वीडियो: जेएनयू के पूर्व छात्र उमर ख़ालिद ने वर्ष 2020 में उत्तर-पूर्व दिल्ली में भड़के दंगों से जुड़े एक मामले में जेल में 1,000 दिन पूरे कर लिए हैं. बीते दिनों उनकी रिहाई की मांग और उनके समर्थन में हुई एक सभा में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद ने अपने विचार रखे.
तेलंगाना पुलिस ने अगस्त 2022 में कई सामाजिक कार्यकर्ताओं पर 'हथियारों के बल पर लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार गिराने' की साज़िश का आरोप लगाते हुए केस दर्ज किया था, जिसमें यूएपीए सहित विभिन्न धाराओं में 152 लोगों को आरोपी बनाया गया. नामजद लोगों का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी.
जेएनयू के पूर्व छात्र उमर ख़ालिद ने वर्ष 2020 में उत्तर पूर्व दिल्ली में भड़के दंगों से जुड़े एक मामले में जेल में 1,000 दिन पूरे कर लिए हैं. ख़ालिद को दिल्ली पुलिस द्वारा सितंबर 2020 में गिरफ़्तार किया गया था और उन पर यूएपीए और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं.
जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट नेता यासीन मलिक को बीते साल एक ट्रायल कोर्ट ने टेरर फंडिंग मामले में यूएपीए और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी मानते हुए उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई थी.
2020 के दिल्ली दंगों के मामले में गिरफ़्तार हुए पिंजरा तोड़ के तीन कार्यकर्ताओं- जेएनयू की नताशा नरवाल, देवांगना कलीता और जामिया मिलिया इस्लामिया के आसिफ़ इकबाल तन्हा को जून 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट से ज़मानत मिली थी. दिल्ली पुलिस ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
राज्य के एक मौलवी को कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन के फेसबुक पेज को कथित रूप से ब्राउज़ करने और उसकी पोस्ट साझा करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. एनआईए की विशेष अदालत ने उन पर यूएपीए के तहत लगे आरोपों को विकिपीडिया पेज पर उक्त संगठन की परिभाषा पर भरोसा करते हुए सही ठहराया था.
जम्मू कश्मीर की समाचार वेबसाइट ‘द कश्मीर वाला’ के संपादक फ़हद शाह के ख़िलाफ़ जन सुरक्षा क़ानून के तहत कार्यवाही को रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने इसके तहत उनके हिरासत के आधार को ‘केवल संदेह के आधार पर’ और ‘मामूली दावा’ क़रार दिया. फरवरी 2022 में फ़हद को आतंकवाद का महिमामंडन करने, फ़र्ज़ी ख़बरें फैलाने और जनता को भड़काने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.
साल 2008 में नासिक ज़िले के मालेगांव में हुए बम धमाके में छह लोगों की मौत हुई थी और सौ से अधिक घायल हुए थे. इस मामले की सुनवाई एक विशेष एनआईए अदालत में चल रही है, जहां अब तक अभियोजन पक्ष के 30 गवाह अपने बयान से पलट चुके हैं. भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर मामले के आरोपियों में से एक हैं.
युवा असमिया कवि बर्षाश्री बुरागोहेन द्वारा सोशल मीडिया पर लिखी गई एक कविता को राष्ट्र के ख़िलाफ़ माना गया था. उन पर अलगाववादी समूह उल्फा (आई) का समर्थन करने का आरोप लगा था. बीते साल मई महीने में यूएपीए के तहत केस दर्ज उन्हें गिरफ़्तार किया गया था.
इसी मामले में जेल में बंद कश्मीरी मानवाधिकार कार्यकर्ता ख़ुर्रम परवेज़ भी आरोपी हैं. 2020 में दर्ज राष्ट्रीय जांच एजेंसी की एफ़आईआर में कश्मीर स्थित कुछ एनजीओ पर भारत विरोधी गतिविधियों को प्रायोजित करने के आरोप लगाए गए हैं.
वैश्विक नागरिक समाज संगठन ‘सिविकस’ की ओर से जारी एक रिपोर्ट में भारत के संदर्भ में यूएपीए और एफ़सीआरए जैसे कठोर क़ानूनों का इस्तेमाल उन लोगों और एनजीओ के ख़िलाफ़ करने की बात कही गई है, जो सरकार से सहमत नहीं होते हैं.
विशेष: मुक्तिबोध ने कहा था ‘तय करो किस ओर हो तुम?’ और ‘पार्टनर, तुम्हारी पॉलिटिक्स क्या है?’ वरवरा राव इस सवाल से आगे के कवि हैं. वे तय करने के बाद के तथा पॉलिटिक्स को लेकर वैज्ञानिक दृष्टि रखने वाले कवि हैं. उनके लिए कविता स्वांतः सुखाय या मनोरंजन की वस्तु न होकर सामाजिक बदलाव का माध्यम है.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: विनोद जी की आधुनिकता रोज़मर्रा के निम्न-मध्यवर्गीय जीवन में रसी-बसी रही है. उनके यहां जो स्थानीयता आकार पाती है वह मानवीय उपस्थिति, मानवीय विडंबना और मानवीय ऊष्मा की एक त्रयी को चरितार्थ, उत्कट और सघन करती है.
सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाईकोर्ट के पूर्व जज वाली फैक्ट-फाइंडिंग समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि गृह मंत्रालय की लापरवाह प्रतिक्रिया, हिंसा में दिल्ली पुलिस की मिलीभगत, मीडिया की विभाजनकारी रिपोर्टिंग और सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ भाजपा का घृणा अभियान दिल्ली दंगों के लिए ज़िम्मेदार थे.
असम के सिवसागर से निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई ने गौहाटी उच्च न्यायालय के 9 फरवरी के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती थी, जिसमें राज्य की एक विशेष एनआईए अदालत को दो मामलों में से एक में आरोप तय करने के लिए आगे बढ़ने की अनुमति दी गई थी.