पुलिस के अनुसार, वह सभी आरोपियों पर जन सुरक्षा क़ानून (पीएसए) भी लगाने की तैयारी कर रही है. जामिया मस्जिद में जुमे की नमाज़ अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से बंद थी. हाल ही में पुलिस ने इसकी अनुमति दी है.
केरल हाईकोर्ट का यह आदेश संबंधित आरोपी द्वारा दायर एक आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर आया है, जिसमें विशेष अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें यूएपीए के तहत मुक़दमा चलाने की मंज़ूरी में देरी होने के आधार पर आरोपमुक्त करने की उसकी याचिका को ख़ारिज कर दिया गया था.
समाचार पोर्टल ‘द कश्मीरवाला’ के संपादक फहद शाह को अदालत से तीन बार ज़मानत मिलने के बाद उन पर जनसुरक्षा क़ानून के तहत मामला दर्ज किया गया है. पुलिस द्वारा इसके तहत दिए गए डोज़ियर में कहा गया है कि फहद अपने पेशे का दुरुपयोग कर राष्ट्रविरोधी कंटेंट पोस्ट करते हैं. पत्रकारों और कार्यकर्ताओं द्वारा उनकी गिरफ़्तारी का विरोध किया जा रहा है.
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा ज़िले की एक विशेष अदालत ने सोनी सोरी और तीन अन्य को वर्ष 2011 के राजद्रोह के मामले से बरी करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष सोरी और अन्य के ख़िलाफ़ आरोप साबित नहीं कर सका, उसके कई गवाहों ने विरोधाभासी बयान दिए. सोरी पर आरोप था कि वे माओवादियों तक पैसा पहुंचाने का काम करती थीं.
समाचार पोर्टल ‘द कश्मीरवाला’ के संपादक फहद शाह को एक महीने के भीतर तीसरी बार गिरफ़्तार करने से पहले दो बार ज़मानत मिल गई थी. फहद की बार-बार गिरफ़्तारी और यूएपीए के तहत मामला दर्ज करने का बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है. वैश्विक मीडिया एडवोकेसी समूहों और कार्यकर्ताओं ने उनकी तुरंत रिहाई की मांग की है.
जेएनयू के छात्र शरजील इमाम ने 24 जनवरी के निचली अदालत के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें उसके ख़िलाफ़ राजद्रोह के तहत आरोप तय किए गए थे. आरोप है कि उन्होंने 13 दिसंबर, 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया और 16 दिसंबर, 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दिए भाषणों में कथित तौर पर असम और बाकी पूर्वोत्तर को भारत से अलग करने की धमकी दी थी.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एल. नागेश्वर राव ने कहा कि सरकार का कर्तव्य सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय देश के सभी नागरिकों को सुनिश्चित करना है और शीर्ष अदालत नागरिकों को याद दिलाती है कि कोई भी क़ानून से ऊपर नहीं है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक अधिकारों के बारे में जब तक सार्वजनिक चर्चा नहीं होगी और जागरूकता नहीं आएगी, तब तक लोकतंत्र नहीं आएगा.
जम्मू कश्मीर के शोपियां की एक अदालत से ज़मानत मिलने के कुछ घंटे बाद समाचार पोर्टल ‘द कश्मीर वाला’ के संपादक फ़हद शाह को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया. उन्हें बीते शनिवार को 10 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया. शाह को आतंकवाद का महिमामंडन करने, फ़र्ज़ी ख़बरें फैलाने और राज्य के लोगों को भड़काने के आरोप में बीते चार फरवरी को गिरफ़्तार किया गया था.
मामला नीमच का है. पुलिस ने बताया कि केंद्र सरकार की छात्रवृत्ति योजना के तहत पढ़ने वाले एक नाबालिग कश्मीरी छात्र द्वारा सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो में कथित तौर पर 2019 के पुलवामा आतंकी हमले को बाबरी विध्वंस और कुछ अन्य घटनाओं का बदला लेने का कृत्य बताया गया था.
केंद्र के तीन नए कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग के समर्थन में पिछले साल 26 जनवरी को किसानों ने ‘ट्रैक्टर परेड’ निकाली थी, जब किसानों और पुलिस के बीच कई स्थानों पर झड़पें हुई थीं. इस दौरान बहुत से प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर चलाते हुए लाल क़िला तक पहुंच गए थे और उन्होंने वहां एक ध्वज स्तंभ में धार्मिक झंडा लगा दिया था. इस मामले में दीप सिद्धू को नौ फरवरी 2021 को गिरफ्तार किया गया था.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की ओर कहा गया है कि कश्मीर में मीडिया की स्वतंत्रता का दायरा लगातार सिमटता गया है. संगठन ने ‘द कश्मीर वाला’ न्यूज़ पोर्टल के संपादक फहद शाह और इसी संस्थान के एक अन्य पत्रकार सज्जाद गुल की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए जम्मू कश्मीर प्रशासन से आग्रह किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर पत्रकारों का उत्पीड़न बंद करें.
द कश्मीर वाला न्यूज़ पोर्टल के संपादक फहद शाह को गिरफ़्तार करते हुए जम्मू कश्मीर पुलिस ने आरोप लगाया कि उनके सोशल मीडिया पोस्ट 'आतंकी गतिविधियों का महिमामंडन' करते हैं और देश के ख़िलाफ़ 'दुर्भावना व अंसतोष' फैलाते हैं. पत्रकार संगठनों ने इसकी निंदा करते हुए उनकी तत्काल रिहाई की मांग की है.
पिछले साल अक्टूबर में टी-20 विश्व कप क्रिकेट मैच में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ भारत की हार हो गई थी. आरोप है कि आगरा के राजा बलवंत सिंह मैनेजमेंट टेक्निकल कैंपस में पढ़ रहे तीनों कश्मीरी छात्रों ने पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाज़ी की थी. उनके ख़िलाफ़ राष्ट्रद्रोह, साइबर आतंकवाद और सामाजिक द्वेष फैलाने की धाराओं में मुक़दमा दर्ज हुआ था. तब से वे जेल में बंद हैं.
शरजील इमाम पर आरोप है कि सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के संदर्भ में उन्होंने 13 दिसंबर 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया और 16 दिसंबर 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दिए गए भाषणों में असम और बाकी पूर्वोत्तर को भारत से अलग करने की धमकी दी थी.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रोहिंग्टन नरीमन ने एक लॉ कॉलेज में हुए कार्यक्रम में कहा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी सबसे महत्वपूर्ण मानवाधिकार है, पर दुर्भाग्य से आजकल इस देश में युवा, छात्र, कॉमेडियन जैसे कई लोगों द्वारा सरकार की आलोचना करने पर औपनिवेशिक राजद्रोह क़ानून के तहत मामला दर्ज किया जा रहा है.