यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- अतीक़ अहमद और उनके भाई की हत्या में पुलिस की ग़लती नहीं

उत्तर प्रदेश सरकार ने विकास दुबे समेत पुलिस एनकाउंटर में हुईं मौतों और गैंगस्टर से राजनेता बने अतीक़ अहमद और उनके भाई अशरफ़ की हत्या की जांच से संबंधित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दाख़िल कर कहा है कि वह इन घटनाओं की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. याचिका में सरकार के ख़िलाफ़ लगाए गए आरोप पूरी तरह से झूठे और अनुचित हैं.

यूपी: बिकरू कांड में विकास दुबे को पुलिस छापे की सूचना देने वाले दो पुलिसकर्मी बर्ख़ास्त

जुलाई 2020 में कानपुर स्थित बिकरू गांव में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे और उसके साथियों ने पुलिस दल पर हमला कर आठ पुलिसकर्मियों की हत्या की थी. पुलिस की विभागीय जांच में सामने आया है कि दुबे को पुलिस की छापेमारी की सूचना तत्कालीन चौबेपुर थाना प्रभारी और उप-निरीक्षक ने दी थी.

विकास दुबे एनकाउंटर: जांच आयोग ने उत्तर प्रदेश पुलिस को क्लीनचिट दी

बीते साल दो जुलाई को कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के गांव बिकरू निवासी गैंगस्टर विकास दुबे को उसके गांव पकड़ने पहुंची पुलिस टीम पर हमला कर दिया गया था, जिसमें आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे. आयोग की ओर से कहा गया है कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि विकास दुबे को स्थानीय पुलिस, राजस्व और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा संरक्षण दिया गया था. आयोग ने इसमें लिप्त अधिकारियों के ख़िलाफ़ जांच की सिफ़ारिश की है.

उत्तर प्रदेश में 8,000 से अधिक मुठभेड़ में 3,302 कथित अपराधी घायल, 146 की मौतः रिपोर्ट

आधिकारिक तौर पर इस पुलिस मुठभेड़ का अभी तक कोई नाम नहीं है, लेकिन राज्य के कुछ वरिष्ठ पुलिसकर्मी इसे ‘ऑपरेशन लंगड़ा’ कहते हैं. मार्च 2017 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद यूपी पुलिस ने 8,472 मुठभेड़ों में 3,302 कथित अपराधियों को गोली मारकर घायल किया. इस दौरान कई कथित अपराधी पैर में गोली लगने से घायल हुए.

उत्तर प्रदेश: गैंगस्टर विकास दुबे के कथित एनकाउंटर मामले में यूपी पुलिस को क्लीन चिट मिली

कानपुर के गैंगस्टर विकास दुबे और उसके साथियों की कथित मुठभेड़ की जांच कर रहे पूर्व जज बीएस चौहान की अगुवाई वाले आयोग ने राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. बताया गया है कि आयोग को यूपी पुलिस के ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं मिला और पुलिस के दावों को चुनौती देने के लिए कोई भी गवाह सामने नहीं आया

यूपी: गैंगस्टर विकास दुबे से संबंध के आरोप में 37 पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई के आदेश

बीते दो जुलाई को कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के गांव बिकरू निवासी गैंगस्टर विकास दुबे को उसके गांव पकड़ने पहुंची पुलिस टीम पर हमला कर दिया गया था, जिसमें आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे. नौ जुलाई को उज्जैन से गिरफ़्तार कर उत्तर प्रदेश लाने के दौरान पुलिस ने विकास दुबे को मुठभेड़ में मार गिराने का दावा किया था.

गैंगस्टर विकास दुबे से सांठगाठ पर यूपी पुलिस के 80 कर्मचारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की सिफ़ारिश

बीते दो जुलाई को कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के गांव बिकरू निवासी गैंगस्टर विकास दुबे को उसके गांव पकड़ने पहुंची पुलिस टीम पर हमला कर दिया गया था जिसमें आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे. नौ जुलाई को उज्जैन से गिरफ़्तार कर उत्तर प्रदेश लाने के दौरान पुलिस ने विकास दुबे को मुठभेड़ में मार गिराने का दावा किया था.

