‘एनजीओ को निशाना बनाने के लिए एफसीआरए लाया गया, तो पीएम केयर्स को लेकर पारदर्शिता क्यों नहीं’

कई ग़ैर सरकारी संगठनों और कार्यकर्ताओं का मानना है कि नए एफसीआरए संशोधनों के कारण उनके काम में बाधा आएगी और कई लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है. इस विधेयक के प्रावधानों से छोटे एनजीओ के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा हो जाएगा.

मनुष्यता के लिए विरोध अनिवार्य है

किसान के प्रतिरोध में सिर्फ किसान रहें, मजदूर प्रतिरोध में सिर्फ मजदूर, दलितों के विरोध में सिर्फ दलित, यह भी अत्याचार को बनाए रखने का एक तरीका है. यह विरोध का संप्रदायवाद है. सत्ता इसलिए कहती है कि किसान का विरोध तब अशुद्ध है जब उसमें छात्र और व्यापारी शामिल हों.

कृषि विधेयक और श्रम क़ानून में बदलाव: महामारी के बीच मोदी सरकार का विध्वंसकारी खेल

ऐसे समय में जब भारतीय अर्थव्यवस्था लगभग तबाह हो चुकी है, तब सुधारों के नाम पर किसानों और कामगारों के बीच उनकी आय को लेकर आशंकाएं और मानसिक परेशानियां पैदा करना सही नहीं है.

एफसीआरए में संशोधन कैसे नौकरियों और एनजीओ को प्रभावित करेगा

वीडियो: बीते 20 सितंबर को विपक्ष ने लोकसभा में पेश किए गए एफसीआरए यानी विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन विधेयक का विरोध यह कहते हुए किया कि सरकार इसके जरिये ‘आलोचकों पर निशाना’ साधना चाह रही है. इस क़ानून और इसके प्रभावों के बारे में बता रहे हैं द वायर के डिप्टी एडिटर गौरव विवेक भटनागर.

मुंबई: मज़दूरों की भीड़ जुटने पर पत्रकार के ख़िलाफ़ दर्ज केस बंद, पुलिस बोली- ग़लती से दर्ज किया

अप्रैल में बांद्रा स्टेशन पर लॉकडाउन में ट्रेन बहाल होने की अफवाह पर कामगारों की भीड़ जुट गई थी. इस बारे में एक टीवी पत्रकार पर कथित ग़लत जानकारी देने का मामला दर्ज किया गया था. पुलिस ने इस बारे में अपनी क्लोज़र रिपोर्ट में कहा है कि पत्रकार की रिपोर्ट ग़लत नहीं थी, पर देखने वालों ने इसे ग़लत संदर्भ में लिया.

श्रम मंत्रालय ने मज़दूरी संहिता नियमों का मसौदा जारी किया, सितंबर तक लागू होने की उम्मीद

मज़दूरी संहिता विधेयक, 2019 में मज़दूरी, बोनस और उससे जुड़े मामलों से जुड़े क़ानून को संशोधित और एकीकृत किया गया है. राज्यसभा ने इसे दो अगस्त 2019 और लोकसभा ने 30 जुलाई, 2019 को पारित कर दिया था.

यूपी: कृषि संसाधन होते हुए भी क्यों पलायन को मजबूर हुईं वनटांगियों की कई पीढ़ियां

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर-महराजगंज ज़िले को कभी बेशकीमती साखू-सागौन के जंगल लगाकर आबाद करने वाले वनटांगियों के पास पर्याप्त ज़मीन और कृषि संसाधन थे, लेकिन समय के साथ नई पीढ़ियां उचित आय और आजीविका के अभाव में शहर की राह पकड़ने को विवश हो गईं.

लॉकडाउन: प्रवासी मज़दूरों को समर्पित एक गीत

कोरोनो वायरस के कारण लागू लॉकडाउन के कारण प्रवासी मज़दूरों की ज़िंदगी बुरी तरह से प्रभावित हुई है. मज़दूरों की हालात पर उन्हें समर्पित एक गीत हाल ही में यूट्यूब पर रिलीज़ किया गया है.

‘मुंबई से गांव आने के लिए निकले, लेकिन उनका सफ़र रास्ते में ही ख़त्म हो गया’

बीते 26 मई को झांसी से गोरखपुर जा रही एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सवार आज़मगढ़ के 45 वर्षीय प्रवासी श्रमिक रामभवन मुंबई से अपने परिवार सहित घर लौट रहे थे, जब रास्ते में अचानक उनकी तबियत ख़राब होने लगी. परिजनों का कहना है कि समय पर उचित मेडिकल सहायता न मिलने के कारण उन्होंने कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर दम तोड़ दिया.

असम: चाय बागान में युवक की कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या, चार गिरफ़्तार

घटना रविवार शाम को जोरहाट ज़िले में हुई. पुलिस ने बताया कि नौ युवक किसी जन्मदिन पार्टी से नशे में लौट रहे थे, जब एक की बाइक चाय बागानों से आ रही महिलाओं से टकराई और वे गंभीर रूप से घायल हो गईं. इसके बाद उनके साथी मज़दूरों ने दो युवकों को पकड़कर पीटा, जिनमें से एक की मौत हो गई.

श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में अब तक कम से कम 80 लोगों की मौत: आरपीएफ

रेलवे सुरक्षा बल के आंकड़ों के मुताबिक श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में करीब 80 लोगों की मौत 9 मई से 27 मई के बीच हुई है. इनमें चार वर्ष से लेकर 85 वर्ष तक के यात्री शामिल थे.

स्पेशल ट्रेन चलने के बाद भी क्यों श्रमिकों की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं?

श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में अपने घरों को लौट रहे प्रवासी मज़दूरों को न सिर्फ़ खाने-पीने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, बल्कि रेलवे द्वारा रूट बदलने के कारण कई दिनों की देरी से वे अपने गंतव्य तक पहुंच पा रहे हैं. इस दौरान भूख-प्यास और भीषण गर्मी के कारण मासूम बच्चों समेत कई लोग दम तोड़ चुके हैं.

लॉकडाउन के बाद से सड़क दुर्घटनाओं में 423 लोगों की मौत, 833 घायल: रिपोर्ट

गैर-लाभकारी संगठन सेव लाइफ फाउंडेशन के अध्ययन के अनुसार, 25 मार्च को लॉकडाउन शुरू होने के बाद से 18 मई सुबह 11 बजे तक अपने घरों को लौट रहे 158 प्रवासी, आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति करने वाले 29 लोग और 236 अन्य लोगों की मौत हुई है.

लॉकडाउन: अलग-अलग सड़क हादसों में यूपी और मध्य प्रदेश में आठ प्रवासी मजदूरों की मौत

ऑटोरिक्शा में हरियाणा से बिहार जा रहे दंपति की लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर पर मौत हो गई. मध्य प्रदेश के गुना में टेम्पो पलट जाने से एक व्यक्ति की मौत हो गई और 11 अन्य घायल हो गए. मध्य प्रदेश के बड़वानी में दो हादसों में पांच प्रवासियों की मौत हो गई.

लॉकडाउन: मध्य प्रदेश में प्रवासी श्रमिकों का एक और ट्रक पलटा, छह की मौत

यह हादसा मध्य प्रदेश के सागर ज़िले में हुआ. शनिवार सुबह ही उत्तर प्रदेश के औरैया ज़िले में ट्रक और डीसीएम की टक्कर में 24 लोगों की मौत हो गई थी.