बिहार: छात्रा के सैनेटिरी नैपकिन की मांग पर आईएएस अधिकारी बोलीं- कल निरोध भी मुफ़्त में देना होगा

पटना में महिला एवं बाल विकास निगम के लैंगिक समानता को लेकर हुए एक कार्यक्रम में आईएएस अधिकारी हरजोत कौर बम्हरा ने एक छात्रा के सस्ते सैनेटिरी पैड मुहैया करवाने के सवाल पर कहा कि कल उन्हें जींस-पैंट, परसों जूते चाहिए होंगे... जब परिवार नियोजन की बात होगी तो निरोध भी मुफ़्त में ही देना पड़ेगा.

कोविड-19 के कारण पढ़ाई को हो रहे नुकसान से पूरी पीढ़ी हो सकती है प्रभावित: रिपोर्ट

यूनेस्को और यूनिसेफ के सहयोग से विश्व बैंक द्वारा तैयार एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में पढ़ाई में कमज़ोर बच्चों का हिस्सा 53 प्रतिशत था, जो कोविड-19 महामारी के कारण लंबे समय तक स्कूल बंद होने के चलते 70 प्रतिशत तक पहुंच सकता है.

भारत में 14-18 आयु वर्ग के 80 फ़ीसदी बच्चों में कोविड के दौरान सीखने के स्तर में गिरावट आई: यूनिसेफ

संयुक्त राष्ट्र एजेंसी यूनिसेफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 6-13 वर्ष के बीच के 42 प्रतिशत बच्चों ने स्कूल बंद होने के दौरान किसी भी प्रकार की दूरस्थ शिक्षा का उपयोग नहीं करने की सूचना दी. इसका मतलब है कि उन्होंने पढ़ने के लिए किताबें, वर्कशीट, फोन या वीडियो कॉल, वॉट्सऐप, यूट्यूब, वीडियो कक्षाएं आदि का इस्तेमाल नहीं किया है.

ऐसे बच्चों की संख्या सबसे ज़्यादा भारत में है, जिन्हें कोई टीका नहीं लगा हैः यूनिसेफ़

दुनिया भर में कोविड-19 महामारी के बीच यूनिसेफ ने कहा कि भारत में ऐसे बच्चों की संख्या बढ़कर 35 लाख हो गई है, जिन्हें कोई टीका नहीं लगा है. यह 2019 की अपेक्षा इस संख्या में 14 लाख की वृद्धि हुई है. इसके मुताबिक, पिछले 10 वर्षों में किसी भी नियमित टीकाकरण में विफलता के मामले में दक्षिण एशिया सबसे ऊपर रहा और 2020 में ऐसे बच्चों की संख्या क़रीब 44 लाख थी.

पढ़ाई को हुए नुकसान की भरपाई के लिए कार्यक्रम कार्यान्वित नहीं कर रहे कई देश: रिपोर्ट

यूनेस्को, यूनिसेफ, विश्व बैंक और ओईसीडी ने कोविड-19 के कारण स्कूल बंद होने से राष्ट्रीय शिक्षा पर प्रभाव का सर्वेक्षण किया था. इसके अनुसार निम्न और मध्यम आय वाले देशों ने बताया कि सभी छात्र व्यक्तिगत रूप से स्कूली शिक्षा में नहीं लौटे, जो पढ़ाई को हुए नुकसान और स्कूल छोड़ने के बढ़ते जोखिम को दिखाता है.

दो दशक में पहली बार दुनियाभर में बाल श्रमिकों की संख्या बढ़ी, कोविड के चलते बढ़ेगा जोखिम: रिपोर्ट

आईएलओ और यूनिसेफ की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, विश्वभर में बाल मज़दूरों की संख्या 16 करोड़ हो गई है. यह चेतावनी भी दी गई है कि कोविड-19 महामारी के परिणामस्वरूप 2022 के अंत तक वैश्विक स्तर पर 90 लाख और बच्चों को बाल श्रम में धकेल दिए जाने का ख़तरा है.

विश्व में कुल बाल वधुओं में से आधी भारत सहित पांच देशों में: यूनिसेफ

संयुक्त राष्ट्र एजेंसी यूनिसेफ के रिपोर्ट के मुताबिक, दशक के अंत से पहले एक करोड़ अतिरिक्त बाल विवाह हो सकते हैं. इससे इस प्रथा को कम करने की वर्षों की प्रगति को ख़तरा उत्पन्न हो सकता है. दुनिया में आज अनुमानित 65 करोड़ लड़कियों और महिलाओं का विवाह बचपन में हुआ है. इनमें से आधी संख्या बांग्लादेश, ब्राज़ील, इथियोपिया, भारत और नाइज़ीरिया में है.

