भोपाल गैस त्रासदी: पीड़ितों के लिए अतिरिक्त मुआवज़े की मांग को लेकर अनशन ख़त्म

बीते 30 दिसंबर को 10 महिलाओं ने अनिश्चितकालीन निर्जला अनशन शुरू किया था. भोपाल शहर के बाहरी इलाके में स्थित यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के कीटनाशक संयंत्र से 1984 में दो-तीन दिसंबर की दरम्यानी रात गैस का रिसाव होने से 15,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और पांच लाख से अधिक लोग प्रभावित भी हुए.

भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए अतिरिक्त मुआवज़े की मांग को लेकर 10 महिलाएं अनशन पर

अनिश्चितकालीन निर्जला अनशन का नेतृत्व कर रहे गैस पीड़ितों के पांच संगठनों की ओर से कहा गया कि सरकार सुप्रीम कोर्ट को बता रही है कि गैस रिसाव में केवल 5,295 लोग मारे गए, जबकि इससे होने वाली बीमारियों से हज़ारों लोग मर रहे हैं और मरने वालों की संख्या 25,000 के क़रीब हो सकती है. उन्होंने सत्तारूढ़ पार्टी पर आरोपी डाव केमिकल से चंदा लेने का भी आरोप लगाया.

भोपाल गैस कांड और उसके लाखों पीड़ित मध्य प्रदेश में चुनावी मुद्दा क्यों नहीं हैं?

ग्राउंड रिपोर्ट: भोपाल में यूनियन कार्बाइड का कचरा भूजल के रास्ते शहर की ज़मीन में ज़हर घोल रहा है. लाखों लोगों की ज़िंदगी दांव पर लगी है लेकिन प्रदेश की राजनीति में मुख्य मुक़ाबले में रहने वाले दोनों दल- भाजपा और कांग्रेस ने गैस पीड़ितों को लेकर चुप्पी साध रखी है.

भोपाल गैस त्रासदी: 3 दशक बाद भी शहर के भूजल में मौजूद है रासायनिक ज़हर

यूनियन कार्बाइड को औपचारिक रूप से तो ख़त्म मान लिया गया, लेकिन जो ज़हर इस कारखाने ने भोपाल की ज़मीन में बोया, वो अब इस शहर की अगली नस्ल को अपनी चपेट में ले रहा है.

भोपाल गैस त्रासदी: गैस पीड़ितों के सबसे बड़े अस्पताल में डॉक्टर काम क्यों नहीं करना चाहते?

भोपाल के तमाम गैस राहत अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की कमी सालों से बनी हुई है.

भोपाल गैस त्रासदी: हर सुबह सामने खड़ा यूनियन कार्बाइड उनके ज़ख़्मों को हरा कर देता है

त्रासदी के तीन दशक से ज़्यादा बीत जाने के बाद भी यूनियन कार्बाइड में दफ़न ज़हरीले कचरे के निष्पादन के लिए न तो केंद्र सरकार और न ही मध्य प्रदेश सरकार ने कोई नीति बनाई है.