जम्मू कश्मीर: सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिगों को हिरासत में लेने के आरोपों की फिर से जांच के आदेश दिए

आरोप है कि सुरक्षा बलों ने इन नाबालिगों को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने संबंधी अनुच्छेद 370 के ज़्यादातर प्रावधानों को निरस्त करने के फैसले के बाद हिरासत में लिया था.

Ahmedabad: Social activists hold a placard and candles during a silent protest against government on Kashmir issue, in Ahmedabad, Thursday, Oct. 17, 2019. (PTI Photo)(PTI10_17_2019_000172B)

बीते अक्टूबर माह में जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय की किशोर न्याय समिति ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि पांच अगस्त से अब तक 9 से 17 साल के 144 नाबालिगों को सुरक्षा कारणों से हिरासत में लिया गया.

Ahmedabad: Social activists hold a placard and candles during a silent protest against government on Kashmir issue, in Ahmedabad, Thursday, Oct. 17, 2019. (PTI Photo)(PTI10_17_2019_000172B)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने नाबालिगों को हिरासत में रखने के आरोपों की नए सिरे से जांच करने का जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय की किशोर न्याय समिति को आदेश दिया.

आरोप है कि सुरक्षा बलों ने इन नाबालिगों को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने संबंधी अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को निरस्त करने के फैसले के बाद हिरासत में लिया था.

जस्टिस एनवी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने किशार न्याय समिति (जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड) से कहा कि वह अपनी रिपोर्ट यथाशीघ्र पेश करे. पीठ ने इसके साथ ही इस मामले को तीन दिसंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया है.

पीठ ने इन आरोपों की नए सिरे से जांच की आवश्यकता है क्योंकि समिति की पहले की रिपोर्ट समयाभाव की वजह से शीर्ष अदालत के आदेश के अनुरूप नहीं थी.

शीर्ष अदालत कश्मीर घाटी में गैरकानूनी तरीके से नाबालिगों को कथित रूप से हिरासत में लिए जाने का मुद्दा उठाने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

बीते पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने ख़त्म कर दिया था. इसके साथ ही सरकार ने राज्य को विभाजित कर दो केंद्रशासित प्रदेश- जम्मू कश्मीर और लद्दाख बनाने की घोषणा की थी.

जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाने के बाद राज्य की मुख्यधारा के नेताओं के साथ बड़े पैमाने पर लोगों को हिरासत में ले लिया गया. इससे पहले किशोर न्याय समिति ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि पांच अगस्त से अब तक 9 से 17 साल के 144 नाबालिगों को सुरक्षा कारणों से हिरासत में लिया गया.

अक्टूबर में प्रकाशित इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हिरासत में लिए गए 144 नाबालिगों में से 142 नाबालिगों को रिहा किया जा चुका है, जबकि अन्य अभी भी किशोर गृह में रखा गया है.

किशार न्याय समिति ने पुलिस और राज्य की अन्य एजेंसियों द्वारा मिली जानकारी के आधार पर यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी.

बाल अधिकार कार्यकर्ता इनाक्षी गांगुली और सांता सिन्हा की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट की किशार न्याय समिति से उन आरोपों का पता लगाने और उन पर रिपोर्ट सौंपने को कहा था जिनमें कहा गया था कि राज्य में गैरकानूनी तौर पर बच्चों को हिरासत में लिया गया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)