विदेशी विशेषज्ञों ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- चीतों पर हमारी सलाह को नज़रअंदाज़ किया गया

दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया के विशेषज्ञ, जो राष्ट्रीय चीता परियोजना संचालन समिति के सदस्य हैं, ने सुप्रीम कोर्ट को लिखे पत्र में कहा है कि परियोजना के वर्तमान प्रबंधन के पास 'बहुत कम या कोई वैज्ञानिक प्रशिक्षण नहीं' है और वह उनकी राय को नज़रअंदाज़ कर रहा है.

मध्य प्रदेश: कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता मृत पाई गई, 4 महीनों में नौवें चीते की मौत

मृत मादा चीता की पहचान धात्री के रूप में हुई. बीते माह भी कूनो में सूरज और तेजस नामक दो चीतों की मौत हुई थी. बीते मार्च महीने से भारत में मरने वाले अफ्रीकी चीतों की कुल संख्या नौ हो गई है.

कूनो नेशनल पार्क में चीतों की लगातार मौत पर विशेषज्ञ बोले- अभी और बुरा होना बाकी

मध्य प्रदेश के श्योपुर ज़िले में स्थित कूनो नेशनल पार्क में 25 मई को दो और चीता शावकों की मौत हो गई. इसके पहले 23 मई को एक शावक की मौत हो गई थी. प्रोजेक्ट चीता शुरू होने के बाद इस पार्क में अब तक तीन वयस्क और तीन शावक चीतों की जान जा चुकी है.

मध्य प्रदेश: कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए चीते के शावक की मौत

कूनो नेशनल पार्क में पैदा हुए चार चीता शावकों में से एक की 23 मई को मौत हो गई. मध्य प्रदेश वन विभाग का कहना है कि शावक कमज़ोर था. प्रोजेक्ट चीता शुरू होने के बाद इस नेशनल पार्क में चार चीतों की जान जा चुकी है.

मध्य प्रदेश: अफ्रीका से कूनो लाए गए एक और चीते की मौत, दो महीने में तीसरी ऐसी घटना

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीता प्रोजेक्ट के तहत दक्षिण अफ्रीका से लाई गई मादा चीता दक्षा की मंगलवार को मौत हो गई. इससे पहले मार्च और अप्रैल में भी एक-एक चीते की मौत हो चुकी है.

चीतों के क्षेत्र में शेरों को छोड़ना दोनों के अस्तित्व के लिए हानिकारक: बाघ संरक्षण प्राधिकरण

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर कर 2020 में शीर्ष अदालत द्वारा कूनो राष्ट्रीय उद्यान में लाए गए अफ्रीकी चीतों की देखरेख के लिए गठित विशेषज्ञ समिति को भंग करने की अपील की है. प्राधिकरण के अनुसार, शेरों को चीतों के क्षेत्र में छोड़ना उचित नहीं है, क्योंकि प्रतिद्वंद्विता के कारण दोनों प्रजातियों के अस्तित्व के लिए यह क़दम हानिकारक होगा.

मध्य प्रदेश: भाजपा नेताओं ने साफ सड़क पर कचरा डलवाया, फिर झाड़ू लगाकर स्वच्छता का संदेश दिया

मामला श्योपुर ज़िले का है. मध्य प्रदेश के स्थापना दिवस यानी 1 नवंबर को स्थानीय भाजपा नेताओं ने एक सफाई अभियान का आयोजन किया था. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नेताओं के पहुंचने से पहले नगर पालिका के अधिकारी और कर्मचारियों ने उक्त स्थान पर कचरा फैला दिया और फिर नेताओं ने आकर वहां झाड़ू लगाते हुए फोटो खिंचाए.

कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीते आने पर ग्रामीणों को भूमि अधिग्रहण और मानव-पशु संघर्ष का डर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया से लाए गए 8 चीते शनिवार को मध्य प्रदेश के श्योपुर ज़िले के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़े थे, जिसके बाद दावे किए जा रहे हैं कि चीतों के आगमन से क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. हालांकि स्थानीय निवासियों की इस संबंध में कई आशंकाएं भी हैं.

‘प्रोजेक्ट चीता’ प्रधानमंत्री मोदी का तमाशा, मनमोहन सिंह सरकार ने दी थी स्वीकृति: कांग्रेस

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने 'प्रोजेक्ट चीता' के सिलसिले में वर्ष 2010 में बतौर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री की उनकी अफ्रीका यात्रा का फोटो ट्विटर पर डालते हुए कहा  कि आज प्रधानमंत्री मोदी ने बेवजह का तमाशा खड़ा किया. यह राष्ट्रीय मुद्दों को दबाने और 'भारत जोड़ो यात्रा' से ध्यान भटकाने का प्रयास है.

क्यों कुपोषण के ख़िलाफ़ लड़ रहे ग्रोथ मॉनिटर्स अपने परिवार का भरण-पोषण नहीं कर पा रहे हैं?

कुपोषण के लिए कुख्यात मध्य प्रदेश का श्योपुर राज्य का एकमात्र जिला है, जहां कुपोषण पर काबू पाने के लिए पुरुष ग्रोथ मॉनिटर्स नियुक्त किए गए हैं. लेकिन कुपोषित बच्चों के पोषण ज़िम्मेदारी संभाल रहे इन ग्रोथ मॉनिटर्स के लिए अपना भरण-पोषण ही मुश्किल हो रहा है.

क्यों कुपोषण से प्रभावित श्योपुर में बच्चों को पोषण केंद्रों में ले जाने से कतरा रहे हैं परिजन?

ग्राउंड रिपोर्ट: ‘भारत का इथोपिया’ कहे जाने वाले मध्य प्रदेश के श्योपुर में एक ओर मासूम कुपोषण से दम तोड़ रहे हैं तो दूसरी ओर उन्हें पोषण और इलाज उपलब्ध कराने के लिए बनाए गए पोषण पुनर्वास केंद्र ख़ाली पड़े हैं. केंद्रों पर बच्चों को पहुंचाने की ज़िम्मेदारी निभा रहे ग्रोथ मॉनिटर और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि ग्रामीण इन केंद्रों में आना ही नहीं चाहते.

हर दिन 92 बच्चों की मौत के बावजूद मध्य प्रदेश में कुपोषण चुनावी मुद्दा क्यों नहीं है?

ग्राउंड रिपोर्ट: सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2016 से जनवरी 2018 के बीच राज्य में 57,000 बच्चों ने कुपोषण के कारण दम तोड़ दिया था. कुपोषण की वजह से ही श्योपुर ज़िले को भारत का इथोपिया कहा जाता है.

मध्य प्रदेश: ‘भारत का इथोपिया’ कहे जाने वाले श्योपुर में कुपोषण से पांच बच्चों की मौत

ज़िले के विजयपुर विकासखंड की इकलौद पंचायत के झाड़बड़ौदा गांव में दो हफ्तों के भीतर पांच बच्चों की मौत हो चुकी है. प्रशासन कुपोषण की बात से इनकार कर रहा है और मौतों को बुखार से होना बता रहा है.