उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि गांधी जी की हत्या हुई, वह अलग मुद्दा है. लेकिन जहां तक मैंने गोडसे को समझा और पढ़ा है, वह भी देशभक्त थे. हम गांधी जी की हत्या से सहमत नहीं हैं.
दो पत्रकारों ने जून 2020 में आरोप लगाया था कि झारखंड के गोसेवा आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के लिए अम्रतेश सिंह चौहान द्वारा 2016 में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के रिश्तेदारों को रिश्वत के रूप में 25 लाख रुपये की राशि का भुगतान किया गया था. हाईकोर्ट ने आरोप की सीबीआई जांच के आदेश दे दिए थे.
उत्तराखंड में कांग्रेस अपनी हार के लिए मतदाताओं या भाजपा को ज़िम्मेदार नहीं ठहरा सकती. यह वक़्त है कि वह गहराई से आत्मविश्लेषण करे कि पांच साल अगर उसने कारगर विपक्षी दल की भूमिका सही ढंग से निभाई होती, तो फिर से इतने बुरे दिन नहीं देखने पड़ते.
राज्य की सत्तर विधानसभा सीटों में से 47 सीटों पर विजय हासिल करने के साथ ही भाजपा ने बहुमत के 36 के आंकड़े को आसानी से पार कर लिया. हालांकि भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के संभावित मुख्यमंत्री चेहरे- पुष्कर सिंह धामी, हरीश रावत और अजय कोठियाल अपनी-अपनी सीट बचा पाने में असफल रहे.
उत्तराखंड में 20 सीटों पर जीत और 20 अन्य पर बढ़त के साथ भारतीय जनता पार्टी राज्य में लगातार दूसरी बार सरकार बनाने के लिए तैयार है. वहीं उत्तराखंड में कांग्रेस के चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने हार स्वीकारते हुए कहा कि उनके लिए यह नतीजे बेहद चौंकाने वाले हैं.
उत्तराखंड के तेरह ज़िलों में असल समस्या सुदूर नौ पहाड़ी ज़िलों की है, लेकिन आम आदमी पार्टी का इन दुर्गम अंचलों से कोई सरोकार नहीं दिखता. वह भी कांग्रेस और भाजपा की राह पर चलते हुए राज्य में सुविधा की राजनीति कर रही है.
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के केदारनाथ पहुंचने पर हेलीपैड से मंदिर के रास्ते में तीर्थ-पुरोहितों ने उन्हें काले झंडे दिखाए और जमकर नारेबाज़ी करते हुए उन्हें वहां से वापस जाने को मजबूर कर दिया. रावत के कार्यकाल के दौरान चारधाम देवस्थानम बोर्ड की स्थापना के बाद से ही चार हिमालयी मंदिरों के पुरोहित इसका विरोध कर रहे हैं.
हरिद्वार में एक से 30 अप्रैल तक कुंभ के आयोजन के दौरान निजी लैब द्वारा कोरोना टेस्ट की फ़र्ज़ी रिपोर्ट जारी करने का मामला सामने आया था. ईडी ने कहा कि इन प्रयोगशालाओं द्वारा झूठी निगेटिव रिपोर्ट के कारण, उस समय हरिद्वार में संक्रमण दर 0.18 प्रतिशत दिखाया गया जबकि वास्तव में वह 5.3 प्रतिशत था.
उत्तराखंड की स्थापना करने वाली भाजपा के माथे पर सबसे बड़ा दाग़ यह लगा है कि भारी बहुमत से सरकार चलाने के बावजूद उसने दस साल के शासन में राज्य पर सात मुख्यमंत्री थोप डाले. पार्टी की नाकामी यह भी है कि अब तक उसका कोई भी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका.
पुष्कर सिंह धामी बीते चार महीनों में उत्तराखंड भाजपा की ओर से चुने गए तीसरे मुख्यमंत्री हैं. 45 वर्षीय धामी राज्य के अब तक के सबसे युवा मुख्यमंत्री हैं. धामी के अलावा 11 मंत्रियों ने भी शपथ ली है. मंत्रिमंडल में सभी पुराने चेहरों को बरक़रार रखा गया है और एकमात्र बदलाव यही किया गया है कि सभी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है. मंत्रिमंडल में अभी कोई भी राज्य मंत्री नहीं है.
खटीमा से भाजपा विधायक पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री होंगे. उनका शपथ ग्रहण समारोह रविवार को होगा. उत्तराखंड भाजपा ने पिछले चार महीने में राज्य के लिए तीसरा मुख्यमंत्री चुना है. इससे पहले बीते शुक्रवार को तीरथ सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. बीते नौ मार्च को उत्तराखंड भाजपा में उपजे असंतोष के कारण त्रिवेंद्र सिंह रावत को भी मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था.
पौड़ी से लोकसभा सांसद तीरथ सिंह रावत को भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा त्रिवेंद्र सिंह रावत के स्थान पर मुख्यमंत्री चुना गया था. उत्तराखंड भाजपा में उपजे असंतोष के कारण त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बीते नौ मार्च को पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. नियमों के मुताबिक निर्वाचन आयोग संसद के दोनों सदनों और राज्यों के विधायी सदनों में ख़ाली सीटों के रिक्त होने की तिथि से छह माह के भीतर उपचुनाव द्वारा भरने के लिए अधिकृत है. तीरथ सिंह
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में चारधामों सहित प्रदेश के 51 मंदिरों के प्रबंधन के लिए एक अधिनियम के जरिये देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया था. तीर्थ पुरोहित इसका शुरू से ही विरोध कर रहे हैं. संत नौकरशाहों की जगह मंदिर का नियंत्रण उनके हाथ में देने की मांग कर रहे हैं.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने बीते 17 जून को कहा था कि कोरोना संक्रमण की फ़र्ज़ी टेस्ट रिपोर्ट जारी होने का मामला उनसे पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री के कार्यकाल में हुआ था. कोरोना संक्रमण के बीच हरिद्वार में एक से 30 अप्रैल तक कुंभ मेले का आयोजन किया गया था.
उत्तराखंड में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. हर चुनाव जनमानस में व्याप्त अवधारणा से जीता जाता है. चार साल में अराजक तरीके से जिस तरह से उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार चली, उसके चलते कुछ महीने बाद होने वाले चुनावों में भाजपा की डगमगाती नैया को अकेले तीरथ सिंह रावत कैसे पार लगा पाएंगे?