दिल्ली विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश की अपारदर्शी प्रक्रिया ने छात्रों को ढेरों अनसुलझे सवालों के साथ छोड़ दिया है.
उत्तराखंड के सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति रद्द करने के हाईकोर्ट के निर्णय को बरक़रार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक वीसी के पास विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में न्यूनतम 10 वर्ष का शिक्षण अनुभव होना चाहिए और उनका नाम एक सर्च कम सलेक्शन कमेटी द्वारा अनुशंसित किया जाना चाहिए.
दिल्ली विश्वविद्यालय ने घरेलू परीक्षाओं को 'ओपन बुक एग्जाम' मोड में लेने के निर्देश दिए हैं, जिसके लिए तकनीकी संसाधन अनिवार्य हैं. लेकिन असमान वर्गों से आने वाले छात्रों के पास ये संसाधन हैं, यह कैसे सुनिश्चित किया गया? अगर विश्वविद्यालय ने उन्हें दाखिले के समय लैपटॉप या स्मार्ट फोन मुहैया नहीं करवाया तो वह इनके आधार पर परीक्षा लेने की बात कैसे कर सकता है?