बिहार: ‘सरकार ने कुछ नहीं किया तो हमने ख़ुद कोसी नदी से बचाव के लिए सुरक्षा बांध बना लिया’

ग्राउंड रिपोर्ट: बिहार के सुपौल ज़िले कुछ गांवों के ग्रामीण पिछले कई वर्षों से कोसी नदी की मार झेल रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि बांध के लिए एमपी-एमएलए आदि से गुज़ारिश की गई, लेकिन किसी ने उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया.

बिहार: कोसी में बाढ़ से बचने को बनाए जा रहे तटबंध सभी रहवासियों के लिए ख़ुशी का सबब नहीं हैं

ग्राउंड रिपोर्ट: आज़ादी के बाद कोसी की बाढ़ से राहत दिलाने के नाम पर इसे दो पाटों में क़ैद किया गया था और अब लगातार बनते तटबंधों ने नदी को कई पाटों में बंद कर दिया है. इस बीच सुपौल, सहरसा, मधुबनी ज़िलों के नदी के कटान में आने वाले गांव तटबंध के लाभार्थी और तटबंध के पीड़ितों की श्रेणी में बंट चुके हैं.

‘घर बनवाने के लिए पैसे जुटाए थे लेकिन गांव का हाल देखकर नाव बनवा ली’

ग्राउंड रिपोर्ट: बिहार के सुपौल ज़िले के निर्मली विधानसभा क्षेत्र में कोसी नदी के सिकरहट्टा-मंझारी तटबंध पर बसे पिपराही गांव से गुज़र रही धारा में कम पानी होता था, पर बीते कई सालों से बारह महीने इतना पानी रहता है कि बिना नाव के पार नहीं किया जा सकता है. इस साल मई से सितंबर के बीच यहां पांच बार बाढ़ आ चुकी है.

बिहार: ​स्कूल की दीवार पर अपशब्द लिखने का विरोध करने पर छात्राओं पर हमला, 30 घायल

बिहार के सुपौल ज़िले के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की नाबालिग छात्राओं ने कुछ लड़कों को स्कूल की दीवार पर अपशब्द लिखने से मना किया था. लड़कों ने इसकी शिकायत अपने अभिभावकों से की जिसके बाद भीड़ ने स्कूल पर हमला बोल दिया.

बिहार में ​फिर बाढ़ की आहट, पिछले साल के प्रभावितों को अब तक नहीं मिला मुआवज़ा

बिहार में एक बार फिर कई नदियां उफान पर हैं. पिछले साल राज्य के 17 जिलों में बाढ़ आई थी. इससे करीब 1.71 करोड़ लोग प्रभावित हुए थे. 8.5 लाख लोगों के घर टूट गए थे और करीब 8 लाख एकड़ फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई थी.

बिहार: शौचालय की टंकी खोलने के दौरान दम घुटने से 4 मजदूरों की मौत, एक की स्थिति गंभीर

सुपौल जिले के सिमरिया गांव में हुआ हादसा, डॉक्टरों का कहना है कि लंबे समय से बंद शौचालय की टंकी में बनी जहरीली गैस के चलते हुई मज़दूरों की मौत.