रूस में निर्मित ‘स्पुतनिक वी’ भारत में कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ इस्तेमाल होने वाली तीसरी वैक्सीन है. इससे पहले जनवरी में पुणे में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ तथा भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सीन’ के आपातकालीन उपयोग की मंज़ूरी दी थी.
देश में बेहद तेज़ी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामलों के मद्देनज़र अब तक वैक्सीन उत्पादन क्षमता को बढ़ा दिया जाना चाहिए था. ज़ाहिर है कि इस दिशा में केंद्र सरकार की प्लानिंग पूरी तरह फेल रही है.
एक आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा किए गए सवालों के जवाब में केंद्र सरकार ने वैक्सीन विशेषज्ञ समूह, सुरक्षा सुनिश्चित करने और वैक्सीन को मंज़ूरी देने की प्रक्रिया और कोविन ऐप के उपयोगकर्ताओं का डेटा की सुरक्षा के मुद्दे पर जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया.
ब्राज़ील सरकार ने कोवैक्सीन के दो करोड़ डोज़ प्राप्त करने के लिए वहां भारत बायोटेक का प्रतिनिधित्व करने वाली कंपनी के साथ क़रार किया था. वहां वैक्सीन के इस्तेमाल के लिए देश की स्वास्थ्य नियामक एन्विसा की मंज़ूरी मिलना अनिवार्य है, जिसने कोवैक्सीन को स्वीकृति देने से इनकार कर दिया है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविशील्ड टीके की दूसरी खुराक लेने के समय अंतराल को संशोधित कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इसे 4-6 सप्ताह के बीच देने की बजाय 4-8 सप्ताह के बीच देने के लिए कहा. दो खुराक के बीच संशोधित समय अंतराल का यह फैसला केवल कोविशिल्ड टीके पर लागू होगा और कोवैक्सीन टीके पर नहीं.
दक्षिण अफ्रीका ने एक छोटे क्लीनिकल ट्रायल के बाद अपना टीकाकरण अभियान रोक दिया, जिसमें पता चला कि यह देश में फैले नए कोरोना वायरस वैरिएंट के ख़िलाफ़ न्यूनतम सुरक्षा प्रदान करता है.
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को लिखे एक पत्र में कहा कि सीरम इंस्टिट्यूट की ‘कोविशील्ड’ और भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सीन’ दोनों सुरक्षित हैं और इन्हें लेकर ग़लत सूचनाएं फैलाने वालों के ख़िलाफ़ दंडात्मक कार्रवाई की जाए.
महाराष्ट्र के पुणे शहर स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के मंजरी परिसर में एक भवन में बृहस्पतिवार दोपहर बाद आग लग गई थी. इंस्टिट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने आश्वस्त किया है कि आग लगने की वजह से कोरोना वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ का उत्पादन प्रभावित नहीं होगा.
कोवैक्सीन को लेकर जानकारियों/आंकड़ों पर गोपनीयता का पर्दा पड़ा हुआ है और हम एक ऐसी मुश्किल स्थिति में हैं, जिसमें कम से कम कुछ लोगों के पास वैक्सीन लेने के अलावा शायद और कोई विकल्प नहीं है, भले ही उनके मन में अपनी सलामती को लेकर कितना ही संदेह क्यों न हो.
कोरोना वैक्सीन 'कोविशील्ड' की निर्माता कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ने टीका लेने वालों को वैक्सीन के जोखिम और फायदों से अवगत कराने के लिए एक फैक्टशीट जारी की है. इससे पहले कोवैक्सीन की निर्माता कंपनी भारत बायोटेक ने भी इसी तरह की फैक्टशीट जारी की थी.
वीडियो: बीते दिनों भारत के औषध महानियंत्रक यानी डीसीजीआई ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड के कोविड-19 टीके कोविशील्ड और भारत बायोटेक द्वारा विकसित टीके कोवैक्सीन को देश में सीमित आपात इस्तेमाल की मंज़ूरी दी है. हालांकि इनको लेकर उठे सवाल अब भी अनुत्तरित हैं.
कोडरमा ज़िले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी और जिला स्वास्थ्य समिति की मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी और जिला प्रतिरक्षण अधिकारी एवं एसीएमओ के 16 जनवरी के एक आदेश में सरकारी कर्मचारियों के टीका न लगवाने पर उनका वेतन रोकने की बात कही गई थी, जिसका काफ़ी विरोध हुआ.
कोविड-19 टीकाकरण अभियान के पहले दिन देशभर में जिन स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना वायरस का टीका लगाया गया उनमें से 75 से अधिक लोगों में टीकाकरण के बाद प्रतिकूल प्रभाव के मामले सामने आए. दिल्ली में एक गंभीर और 51 मामूली, जबकि महाराष्ट्र में ऐसे 14 मामले सामने आए.
कोवैक्सीन का केवल पहले और दूसरे चरण का ट्रायल पूरा हुआ है, जबकि तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल का अध्ययन अभी किया जा रहा है. दिल्ली के आरएमएल अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने कहा कि उन्हें इसे लेकर कुछ संदेह है और उनमें से अधिकतर टीकाकरण अभियान में हिस्सा नहीं लेंगे.
बीते दिसंबर को केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि आयोग बूथ स्तर पर 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की पहचान करने में मदद करे. हालांकि चुनाव आयोग चाहता है कि टीकाकरण अभियान समाप्त होने के बाद स्वास्थ्य अधिकारी ये डेटा मिटा दें.