ग़रीब देशों में युद्ध और अस्थिरता हैं टीकाकरण कार्यक्रम के लिए चुनौतियां: यूनिसेफ

यूनिसेफ के वैश्विक टीकाकरण अभियान के उप-प्रमुख ने कहा कि एशिया, अफ्रीका, मध्य पूर्व और लैटिन अमेरिका के कई ग़रीब और विकासशील देशों में परेशानियों का एक प्रमुख कारण हिंसा है, जहां कोविड-19 के ख़िलाफ़ टीकाकरण कार्यक्रम को चलाया जाना है.

दुनिया का हर छठा बच्चा घोर ग़रीबी में, महामारी से यह संख्या बढ़ने की आशंका: रिपोर्ट

विश्व बैंक और यूनिसेफ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारों को तुरंत बच्चों को इस संकट से उबारने की योजना बनाने की ज़रूरत है ताकि असंख्य बच्चों और उनके परिवारों को घोर ग़रीबी में जाने से रोका जा सके.

शहर में रह रहे 9.1 करोड़ भारतीयों के पास घर में हाथ धुलाई की बुनियादी सुविधाओं का अभाव: यूनिसेफ

यूनिसेफ की ओर से कहा गया है कि साबुन से हाथ न धोने से लाखों लोगों को कोविड-19 और अन्य संक्रामक रोगों का ख़तरा है. मध्य और दक्षिण एशिया में 22 प्रतिशत लोग यानी 15.3 करोड़ लोगों के पास हाथ धुलाई की सुविधा का अभाव है.

हर साल एक अरब बच्चे हिंसा का शिकार होते हैं, देश उन्हें संरक्षित करने में विफल: संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना वायरस के चलते विभिन्न देशों में लगाए गए लॉकडाउन की वजह से ढेर सारे बच्चों को अपने साथ दुर्व्यवहार करने वालों के साथ लगातार रहने पर मजबूर होना पड़ रहा है.

श्रम क़ानूनों में ढील देने से बाल मज़दूरी बढ़ेगी: गैर सरकारी संगठन

ग़ैर-सरकारी संगठनों के गठबंधन ने लॉकडाउन में श्रम क़ानूनों में ढील देने से महिला श्रमिकों पर दुष्प्रभाव पड़ने की भी आशंका जताई है और सरकार से विधेयक की समीक्षा करने की अपील की है. वहीं, संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि लाखों बच्चों को बाल श्रम में धकेले जाने की आशंका है. ऐसा होता है तो 20 साल में पहली बार बाल श्रमिकों की संख्या में इज़ाफ़ा होगा.

कोरोना वायरस महामारी 2020 के अंत तक 8.6 करोड़ बच्चों को ग़रीबी में धकेल सकती है: रिपोर्ट

यूनिसेफ और मानवतावादी संगठन ‘सेव द चिल्ड्रेन’ के संयुक्त अध्ययन में कहा गया है कि यदि महामारी के कारण होने वाली वित्तीय कठिनाइयों से परिवारों को बचाने के लिए तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो कम और मध्यम आय वाले देशों में ग़रीबी रेखा से नीचे रहने वाले बच्चों की कुल संख्या वर्ष के अंत तक 67.2 करोड़ तक पहुंच सकती है.

कोरोना से प्रभावित स्वास्थ्य सेवाओं के चलते हर रोज़ मारे जा सकते हैं छह हज़ार बच्चे: यूनिसेफ

यूनिसेफ ने कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित बच्चों को मानवीय सहायता मुहैया कराने के लिए 1.6 अरब डॉलर की मदद मांगी है.

पांच साल से छोटे करीब 50 फीसदी बच्चों को लॉकडाउन की वजह से नहीं लग सके टीके: सर्वे

चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) के अध्ययन के मुताबिक देश के सभी क्षेत्रों में टीकाकरण अभियान को बड़ा झटका लगा है. हाल ही में यूनिसेफ ने कहा था कि कोरोना वायरस की वजह से वर्तमान में 24 देशों ने टीकाकरण का काम रोक दिया गया है.

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