सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने बताया कि कंपनी ने दिसंबर 2021 से कोविशील्ड टीके का उत्पादन बंद कर दिया है और उस समय उपलब्ध कुल भंडार में से लगभग 10 करोड़ खुराक एक्सपायरी डेट निकलने के चलते फेंक दी गईं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत शारीरिक स्वायत्तता और अखंडता की रक्षा की जाती है. पीठ ने सुझाव दिया कि जब तक कोविड-19 संक्रमितों की संख्या कम है, तब तक टीकाकरण नहीं करवाने वालों पर सार्वजनिक स्थानों पर कोई पाबंदी नहीं होनी चाहिए. अदालत ने टीका परीक्षण से जुड़े सभी आंकड़ों को भी बिना देरी किए जनता को उपलब्ध कराए जाने का निर्देश दिया है.
कोविड-19 टीकाकरण में निजी क्षेत्र की विफलता दिखाती है कि केंद्र सरकार को टीकों की सौ फीसदी ख़रीद करनी चाहिए और समान मूल्य निर्धारण नीति अपनानी चाहिए.
इससे पहले भारत के विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला ने कोविशील्ड टीके के मुद्दे पर ब्रिटेन को चेताया था और कहा था कि भारत भी ब्रिटेन जैसा क़दम उठा सकता है. हालांकि नियमों में संशोधन के बाद भी भारतीयों को ब्रिटेन पहुंचने पर क्वारंटीन में रहना होगा क्योंकि यूके कोविन सर्टिफिकेट स्वीकार नहीं कर रहा है.
देश के लोगों के टीकाकरण को सरकार की शीर्ष प्राथमिकता बताते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि अतिरिक्त टीकों का निर्यात अगली तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में ‘वैक्सीन मैत्री’ कार्यक्रम के तहत और ‘कोवैक्स’ पहल के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए शुरू होगा.
ब्रिटेन के नए यात्रा नियमों के अनुसार, भारत में कोविशील्ड टीके की दोनों खुराक लिए व्यक्ति को 'पूर्ण वैक्सीनेटेड' नहीं माना जाएगा और उन्हें दस दिन क्वारंटीन में रहना होगा. जिन देशों को इस नियम से बाहर रखा गया है, उनमें ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, इज़रायल, सऊदी अरब, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया शामिल हैं, जहां एस्ट्राजेनेका वैक्सीन, जो भारत में कोविशील्ड के रूप में उपलब्ध है, उपयोग में है.
केरल हाईकोर्ट ने कहा कि जब लोगों को टीका लेने या इससे इनकार करने का अधिकार है, तो कोई कारण नहीं है कि राज्य को यह रुख़ अपनाना चाहिए कि उन्हें मूल प्रोटोकॉल के संदर्भ में चार सप्ताह के बाद दूसरी खुराक लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी. ख़ासतौर से तब, जब वे टीके के लिए अपनी जेब से पैसे ख़र्च कर रहे हैं.
केरल हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस पीबी सुरेश कुमार ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यदि कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच अंतराल का कारण टीके के प्रभावी होने से जुड़ा है, तो वे चिंतित हैं क्योंकि उन्हें दूसरी खुराक पहली खुराक दिए जाने के 4-6 सप्ताह के भीतर दे दी गई थी.
टीकाकरण सर्टिफिकेट न मिलने के कारण ट्रायल में शामिल हुए लोगों को आवागमन समेत विभिन्न दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ट्रायल के दौरान उन्हें जो सर्टिफिकेट मिला था, उसे अक्सर 'फ़र्ज़ी' बता दिया जा रहा है.
अमेरिकी दवा कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन का टीका भारत में कोविड-19 के ख़िलाफ़ इस्तेमाल होने वाली पांचवीं वैक्सीन है. कंपनी ने अपने टीके के आपात इस्तेमाल अधिकार के लिए छह अगस्त को आवेदन दिया था और भारत के औषधि महानियंत्रक ने उसी दिन उसे मंज़ूरी दे दी.
साल के अंत तक सभी भारतीय वयस्कों को पूरी तरह से कोविड टीका लगाने की केंद्र की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए हर दिन कम से कम अस्सी लाख खुराक दी जानी है. हालांकि, खुराक की कमी के कारण कई राज्यों को टीकाकरण केंद्रों को बंद करना पड़ा है.
बुधवार को भारत ने यूरोपीय संघ के सदस्य देशों से कहा था कि वह परस्पर विनिमय की नीति अपनाएगा और ‘ग्रीन पास’ रखने वाले यूरोपीय नागरिकों को अपने देश में अनिवार्य क्वारंटीन से छूट देगा बशर्ते उसकी कोविशील्ड और कोवैक्सीन को मान्यता देने के अनुरोध को स्वीकार किया जाए.
ब्राज़ील के एक विपक्षी सीनेटर ने राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के ख़िलाफ़ भारत बायोटेक के कोविड-19 वैक्सीन सौदे में उनकी भूमिका के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक औपचारिक आपराधिक शिकायत दर्ज करवाई है.
अमेरिकी दवा कंपनी मॉडर्ना का टीका भारत में कोविड-19 के ख़िलाफ़ इस्तेमाल होने वाली चौथी वैक्सीन है. सिप्ला ने भारतीय औषधि नियामक से अमेरिकी फार्मा कंपनी की ओर से कोविड वैक्सीन के वितरण की वैश्विक पहल कोवैक्स के तहत इन टीकों के आयात और विपणन का अधिकार देने का अनुरोध किया था.
ब्रिटेन और यूरोप में निर्मित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की ‘वैक्सजेवरिया’ को यूरोपीय देशों में मंज़ूरी मिल गई है, लेकिन कोविशील्ड को ग्रीन पास के लिए अनुमति नहीं दी गई है, जबकि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका ने भारत में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के साथ मिलकर अपनी वैक्सीन को कोविशील्ड का नाम दिया है.