डीएमके को फ्यूचर गेमिंग ग्रुप से कम से कम 504 करोड़ रुपये मिले हैं, वहीं इंडिया सीमेंट लिमिटेड के स्वामित्व वाली चेन्नई सुपर किंग्स क्रिकेट लिमिटेड, जिसकी सहयोगी कंपनी पर इस साल की शुरुआत में ईडी ने छापा मारा था, उसने एआईडीएमके को 2019 में पांच करोड़ रुपये का चंदा दिया है.
राजनीतिक दलों को सर्वाधिक चंदा देने वाली कंपनी फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने 12 अप्रैल, 2019 से 24 जनवरी, 2024 के बीच अपने लाभ के छह गुना से अधिक चंदा दिया है. पार्टियों को चंदा देने में दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल का नाम भी शामिल है, जिसने घाटे के बावजूद चुनावी बॉन्ड खरीदे.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर 2023 में चुनावी बॉन्ड के माध्यम से एक बार में ही 25 करोड़ रुपये का चंदा देने वाले लक्ष्मीदास वल्लभदास मर्चेंट की लिंक्डइन प्रोफाइल बताती है कि वह रिलायंस समूह में ग्रुप कंट्रोलर हैं.
यति नरसिंहानंद ने एक इंटरव्यू में कहा था, '... सुप्रीम कोर्ट, इस संविधान में हमें कोई भरोसा नहीं है. ये संविधान इस देश के सौ करोड़ हिंदुओं को खा जाएगा. ... जो इस सिस्टम, नेताओं, इस पुलिस, फौज और सुप्रीम कोर्ट में भरोसा कर रहे हैं, वो सारे कुत्ते की मौत मरने वाले हैं.'
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के कई पूर्व और मौजूदा जजों पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए एक महीने पहले मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस कर्णन के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया था. आरोप है कि उन्होंने महिलाओं के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक टिप्पणी की और न्यायिक अधिकारियों और जजों की पत्नियों को धमकाया है.
मद्रास हाईकोर्ट के एक वकील की शिकायत के बाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकीलों ने सीजेआई एसए बोबडे को पत्र लिखते हुए आरोप लगाया गया कि जस्टिस कर्णन ने कथित तौर पर महिलाओं के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक टिप्पणी की है और न्यायिक अधिकारियों व जजों की पत्नियों को धमकाया है.
वीडियो: ब्रिटेन के उच्चतम न्यायालय ने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के उस फ़ैसले को असंवैधानिक क़रार दिया है, जिसमें उन्होंने ब्रिटिश संसद को भंग कर दिया था. इस घटनाक्रम की भारत से तुलना करते हुए सवाल उठा रही हैं आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद तीन तलाक़ हो रहे थे, इसलिए जब तक समाज और ग़लत काम कर रहे मर्दों के दिमाग में क़ानून का डर नहीं आएगा, तब तक तीन तलाक़ के ख़िलाफ़ चल रही मुहिम का कोई नतीजा नहीं निकलेगा.
पतियों द्वारा एक़तरफा तरीके से छोड़ी गई हर औरत की ज़िंदगी दयनीय है. पिछली जनगणना के अनुसार भारत में कुल 23 लाख परित्यक्त औरतें हैं, जो तलाक़शुदा औरतों की संख्या के दोगुने से ज़्यादा है.
केंद्र सरकार ने अप्रैल महीने में जस्टिस केएम जोसेफ के नाम की सिफ़ारिश संबंधी फाइल कॉलेजियम को पुनर्विचार के लिए प्रधान न्यायाधीश को लौटा दी थी और जस्टिस इंदु मल्होत्रा के नाम को मंज़ूरी दे दी थी.
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के ख़िलाफ़ महाभियोग लाया गया तो ऐसा माहौल बना जैसे ऐसा करने से जनता का न्याय से विश्वास उठ जाएगा और लोकतंत्र ख़तरे में पड़ जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखे एक पत्र में जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा है, 'नियुक्ति के संबंध में कॉलेजियम कीअनुशंसाओं पर सरकार का कुंडली मारकर बैठे रहना कानूनन सत्ता का दुरुपयोग है.'
वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व क़ानून मंत्री शांति भूषण ने प्रधान न्यायाधीश के प्रशासनिक अधिकार के बारे में स्पष्टीकरण हेतु उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दाख़िल की है.
केंद्र सरकार पर न्यायिक नियुक्तियों को प्रभावित करने के आरोप लग रहे हैं. बीते कुछ सालों में हुई नियुक्तियों पर गौर करें तो ऐसे कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं जो भविष्य की एक ख़तरनाक तस्वीर बनाते हैं.
सुप्रीम कोर्ट में एक हलफ़नामे के ज़रिये आयोग ने कहा कि राजनीति को अपराध मुक्त बनाने की दिशा में और प्रभावी क़दम उठाने के लिए क़ानून में संशोधन की ज़रूरत होगी जो चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र से बाहर है.