आरोपी को ले जा रही यूपी पुलिस की गाड़ी मध्य प्रदेश में पलटी, आरोपी की मौत

यूपी पुलिस ने बताया कि उनकी एक टीम गैंगस्टर एक्ट के तहत कई लूट और डकैती मामलों के आरोपी बहराइच के फ़िरोज़ अली को मुंबई से लेकर आ रही थी, जब मध्य प्रदेश के गुना में उनकी गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया. हादसे में फ़िरोज़ की मौत हो गई और दो पुलिसकर्मियों समेत चार लोग घायल हुए हैं.

विकास दुबे एनकाउंटर: सुप्रीम कोर्ट ने जांच समिति के पुनर्गठन की मांग की याचिका ख़ारिज की

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर मामले में गठित जांच समिति के सदस्यों के राजनीतिक और पुलिस प्रशासन में पारिवारिक संबंध हैं, इसलिए समिति का पुनर्गठन किया जाना चाहिए क्योंकि यहां पर हितों के टकराव की स्थिति है और जांच प्रभावित किए जाने की संभावना है.

विकास दुबे के एनकाउंटर पर सवाल करना पुलिस के मनोबल को नहीं गिराएगा

पुलिस के आपराधिक कृत्यों के समान तरीकों पर उठने वाले सवालों को चुप कराने के लिए बार-बार उनके हतोत्साहित होने का डर दिखाया जाता है, लेकिन विडंबना है कि किसी हिस्ट्रीशीटर के थाने में घुसकर पुलिसकर्मियों की हत्या कर देने के बाद आज़ाद घूमने पर पुलिस के मनोबल की बात नहीं की जाती.

विकास दुबे: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- क्या जज के रिश्तेदार का किसी दल में होना ग़ैरक़ानूनी है

उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर विकास दुबे एनकाउंटर मामले में गठित जांच समिति के अध्यक्ष जस्टिस बीएस चौहान के भाई भाजपा विधायक हैं और समधी भाजपा सांसद. वहीं समिति के एक अन्य सदस्य पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता कानपुर जोन के आईजी के संबंधी हैं. हितों के टकराव की संभावना के आधार पर याचिका दायर कर समिति के पुनर्गठन की मांग की गई है.

विकास दुबे एनकाउंटर: क्या जांच समिति सदस्यों के पारिवारिक संबंधों के चलते निष्पक्ष जांच होगी?

विकास दुबे एनकाउंटर में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित जांच समिति के अध्यक्ष जस्टिस बीएस चौहान के भाई भाजपा विधायक हैं और समधी भाजपा सांसद. वहीं समिति के अन्य सदस्य पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता कानपुर ज़ोन के आईजी के संबंधी हैं. ऐसी स्थिति में हितों के टकराव की संभावना के कयास लगाए जा रहे हैं.

विकास दुबे एनकाउंटर: सुप्रीम कोर्ट ने जांच समिति से पूर्व डीजीपी को निकालने की मांग ख़ारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने विकास दुबे एनकाउंटर की जांच के लिए जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है, जिसमें यूपी के पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता भी शामिल हैं. एक याचिका में गुप्ता के एक बयान के हवाले से उनके पक्षपाती होने की संभावना व्यक्त करते हुए उन्हें समिति से हटाने की मांग की गई थी.

विकास दुबे एनकाउंटर: सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता में जांच समिति बनाई

पूर्व जज बीएस चौहान की अगुवाई वाली इस समिति को दो महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी. शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि वह इस मामले में जांच के लिए यूपी पुलिस द्वारा बनाई गई एसआईटी की निगरानी नहीं करेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने विकास दुबे के सभी ज़मानत आदेशों पर रिपोर्ट तलब की, जांच समिति का होगा पुनर्गठन

विकास दुबे और उसके सहयोगियों के कथित एनकाउंटर मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह स्तब्ध है कि दुबे जैसे व्यक्ति को इतने सारे मामलों के बावजूद ज़मानत मिली. अदालत ने कहा कि जिस व्यक्ति को जेल की सलाखों के पीछे होना चाहिए, उसे जमानत मिलना संस्थान की विफलता है.