इस मंज़ूरी के साथ कर्नाटक में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण मौजूदा 15 प्रतिशत से बढ़कर 17 प्रतिशत और अनुसूचित जनजातियों के लिए मौजूदा तीन प्रतिशत से बढ़कर सात प्रतिशत हो जाएगा. इस क़दम को राज्य की भाजपा सरकार द्वारा अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले इन समुदायों को लुभाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.
राज्यसभा में चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस, टीआरएस, कांग्रेस और बसपा समेत विभिन्न दलों के नेताओं ने ट्रांसजेंडर विधेयक को प्रवर समिति के समक्ष भेजने की मांग की, जिसे ख़ारिज कर दिया गया. बीते अगस्त महीने में संसद के पिछले सत्र के दौरान लोकसभा में इसे पारित किया जा चुका है.