‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020-21 में आठ राष्ट्रीय दलों ने अज्ञात स्रोतों से 426.74 करोड़ रुपये प्राप्त होने की जानकारी दी है, जबकि 27 क्षेत्रीय पार्टियों के मामले में यह धनराशि 263.928 करोड़ रुपये है. इस दौरान कांग्रेस ने अज्ञात स्रोतों से 178.782 करोड़ रुपये हासिल होने का खुलासा किया है, जो राष्ट्रीय दलों को अज्ञात स्रोतों से प्राप्त कुल धनराशि का 41.89 फीसदी है.
महाराष्ट्र के रत्नागिरी ज़िले का मामला. आरटीआई कार्यकर्ता ने इस संबंध में पुलिस में शिकायत की थी, लेकिन इसे दर्ज नहीं किया गया था. अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता डॉ. नरेंद्र दाभोलकर द्वारा स्थापित महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के सदस्यों के हस्तक्षेप के बाद में शिकायत दर्ज हो सकी थी.
पिछले 18 महीनों में गुजरात सूचना आयोग ने दस लोगों को जीवनभर आरटीआई आवेदन दायर करने से बैन करते हुए कहा कि वे 'सरकारी अधिकारियों को परेशान करने के लिए आरटीआई अधिनियम का इस्तेमाल' करते हैं. आयोग ने एक शख़्स पर आरटीआई के तहत सूचना मांगने पर पांच हज़ार रुपये जुर्माना भी लगाया है.
राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड के ज़रिये मिलने वाले चंदे को लेकर 'अपारदर्शिता' संबंधी चिंताओं के बीच आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश बत्रा ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के आधार पर बताया कि हाल में ख़त्म हुए बॉन्ड बिक्री के 21वें चरण तक 10,000 करोड़ रुपये से अधिक के चुनावी बॉन्ड बिक चुके हैं.
सूचना का अधिकार क़ानून से पता चला है कि भारतीय खाद्य निगम के गोदामों में 2018-19 में 5,213 टन, 2019-20 में 1,930 टन और 2020-21 में 1,850 टन अनाज प्राकृतिक आपदाओं और रखरखाव के कारणों से नष्ट हुआ था.
पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना से टकराव के बाद भारत ने अप्रैल 2020 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश संबंधी नीति में परिवर्तन किए थे और भारत के साथ ज़मीनी सीमा साझा करने वाले देशों से आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए सरकारी मंजू़री को अनिवार्य कर दिया था. अब सूचना के अधिकार से सामने आया है कि बीते दो सालों में सरकार ने क़रीब 80 चीनी एफडीआई प्रस्तावों को स्वीकृति दे दी है.
केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में बताया कि केंद्रीय सूचना आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि 18 जुलाई 2022 तक सीआईसी के पास 26,518 अपील और शिकायत लंबित हैं.
राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा शुरू किए गए चुनावी बॉन्ड की छपाई की कुल लागत की जानकारी हासिल करने की ख़ातिर भारतीय सुरक्षा प्रेस को आरटीआई आवेदन दिया था. हालांकि भारतीय सुरक्षा प्रेस ने तर्क दिया था कि सूचना सार्वजनिक किए जाने से देश के आर्थिक हितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
गैर-सरकारी संगठन ‘चाइल्ड राइट्स एंड यू’ (क्राइ) की रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर भारत के चार प्रमुख राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में बच्चों के लापता होने के मामलों में काफी वृद्धि हुई है. 2021 में मध्य प्रदेश और राजस्थान में लापता लड़कियों की संख्या लड़कों की तुलना में पांच गुना अधिक है.
आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, 20 मार्च, 2020 और 31 मार्च, 2022 के बीच भारतीय रेलवे ने 7.31 करोड़ वरिष्ठ नागरिक यात्रियों को रियायतें नहीं दीं. इनमें 60 वर्ष से अधिक आयु के 4.46 करोड़ पुरुष, 58 से अधिक आयु की 2.84 करोड़ महिलाएं और 8,310 ट्रांसजेंडर लोग शामिल हैं.
मोतीहारी के आरटीआई कार्यकर्ता बिपिन अग्रवाल की बीते वर्ष सितंबर माह में हत्या कर दी गई थी. पिता की हत्या की जांच में देरी के चलते उनके बेटे ने बीते माह कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी. आरटीआई का समर्थन करने वाली एक राष्ट्रीय संस्था ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर मामले की जांच किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश से कराने की मांग की है.
राज्य विधानसभा में चुनावी सुधारों को लेकर विशेष चर्चा के दौरान पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस विधायक एचके पाटिल ने इस मामले पर चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण मांगने के लिए स्पीकर पर दबाव डालने के लिए आरटीआई जवाबों का हवाला दिया है.
पैंडोरा पेपर्स नाम के अंतरराष्ट्रीय ख़ुलासे में सामने आया था कि सैकड़ों बड़े भारतीय नाम टैक्स से बचने के लिए संपत्तियों को टैक्स हैवेंस में छिपाने, ऑफशोर कंपनियां खोलने, कुल संपत्तियों का खुलासा न करने में शामिल हैं. अब आयकर विभाग और इसकी नवगठित विदेशी संपत्ति जांच इकाई ने इसे लेकर कार्रवाई तेज़ कर दी है.
मोतीहारी के आरटीआई कार्यकर्ता बिपिन अग्रवाल की बीते वर्ष सितंबर में हत्या कर दी गई थी. उनके 14 वर्षीय बेटे की शुक्रवार को कथित तौर पर आत्महत्या कर ली. पुलिस इसे दुर्घटना बता रही है, लेकिन परिवार का आरोप है कि पिता की हत्या की जांच में देरी के चलते रोहित ने आत्महत्या की है. अब पुलिस ने पिता के हत्या मामले की जांच सीआईडी को दे दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने पीएम-केयर्स फंड के बारे में जानकारी सार्वजनिक करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने और भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक से इसका ऑडिट कराने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया. इलाहाबाद हाईकोर्ट के 31 अगस्त, 2020 के फैसले को चुनौती दी गई थी. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि जनता के पैसे की अकल्पनीय और अथाह राशि कोष के ख़जाने में हर रोज़ बेरोकटोक डाली जाती है.