मोदी सरकार के 25 करोड़ लोगों के ग़रीबी से निकलने के दावे में कितनी सच्चाई है?

वीडियो: नीति आयोग की एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देश में बीते 9 वर्षों में 24.8 करोड़ से अधिक लोग ग़रीबी से बाहर निकले हैं. इस दावे और इस नतीजे पर पहुंचने की मेथडोलॉजी पर अर्थशास्त्रियों ने सवाल उठाए हैं. इस बारे में अर्थशास्त्री संतोष मेहरोत्रा से बात कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु.

अर्थशास्त्रियों ने कहा- नीति आयोग का देश में गरीबी घटने का दावा पूरा सच नहीं है

नीति आयोग की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देश में बीते 9 वर्षों में 24.8 करोड़ से अधिक लोग ग़रीबी से बाहर निकले हैं. अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञों ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि इन दावों के आधार के तौर पर इस्तेमाल किया गया बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) गरीबी का प्रतिनिधित्व नहीं करता है.

नीति आयोग का दावा- भारत में 9 वर्षों में 24.8 करोड़ से अधिक लोग ग़रीबी से बाहर निकले

नीति आयोग द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बहुआयामी ग़रीबी 2013-14 में 29.17 फीसदी से घटकर 2022-23 में 11.28 फीसदी हो गई. इस अवधि के दौरान लगभग 24.82 करोड़ लोग इस श्रेणी से बाहर आ गए हैं. ग़रीबी में सबसे ज़्यादा कमी उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में दर्ज की गई है.

वैश्विक लैंगिक समानता सूचकांक में ख़राब रहा भारत का प्रदर्शन, 129 देशों में 95वें पायदान पर

लैंगिक समानता सूचकांक की हालिया सूची में भारत घाना, रवांडा और भूटान जैसे देशों से भी पीछे है. सूचकांक में पहले स्थान पर डेनमार्क और 129वें पायदान पर चाड है. चीन 74वें स्थान, पाकिस्तान 113वें, नेपाल 102 और बांग्लादेश 110वें पायदान पर है.