वीडियो: बीते 13 नवंबर को अमरावती में भाजपा द्वारा बुलाए गए बंद के दौरान जगह-जगह भीड़ ने पथराव किया था. इस दौरान मुसलमानों के स्वामित्व वाली दुकानों को आग लगा दी गई और हिंदू मंदिरों को भी कथित तौर पर क्षतिग्रस्त किया गया.
एनसीआरबी और क्राइम इन इंडिया की 2001-2020 की रिपोर्ट्स से तैयार किया गया डेटा बताता है कि कुल 1,888 में से 893 में पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किए गए और 358 के ख़िलाफ़ आरोपपत्र दायर हुए. हालांकि इन सालों में केवल छब्बीस पुलिसकर्मियों को दोषी साबित किया जा सका.
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने कहा कि 2020 के अंत तक विस्थापितों की संख्या 8.24 करोड़ से अधिक थी, जिनमें से अधिकतर अपने ही देश में विस्थापित हैं. एजेंसी के प्रमुख ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय हिंसा, उत्पीड़न व मानवाधिकार उल्लंघन नहीं रोक पा रहे, जिसके चलते लोग लगातार अपना घर छोड़ने को मजबूर हैं.
इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में त्रिपुरा, असम और मणिपुर के प्रमुख समाचार.
जिस तरह भ्रष्टाचारियों को अपना भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार नहीं लगता, उसी तरह कट्टरपंथियों को अपनी कट्टरता कट्टरता नहीं लगती. वे ‘दूसरी’ कट्टरताओं को कोसते हुए भी अपनी कट्टरताओं के लिए जगह बनाते रहते हैं और इस तरह दूसरी कट्टरताओं की राह भी हमवार करते रहते हैं.
इस घटना को लेकर एक वीडियो सामने आया है, जिसमें ये देखा जा सकता है कि कट्टर हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद की अनुयायी मधु शर्मा मुस्लिम व्यक्ति का बाल पकड़ कर खींच रही हैं और उन्हें थप्पड़ मार रही हैं. धक्का देने का आरोप लगाते हुए उन्होंने व्यक्ति को पैर छूने के लिए मजबूर किया.
बांग्लादेश में हिंसा के नए चक्र से शायद हम एक दक्षिण एशियाई पहल के बारे में सोच सकें जो अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा और उनकी बराबरी के हक़ के लिए एक अंतरराष्ट्रीय समझौते का निर्माण करे.
फेसबुक की इस 'डेंजरस इंडिविजुअल्स एंड ऑर्गेनाइजेशन्स' नाम की सूची को खोजी वेबसाइट इंटरसेप्ट ने सार्वजनिक किया है. सूची में भारत के ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी), कंगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी, खालिस्तान टाइगर फोर्स, नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (इसाक-मुइवा), पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कंगलीपाक, सनातन संस्था जैसे कई संगठन शामिल हैं.
डासना मंदिर के पुजारी और कट्टर हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद सरस्वती ने आरोप लगाया कि बच्चे को उन पर नज़र रखने के लिए भेजा गया था. पुलिस का कहना है कि उक्त बच्चा क्षेत्र से परिचित नहीं था और अनजाने में मंदिर में चला गया था. उसके बयान की सच्चाई जानने के बाद उसे छोड़ दिया गया.
पुलिस ने बताया कि 5 अक्टूबर को प्रशासन की अनुमति के बिना कवर्धा में दक्षिणपंथी संगठनों की रैली में हुई हिंसा के मामले में राजनांदगांव के सांसद संतोष पांडेय, पूर्व सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह और कुछ अन्य पार्टी नेताओं समेत कम से कम एक हज़ार लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है.
घटना पांच अक्टूबर की रात मध्य प्रदेश के धार ज़िले के सिंघाना चौकी इलाके में हुई. पुलिस ने बताया कि आरोपी पक्ष का कहना है कि महिला की नज़र लगने से उनके घर में कुछ लोग बीमार हैं. पुलिस ने कहा कि इस तरह के अंधविश्वास के कारण महिला को पीटा गया. सभी आरोपी एक-दूसरे के रिश्तेदार हैं और महिला के निकटतम पड़ोसी हैं.
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, कबीरधाम ज़िले के मुख्यालय कवर्धा में धार्मिक झंडे को हटाने को लेकर रविवार को दो समुदायों के बीच झड़प हुई थी. घटना के बाद मंगलवार हिंदू संगठनों ने रैली निकाली थी जिसकी अनुमति प्रशासन ने नहीं दी थी. इस रैली के दौरान ही हिंसा भड़क उठी.
जहां दिल्ली पुलिस का दावा है कि गणतंत्र दिवस की ट्रैक्टर रैली में शामिल किसानों ने लाल क़िले पर कब्ज़ा करने की साज़िश रची थी, वहीं इस मामले को लेकर गठित पंजाब विधानसभा की समिति का कहना है कि उस रोज़ हुई हिंसा पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारी किसानों को बदनाम करने के षड्यंत्र का नतीजा थी.
विवादित कृषि क़ानूनों को पूरी तरह रद्द करने की मांग को लेकर बड़ी संख्या में किसान कई महीनों से दिल्ली की सीमाओं के साथ अन्य जगहों पर भी प्रदर्शन कर रहे हैं. इस साल 26 जनवरी को किसान संगठनों द्वारा आयोजित ट्रैक्टर परेड के दौरान कुछ प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए थे.
उत्तर प्रदेश के जौनपुर ज़िले में 24 वर्षीय एक व्यक्ति की कथित तौर पर पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. इस मामले में अजय कुमार यादव ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि पुलिस उनके भाई को 11 फरवरी, 2021 को जबरदस्ती अपने साथ ले गई और उन्हें थाने में रखा था. अगले दिन बताया गया कि उनके भाई की मौत हो गई है.