कश्मीर में किसानों को 7,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो सकता है: कृषि संगठन

कश्मीर घाटी में तीन दिन की यात्रा पर गए सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने केंद्र सरकार से राज्य में सुरक्षा अव्यवस्था और नवंबर के शुरू में बेमौसम बर्फबारी के कारण किसानों को हुए नुकसान की भरपाई करने की मांग की है.

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कश्मीर घाटी में तीन दिन की यात्रा पर गए सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने केंद्र सरकार से राज्य में सुरक्षा अव्यवस्था और नवंबर के शुरू में बेमौसम बर्फबारी के कारण किसानों को हुए नुकसान की भरपाई करने की मांग की है.

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कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से बिक्री न होने के कारण फेंके गए सेब. (फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: कश्मीर घाटी में तीन दिन की यात्रा के बाद लौटे सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने केंद्र सरकार से नवंबर के शुरू में बेमौसम बर्फबारी के कारण किसानों को हुए नुकसान की भरपाई करने और राज्य का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद क्षेत्र में लगाए संचार प्रतिबंधों को खत्म करने की मांग की है.

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के बैनर तले कश्मीर दौरे पर गए प्रतिनिधिमंडल में पूर्व सांसद राजू शेट्टी, सामाजिक वैज्ञानिक और राजनीतिज्ञ योगेंद्र यादव और किसान नेता वीएम सिंह शामिल थे.

यह दौरा राज्य में सेब के किसानों, फल उत्पादकों के संघ के प्रतिनिधियों और व्यापारिक समुदाय के सदस्यों से मुलाकात कर उनके नुकसान का आकलन करने के लिए था.

इनके आकलन के अनुसार, पांच अगस्त के बाद राज्य में गंभीर सुरक्षा अव्यवस्था के कारण फसल का मौसम शुरू होते ही परिवहन उद्योग और खरीद बाजारों पर असर पड़ा है. रिपोर्ट के मुताबिक जो किसान नाशपाती, चेरी और अंगूर उगाते हैं, उन्हें लगभग पूरा नुकसान हुआ है क्योंकि केंद्र द्वारा लगाए गए असाधारण सुरक्षा इंतजामों के कारण उनकी फसल ऐसे ही पड़ी रह गई.

सेब उत्पादकों को भी नुकसान हुआ क्योंकि संचार प्रतिबंधों की वजह से उत्पादकों, ट्रांसपोर्टरों और व्यापारियों के बीच संपर्क लगभग असंभव हो गया था. परिवहन पर प्रतिबंधों ने खरीद प्रक्रिया में भी बाधा उत्पन्न की.

एआईकेएससीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘किसान खरीद बाजारों में सेब नहीं ला सकते थे क्योंकि ट्रकों को गांवों में जाने की अनुमति नहीं थी और किसान अपनी उपज को राजमार्गों पर लाने के लिए मजबूर थे. इसके कारण देरी, असुविधा और अतिरिक्त लागत हुई.’

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने घोषणा किया था कि नैफेड घाटी से सेब खरीदेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. किसान संगठन ने कहा, ‘अनुभव और बुनियादी ढांचे की कमी की वजह से नैफेड ने अनुमानित उपज का सिर्फ 0.01 फीसदी खरीद की है.’

किसानों की शिकायतें हैं कि नैफेद खरीद की वजह से काफी बुरा प्रभाव पड़ा है क्योंकि इसने बिक्री बाजार में सेब को कम कीमतों पर बेचा जिसकी वजह से खरीद बाजार में थोक सेब की कीमतों में काफी गिरावट आई है.

प्रतिनिधिमंडल ने भारी बेमौसम बर्फबारी को किसानों के बढ़ते नुकसान का एक और कारण बताया है. एआईकेएससीसी के अनुसार, किसानों और खेत संगठनों ने शोपियां, रामनगर, केलार, जामनगर, सेडाव और मीरपुर के क्षेत्रों में 80 फीसदी से अधिक नुकसान की सूचना दी है.

सरकार का अपना अनुमान है कि 23,640 हेक्टेयर भूमि का लगभग 35 फीसदी हिस्सा बर्फबारी के कारण खराब हो गया. केसर की फसल पर भी असर पड़ा है.

कुल मिलाकर प्रतिनिधिमंडल ने कहा है कि वाणिज्य और उद्योग के प्रतिनिधियों के अनुसार, पांच अगस्त के बाद से राज्य में सुरक्षा अव्यवस्था और नवंबर की शुरुआत में बेमौसम बर्फबारी के कारण सेब उद्योग को लगभग 7,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.

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