टेरर फंडिंग मामले में यासीन मलिक को मृत्युदंड देने की मांग को लेकर एनआईए हाईकोर्ट पहुंचा

जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट नेता यासीन मलिक को बीते साल एक ट्रायल कोर्ट ने टेरर फंडिंग मामले में यूएपीए और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी मानते हुए उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई थी. 

रुबैया सईद ने यासीन मलिक और तीन अन्य की पहचान अपने अपहरणकर्ताओं के रूप में की

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद को आठ दिसंबर 1989 को श्रीनगर के लाल डेड अस्पताल के पास से अगवा कर लिया गया था. 13 दिसंबर 1989 को भाजपा द्वारा समर्थित केंद्र की तत्कालीन वीपी सिंह सरकार द्वारा जेकेएलएफ के पांच आतंकियों को रिहा किए जाने के बाद अपहरणकर्ताओं ने उन्हें रिहा कर दिया था. प्रतिबंधित संगठन जेकेएलएफ के प्रमुख यासीन मलिक को हाल ही में आतंकवाद के वित्त पोषण से जुड़े एक मामले में

यासीन मलिक की उम्रक़ैद भारत की कश्मीर समस्या का हल नहीं है

क्या यासीन मलिक उन पर लगे आरोपों के लिए दोषी हैं? यह मानने का कोई कारण नहीं है कि वह नहीं है, लेकिन जो सरकार बरसों के संघर्ष का शांति से समाधान निकालने को लेकर गंभीर हैं, उनके पास ऐसे अपराधों से निपटने के और तरीके हैं.

आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रक़ैद

यासीन मलिक को दो अपराधों - आईपीसी की धारा 121 (भारत सरकार के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ना) और यूएपीए की धारा 17 (यूएपीए) (आतंकवादी गतिविधियों के लिए राशि जुटाना) - के लिए दोषी ठहराते हुए उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई गई है. बीते 10 मई को मलिक ने 2017 में घाटी में कथित आतंकवाद और अलगाववादी गतिविधियों से संबंधित एक मामले में अदालत के समक्ष सभी आरोपों के लिए दोष स्वीकार कर लिया था.

जम्मू कश्मीर: अलगाववादी नेता की हिरासत के दौरान मौत के बाद उनके बेटे यूएपीए के तहत गिरफ़्तार

अलगाववादी नेता मोहम्मद अशरफ सेहराई जम्मू कश्मीर पुलिस की पीएसए के तहत निवारक हिरासत के दौरान अस्पताल में भर्ती थे, जहां पांच मई को उनकी मौत हो गई. आरोप है कि उनके जनाज़े में उनके दो बेटों- 35 वर्षीय राशिद सेहराई और 33 वर्षीय मुजाहिद सेहराई ने देशद्रोही नारे लगाए थे.

पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभकामनाएं दी: इमरान खान

नरेंद्र मोदी ने ऐसे समय पर शुभकामनाएं दी है जब पुलवामा हमले की वजह से भारत सरकार ने पाकिस्तान उच्चायोग द्वारा दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में किसी भी प्रतिनिधि को नहीं भेजा था.