उपग्रह से निगरानी के बावजूद जंगल में आग लगने की घटनाओं में तीन गुना की बढ़ोतरी: सरकार

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीन साल के दौरान जंगल में आग लगने की घटनाओं में सर्वाधिक बढ़ोतरी ओडिशा और आंध्र प्रदेश में हुई है. उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और मणिपुर में भी जंगल में आग लगने की घटनाएं बढ़ी हैं.

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(फाइल फोटो: रॉयटर्स)

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीन साल के दौरान जंगल में आग लगने की घटनाओं में सर्वाधिक बढ़ोतरी ओडिशा और आंध्र प्रदेश में हुई है. उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और मणिपुर में भी जंगल में आग लगने की घटनाएं बढ़ी हैं.

(फाइल फोटो: रॉयटर्स)
(फाइल फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: देश वन क्षेत्रों में आग लगने की घटनाओं के कारण वन संपदा को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए उपग्रहों से सतत निगरानी सहित अन्य तकनीकों के इस्तेमाल के बावजूद पिछले तीन साल के दौरान जंगलों में आग लगने की घटनाएं तीन गुना तक बढ़ गई हैं.

वन क्षेत्रों में आग लगने की घटनाओं पर निगरानी से जुड़े पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2016 में देश भर में जंगलों में आग लगने की 37,636 घटनाएं दर्ज की गई थीं, जो कि 2018 में बढ़कर 1.17 लाख हो गईं.

वन क्षेत्र और वन संपदा की समीक्षा के बारे में मंत्रालय की संसद में पिछले सप्ताह पेश रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन साल के दौरान जंगल में आग लगने की घटनाओं में सर्वाधिक बढ़ोतरी ओडिशा और आंध्र प्रदेश में हुई है.

जंगल में आग लगने की घटनाओं के राज्यवार आंकड़ों के मुताबिक, ओडिशा में 2016 में 2,572 घटनायें दर्ज की गई थीं. इनकी संख्या 2017 में बढ़कर 36,827 हो गई और 2018 में थोड़ी गिरावट के साथ 31,680 पर आ गई.

वहीं, आंध्र प्रदेश के जंगलों में 2016 में आग की 8,885 घटनाएं दर्ज की गई थीं. इनकी संख्या 2017 में बढ़कर 8,274 हो गई और 2018 में 16,171 पर पहुंच गई.

जंगल में आग लगने की घटनाओं में भारी बढ़ोतरी वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और मणिपुर शामिल हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय वन क्षेत्र में आग की घटनाओं को रोकने के लिए उपग्रह आधारित दूरसंवेदी प्रौद्योगिकी जीआईएस तकनीक की मदद ले रहा है. इसके तहत 2004 में भारतीय वन सर्वेक्षण ने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ के उपग्रह की मदद से राज्य सरकारों को जंगल में आग लगने की घटनाओं की चेतावनी देना भी शुरू कर दिया है.

इसके लिए 2017 में सेंसर तकनीक की मदद से रात के समय जंगलों में आग की घटनाओं की भी निगरानी शुरू की गई. मंत्रालय ने इन घटनाओं में लगातार इजाफे को देखते हुए इस साल जनवरी में ‘व्यापक वन अग्नि निगरानी कार्यक्रम’ शुरू कर रियल टाइम आधार पर राज्यों के निगरानी तंत्र को मजबूत किया जा रहा है.

रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय द्वारा राज्यों के लिए शुरू की गई तकनीकी मदद की पहल के फलस्वरूप बिहार और असम सहित कुछ अन्य राज्यों में जंगलों में आग की घटनाएं कम करने में भी कामयाबी मिली है.

आंकड़ों के मुताबिक, वन क्षेत्र की अधिकता वाले राज्य असम में जंगल में आग लगने की 2016 में 3303 घटनाएं दर्ज की गई थीं, जो 2017 में घटकर 2405 और 2018 में 2200 रह गईं.

वहीं, बिहार के जंगलों में आग लगने की 2016 में 332 घटनाएं हुईं, जो 2017 में बढ़कर 581 हो गई, लेकिन 2018 में घटकर 293 रह गई.

ऐसी घटनाओं में कमी वाले राज्यों में जम्मू कश्मीर, केरल, गोवा, नगालैंड और मिजोरम शामिल हैं. नगालैंड में तीन साल में जंगलों की आग की घटनाएं तीन से घटकर शून्य हो गई हैं, जबकि मिजोरम में यह संख्या 298 से घटकर 20 पर आ गई है.