पूर्वांचल में गन्ने की खेती पर गहराते संकट को लेकर चुप क्यों हैं मोदी और योगी सरकार

उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में गोरखपुर से लेकर कुशीनगर, देवरिया, बस्ती का इलाका गन्ने की खेती के लिए जाना जाता है. गोरखपुर और बस्ती मंडल के कुल सात ज़िलों में कभी 28 चीनी मिलें हुआ करती थीं, लेकिन आज 16 मिलें बंद हैं. लोगों को उम्मीद थी कि डबल इंजन की सरकार पूर्वांचल की बंद चीनी मिलों को शुरू कर इलाके में खुशहाली लाएगी, लेकिन अभी तक यह संभव नहीं हो पाया है.

फ़र्ज़ी कोविड रिपोर्ट जमा कर अदालत में हाज़िर न होने वाले भाजपा विधायक के ख़िलाफ़ केस दर्ज

साल 2010 में उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर ज़िले के बखिरा थाने में मेहदावल से भाजपा विधायक राकेश सिंह बघेल के ख़िलाफ़ एक केस दर्ज हुआ था. विधायक के अदालत में हाज़िर न होने से बीते नौ सालों से यह मामला लंबित था. इस बार अदालत ने जब उन्हें हाज़िर होने को कहा, तब उन्होंने सीएमओ की मदद से कोरोना संक्रमित होने के फ़र्ज़ी दस्तावेज़ ज़मा करवा दिए.

उत्तर प्रदेशः युवक से दोस्ती के कारण परिवार वालों ने लड़की की हत्या की, चार गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर ज़िले के एक गांव में 11 मई को स्थानीय युवक से दोस्ती की वजह से 20 साल की लड़की की उसके परिवार वालों ने हत्या कर दी. मृतका की मां, दो भाइयों, चाचा और गांव के प्रधान को गिरफ्तार किया.

उत्तर प्रदेश: जूता कांड के बाद संत कबीर नगर में भाजपा सांसद और विधायक समर्थकों में मारपीट

मेंहदावल विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं की बैठक के दौरान भाजपा विधायक राकेश बघेल और सांसद शरद चंद त्रिपाठी के समर्थकों ने एक-दूसरे के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी. सांसद शरद चंद त्रिपाठी ने हाल में जिला योजना की बैठक के दौरान विधायक बघेल को जूते से मारा था.

उत्तर प्रदेश: सड़क निर्माण के श्रेय को लेकर भाजपा सांसद-विधायक ने एक दूसरे को चप्पलों से पीटा

उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर ज़िले कलेक्ट्रेट सभागार में ज़िला योजना समिति की बैठक के दौरान भाजपा सांसद शरद त्रिपाठी और भाजपा विधायक राकेश सिंह बघेल के बीच हुई मारपीट. सड़क शिलान्यास कार्यक्रम में नाम नहीं लिखने से भड़के थे शरद त्रिपाठी.

हर जगह विपक्ष पर बरसने वाले प्रधानमंत्री अपने गिरेबान में क्यों नहीं झांकते?

संत कबीर की निर्वाण स्थली मगहर में प्रधानमंत्री ने अपने राजनीतिक विरोधियों को इंगित करते हुए कहा कि आजकल लोग कबीर को पढ़ते नहीं हैं, लेकिन यह बात उनके विरोधियों से ज़्यादा उनके साथ मंचासीन योगी पर ही चस्पां होती दिखी.

ग्राउंड रिपोर्ट: मगहर में मरने वाले नरक नहीं जाते

बढ़ती धार्मिक कुरीति और कट्टरता के दौर में भी कबीर होते तो यही कहते कि ‘मोको कहां ढूढ़ें बंदे, मैं तो तेरे पास में. न मैं देवल, न मैं मस्जिद, न काबे कैलास में...'