महाराष्ट्र: उद्धव ठाकरे ने विश्वासमत साबित किया, भाजपा ने किया वॉकआउट

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार ने शनिवार को 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में 169 विधायकों का समर्थन हासिल कर लिया. विधानसभा का सत्र नियमों के अनुसार नहीं संचालित कराने का आरोप लगाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस के नेतृत्व में भाजपा ने सदन का बहिष्कार किया.

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बेटे आदित्य ठाकरे के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे. (फोटो: पीटीआई)

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार ने शनिवार को 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में 169 विधायकों का समर्थन हासिल कर लिया. विधानसभा का सत्र नियमों के अनुसार नहीं संचालित कराने का आरोप लगाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस के नेतृत्व में भाजपा ने सदन का बहिष्कार किया.

बेटे आदित्य ठाकरे के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे. (फोटो: पीटीआई)
बेटे आदित्य ठाकरे के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे. (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार ने शनिवार को महाराष्ट्र विधानसभा में विश्वास मत साबित किया. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी ने 169 विधायकों का समर्थन हासिल कर लिया.

विधानसभा के अस्थायी अध्यक्ष (प्रोटेम स्पीकर) दिलीप वाल्से पाटिल ने सदन को बताया कि कुल 169 विधायकों ने विश्वासमत के समर्थन में वोट किया. उन्होंने बताया कि चार विधायकों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया.

प्रस्ताव के खिलाफ किसी ने वोट नहीं किया क्योंकि 288 सदस्यीय विधानसभा में विधायकों की गिनती शुरू होने से पहले ही भाजपा के सभी 105 विधायक वाकआउट कर गए.

इससे पहले कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने सदन में विश्वास मत का प्रस्ताव रखा और एनसीपी नेता नवाब मलिक और शिवसेना नेता सुनील प्रभु ने उसका समर्थन किया. महा विकास अघाड़ी के गठबंधन में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस ने मिलकर बनाया है.

विश्वास मत हासिल करने के बाद विपक्षी पार्टी भाजपा के आरोपों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सदन में कहा, ‘हां, मैंने छत्रपति शिवाजी महाराज और अपने माता-पिता के नाम पर शपथ लिया. अगर यह अपराध है तो मैं इसे दोबारा करूंगा.’

राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने ठाकरे को बहुमत साबित करने के लिये तीन दिसंबर तक का वक्त दिया था. इससे पहले प्रदेश की 288 सदस्यीय विधानसभा में सत्ताधारी गठबंधन ने 162 विधायकों के समर्थन का दावा किया था.

इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक देवेंद्र फड़णवीस ने विश्वास मत की कार्यवाही के दौरान विधानसभा का बहिष्कार कर दिया. फड़णवीस ने आरोप लगाया कि मंत्रियों का शपथ ग्रहण संविधान के अनुसार नहीं कराया गया और विधानसभा का सत्र भी नियमों के अनुसार नहीं हुआ.

सदन का बहिष्कार करने के बाद बाहर मीडिया से बात करते हुए फड़णवीस ने कहा, ‘यह सत्र असंवैधानिक है. हमें सूचना दी गई कि पिछला सत्र खत्म हो गया है. नए सत्र के लिए एक समन जारी किया जाना चाहिए था लेकिन वह नहीं किया गया, इसलिए यह असंवैधानिक है. नियमों का उल्लंघन किया गया, मंत्रियों द्वारा लिया गया शपथ असंवैधानिक था. किसी ने बाल ठाकरे, किसी ने सोनिया गांधी जबकि कुछ ने शरद पवार का नाम लिया जो कि अवैध है.’

उन्होंने कहा, ‘गठबंधन अपने विधायकों पर भरोसा नहीं करता है और उसने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन किया है. बहुमत परीक्षण संविधान के प्रावधानों के अनुसार नहीं कराया गया और इसलिए हमने प्रक्रिया का बहिष्कार किया है. हम सदन की प्रक्रिया को बर्खास्त करने की मांग वाला एक पत्र राज्यपाल को सौंपने जा रहे हैं.’

इससे पहले फड़णवीस ने सदन में कार्यवाही प्रक्रिया के अनुसार नहीं चलने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सत्र की शुरुआत वंदे मातरम के साथ नहीं की गई और प्रोटेम स्पीकर को बदल दिया गया. हालांकि, उनके आरोपों का खारिज करते हुए प्रोटेम स्पीकर दिलीप वाल्से ने कार्यवाही जारी रखने का फैसला किया.

विधानसभा का दो दिवसीय सत्र शनिवार को शुरू हुआ. पहले दिन सदन में नए मंत्रियों के परिचय के बाद विश्वास मत के लिए मतदान कराया गया जिसमें उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी ने बहुमत साबित कर दिया.

रविवार को विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा जिसके बाद राज्यपाल के अभिभाषण पर सदन में धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया जाएगा. नए विधानसभा अध्यक्ष इसके बाद विधानसभा में नेता विपक्ष के नाम की घोषणा करेंगे.

मुख्यमंत्री पद ढाई-ढाई साल रखने के मुद्दे पर शिवसेना ने अपने गठबंधन सहयोगी भाजपा से रिश्ते तोड़ लिए थे इसके बाद उद्धव ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर सरकार बनाई.

प्रदेश में 21 अक्टूबर को हुए चुनावों में भाजपा 105 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी थी. शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने क्रमश: 56,54 और 44 सीटें जीती थीं.

एनसीपी के वरिष्ठ नेता दिलीप वलसे पाटिल को शुक्रवार को महाराष्ट्र विधानसभा का अस्थायी (प्रोटेम) अध्यक्ष नियुक्त किया गया. उन्होंने भाजपा के कालिदास कोलंबकर की जगह ली जिन्हें विधायकों को शपथ दिलाने के दौरान पूर्व में अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. पाटिल पूर्व में भी विधानसभा के अध्यक्ष रहे हैं.

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने गुरुवार को मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. ठाकरे के अलावा छह अन्य मंत्रियों- शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस से दो-दो ने भी शपथ ली थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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