ड्रग टेस्ट में फेल हुई दवा कंपनियों का चुनावी बॉन्ड खरीदारों की सूची में होना क्या बताता है?

चुनावी बॉन्ड के ज़रिये राजनीतिक दलों को चंदा देने वालों की लिस्ट में कई फार्मा कंपनियों के नाम भी शामिल थे. इनमें से कई कंपनियों की दवाइयां ड्रग टेस्ट में कइयों बार फेल हुई थीं.

चुनावी बॉन्ड की असली क़ीमत कौन अदा कर रहा है?

चुनावी बॉन्ड के ज़रिये राजनीतिक दलों को चंदा देने वालों में सड़क, खनन और इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी बड़ी कंपनियों का शामिल होना दिखाता है कि भले चंदे की राशि राजनीतिक दलों को मिल रही है, लेकिन इनकी क़ीमत आम आदिवासी और मेहनतकश वर्ग को चुकानी पड़ रही है, जिसके संसाधनों को राजनीतिक वर्ग ने चंदे के बदले इन कंपनियों के हाथों में कर दिया.

चुनावी बॉन्ड: तीन वामपंथी दलों ने चुनाव आयोग को बताया- बॉन्ड से चंदा नहीं लिया

देश के तीन वामपंथी दलों - भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन ने चुनाव आयोग को बताया कि उन्हें चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कोई पैसा नहीं मिला है.

बिहार: भागलपुर पुल हादसे से जुड़ी कंपनी भी चुनावी बॉन्ड की खरीदार

बिहार में भागलपुर और खगड़िया को जोड़ने वाला निर्माणाधीन पुल पहली बार 30 अप्रैल, 2023 को और फिर 4 जून को दूसरी बार ढह गया था. इसका निर्माण करने वाली कंपनी एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने मई 2019 में एक ही दिन में 75 लाख रुपये के बॉन्ड खरीदे थे.

चुनावी बॉन्ड: शीर्ष खरीदारों ने चार सालों तक अपने मुनाफ़े से छह गुना अधिक चंदा दिया

राजनीतिक दलों को सर्वाधिक चंदा देने वाली कंपनी फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने 12 अप्रैल, 2019 से 24 जनवरी, 2024 के बीच अपने लाभ के छह गुना से अधिक चंदा दिया है. पार्टियों को चंदा देने में दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल का नाम भी शामिल है, जिसने घाटे के बावजूद चुनावी बॉन्ड खरीदे.

ढही सिल्कयारा सुरंग निर्माण से जुड़ी नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी ने 55 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे

नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड पर 26 अक्टूबर, 2018 को आयकर छापे पड़े थे. इसके छह महीने बाद इसने 30 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड की पहली किश्त खरीदी. 

चुनावी बॉन्ड सबसे बड़ा वसूली रैकेट, भाजपा का खाता फ्रीज़ कर कोर्ट को जांच करनी चाहिए: कांग्रेस

भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनावी बॉन्ड योजना को ‘दुनिया का सबसे बड़ा जबरन वसूली रैकेट’ बताया. वहीं, पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सुप्रीम कोर्ट से सत्तारूढ़ भाजपा के ख़िलाफ़ उच्च स्तरीय जांच और उसके बैंक खातों को फ्रीज़ करने की मांग की.

2018 में वित्त मंत्रालय द्वारा ‘हाई रिस्क’ मानी गई कम से कम तीन कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड खरीदे

कामना क्रेडिट्स एंड प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड, इनोसेंट मर्चेंडाइज़ प्राइवेट लिमिटेड और रेणुका इन्वेस्टमेंट फाइनेंस लिमिटेड को वित्त मंत्रालय ने 2018 में मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के तहत नियमों का उल्लंघन करने के लिए 'उच्च जोखिम वाली ग़ैर-बैंकिंग वित्तीय सेवाओं' की वार्षिक सूची में शामिल किया गया था. इन तीनों कंपनियों ने करोड़ों रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं.

30 फार्मा और स्वास्थ्य सेवा कंपनियों ने मिलकर 900 करोड़ रुपये से ज़्यादा के चुनावी बॉन्ड खरीदे

निर्वाचन आयोग द्वारा प्रकाशित जानकारी की अवधि में कुल 12,155 करोड़ रुपये के बॉन्ड्स खरीदे गए थे. इस राशि का लगभग 7.4% फार्मा और हेल्थकेयर कंपनियों ने खरीदा था. इसमें से यशोदा सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल ने अप्रैल 2022 में सर्वाधिक छह चरणों में 80 बॉन्ड खरीदे, जिसकी क़ीमत 80 करोड़ रुपये है.

एसबीआई के आंकड़ों में विसंगति, खरीदे गए चुनावी बॉन्ड की तुलना में भुनाए गए बॉन्ड की रकम ज़्यादा

निर्वाचन आयोग द्वारा गुरुवार को जारी चुनावी बॉन्ड के आंकड़ों के अनुसार, राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए बॉन्ड की कुल राशि  12,769 करोड़ रुपये से अधिक है, जबकि खरीदे गए बॉन्ड्स कुल 12,155 करोड़ रुपये के थे.

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