकों को सूचना उपलब्ध कराने के लिए बाध्य हैं.
रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2000 रुपये और 500 रुपये के नकली नोटों में क्रमश: 21.9 फीसदी और 221 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. वहीं 200 रुपये के नकली नोटों में 161 गुना की वृद्धि हुई.
देश का शीर्ष बैंक भारतीय स्टेट बैंक इस अवधि में धोखाधड़ी का सबसे बड़ा शिकार बना क्योंकि कुल धोखाधड़ी की 38 फीसदी धनराशि इसी बैंक से जुड़ी हुई है.
मुद्रा योजना पर केंद्रीय श्रम मंत्रालय की सर्वेक्षण रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि इस योजना के तहत जितने अतिरिक्त रोजगार पैदा हुए उसमें आधे से भी ज्यादा स्व-रोजगार थे.
मोदी सरकार ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए तीन वर्ष पहले सेवा शुल्क को वापस ले लिया था. अब आईआरसीटीसी सितंबर से सेवा शुल्क को बहाल कर रहा है.
रेलवे ने वर्ष 2016 से 2019 के बीच तत्काल कोटे से 21,530 करोड़ रुपये की कमाई की. वहीं 3,862 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय प्रीमियम तत्काल टिकटों से हुई है.
रिजर्व बैंक द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018-19 में 71,542.93 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी के 6,801 मामले सामने आए. साल 2017-18 में धोखाधड़ी की राशि 41,167.04 करोड़ रुपये थी.
आरटीआई के तहत मिली जानकारी के मुताबिक डाक विभाग ने साल 2017-18 में डाक टिकट बेचकर 366.69 करोड़ रुपये कमाए थे. लेकिन साल 2018-19 में ये राशि पिछले साल के मुकाबले 78.66 प्रतिशत घटकर 78.25 करोड़ रुपये ही रह गई.