कुछ प्रदर्शनकारियों का कहना है कि 11 मार्च को नागरिकता संशोधन अधिनियम की अधिसूचना जारी होने के बाद से ही उत्तर प्रदेश पुलिस हर दिन उनके घर चक्कर काट रही है. पुलिस अधिकारियों ने भी स्वीकारा है कि राज्य में शांति बनाए रखने के लिए कुछ प्रदर्शनकारियों के घरों के बाहर पुलिस तैनात की गई है.
साल 2018 में हापुड़ में क़ासिम नाम के बकरी व्यापारी को हिंदू भीड़ द्वारा गोहत्या का आरोप लगाते हुए बेरहमी से पीटा गया था, जिनकी बाद में मौत हो गई थी. इस मामले में पुलिसकर्मियों द्वारा बेहद संवेदनहीनता दिखाते हुए घायल क़ासिम को सड़क पर घसीटते हुए अस्पताल पहुंचाया गया था.
हमीरपुर ज़िले का मामला. बीते 29 फरवरी को 14 और 15 साल की दो किशोरियों के शव बरामद हुए थे. उनमें से एक के पिता ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली. परिजनों का आरोप है कि आरोपियों के परिवार की ओर से उन्हें सामूहिक बलात्कार का मामला वापस लेने के लिए धमकाया जा रहा था.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को पुलिसकर्मियों के एक आवासीय परिसर का उद्घाटन किया था. पुलिस का कहना है कि एक चैनल के साथ काम करने वाले ग़ाज़ियाबाद के पत्रकार ने सोशल मीडिया पर उक्त परिसर की तस्वीर के बजाय अन्य निर्माणाधीन इमारत की तस्वीर डाली, जो सरकार और ग़ाज़ियाबाद पुलिस को बदनाम करने का प्रयास था.
मृतक की पहचान उत्तर प्रदेश के कन्नौज के रहने वाले बृजेश पाल के रूप में हुई है. वह हाल ही में एक पुलिस भर्ती परीक्षा में शामिल हुए थे और कथित तौर पर पेपर लीक से परेशान थे. अपने पीछे छोड़े गए एक सुसाइड नोट में उन्होंने अपने इस क़दम के पीछे बेरोज़गारी को ज़िम्मेदार ठहराया है.
द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
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उत्तर प्रदेश पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि भर्ती के लिए आवेदन बंद करने के समय 50.14 लाख उम्मीदवारों ने आवेदन किया था. सभी आवेदकों में से 15 लाख महिलाएं हैं, जिन्होंने 12,000 आरक्षित सीटों के लिए आवेदन किया है. पुरुष आवेदकों की संख्या 35 लाख है. एक पद के लिए लगभग 83 दावेदार हैं.
लखनऊ के इंदिरानगर थानाक्षेत्र में यह घटना 13 जनवरी को हुई थी, जहां क्रिकेट मैच के दौरान हुए विवाद में युवाओं के एक समूह ने 18 वर्षीय दलित लड़के को मारा पीटा गया था. इसके बाद कई बार उसे पीटा गया और कथित तौर पर उस पर पेशाब किया गया.
पिछले दो महीनों में उत्तर प्रदेश पुलिस की एटीएस ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के पूर्व और वर्तमान छात्रों को मिलाकर 9 युवकों को गिरफ़्तार किया है. उन पर सरकार के ख़िलाफ़ अपराध करने की साज़िश रचने, सरकार के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने के इरादे से हथियार इकट्ठा करने, आतंकवादी कृत्य की साज़िश रचने आदि से संबंधित आरोप हैं.
एक रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर में आईआईटी-बीएचयू कैंपस में एक छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ़्तार कुणाल पांडे, सक्षम पटेल और अभिषेक चौहान ने पुलिस पूछताछ में बताया है कि वे नियमित रूप से रात 11 से 1 बजे के बीच विश्वविद्यालय परिसर जाया करते थे और 'मौके' की तलाश में रहते थे.
बाराबंकी ज़िले के देवा इलाके का मामला. पुलिस ने बताया एक दलित महिला अपने घर जा रही थीं, जब चार लोग उन्हें जबरन पकड़कर ले गए और एक सुनसान मकान में ले जाकर कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया. सभी आरोपियों को गिरफ़्तार कर लिया गया है.
उत्तर प्रदेश के झांसी ज़िले का मामला. बीते 18 दिसंबर को एक 16 वर्षीय हाईस्कूल के छात्र को उसके सहपाठियों ने शराब पीने के लिए मजबूर किया, उसके कपड़े उतार दिए और उसकी पिटाई की थी. छात्र ने पुलिस को बताया है कि आरोपियों लड़कों में से एक को उधार दिए गए 200 रुपये वापस मांगने पर ऐसा किया गया.
इस साल जून में उत्तर प्रदेश की सुल्तानपुर ज़िला जेल में दो क़ैदी फांसी पर लटके पाए गए थे. जांच करने वाले सुल्तानपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) ने इस घटना के लिए जेल कर्मचारियों को सीधे तौर पर ज़िम्मेदार ठहराते हुए रिपोर्ट में कहा कि यह संभवत: ‘जबरन फांसी’ का मामला है.
2017 में गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से हुई बच्चों की मौत को लेकर डॉ. कफ़ील ख़ान ने साल 2021 में एक किताब लिखी थी. अब इसे 'लोगों को सरकार के ख़िलाफ़ भड़काने और समाज बांटने वाली' किताब कहते हुए लखनऊ के एक व्यक्ति ने ख़ान पर मामला दर्ज करवाया है.