निर्भया कोष ख़र्च नहीं होने पर अदालत ने झारखंड सरकार को लगाई फटकार, कहा- शर्म की बात

साल 2013 में पांच साल की एक बच्ची के बलात्कार के बाद उसकी गला घोंटकर हत्या कर दी थी. इस मामले में झारखंड पुलिस अब तक अपराधियों का पता नहीं लगा सकी है. मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने यह टिप्पणी की.

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West Singhbhum: Jharkhand Chief Ministers Raghubar Das greets a gathering during an election campaign rally for the forthcoming Jharkhand Assembly elections, at Chakradharpur in West Singhbhum district, Friday, Nov. 29, 2019. (PTI Photo)(PTI11_29_2019_000171B)

साल 2013 में पांच साल की एक बच्ची के बलात्कार के बाद उसकी गला घोंटकर हत्या कर दी थी. इस मामले में झारखंड पुलिस अब तक अपराधियों का पता नहीं लगा सकी है. मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने यह टिप्पणी की.

West Singhbhum: Jharkhand Chief Ministers Raghubar Das greets a gathering during an election campaign rally for the forthcoming Jharkhand Assembly elections, at Chakradharpur in West Singhbhum district, Friday, Nov. 29, 2019. (PTI Photo)(PTI11_29_2019_000171B)
झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास. (फोटो: पीटीआई)

रांचीः झारखंड हाईकोर्ट ने रांची के डोरंडा में एक बच्ची की बलात्कार के बाद हत्या के छह साल पुराने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य में अब तक निर्भया कोष का खर्च नहीं होना शर्म की बात है.

चीफ जस्टिस डॉ. रविरंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की पीठ ने शुक्रवार को कहा, ‘आप राशि खर्च नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि आपके पास कोई दृष्टि नहीं है.’

मालूम हो कि 25 अप्रैल 2013 को पांच साल की एक बच्ची के बलात्कार के बाद उसकी गला घोंटकर हत्या कर दी थी. इस मामले में पुलिस अब तक अपराधियों का पता नहीं लगा सकी है.

इस मामले में हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका पर सुनवाई हो रही है. वादी की ओर से पीठ को बताया गया कि दिल्ली के निर्भया कांड के बाद राज्य सरकार को निर्भया कोष के तहत 9.37 करोड़ मिले लेकिन अभी तक यह राशि खर्च नहीं हुई.

चीफ जस्टिस ने कहा कि राज्य में महिला हेल्पलाइन नहीं होना भी आश्चर्य की बात है. इसके लिए दृष्टि और इच्छाशक्ति की जरूरत है.

पीठ ने राज्य के मुख्य सचिव व महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव को इस मामले में अदालत में हाजिर होने का निर्देश दिया है.

इस मामले में अगली सुनवाई 17 जनवरी को होगी. इस दौरान सरकार की ओर से अदालत में शपथ-पत्र दाखिल किया गया, जिसमें कहा गया कि महिला हेल्पलाइन के तौर पर मोबाइल नंबर जारी किया गया है. इसके साथ ही शक्ति ऐप के जरिये भी शिकायत की जा सकती है.

इस पर अदालत ने पूछा कि क्या कोई मोबाइल नंबर याद रख पाएगा?

इस दौरान सीआईडी पुलिस महानिरीक्षक अरुण कुमार सिंह पीठ के समक्ष हाजिर हुए.

पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि शिकायत मिली है कि देर रात से लेकर सुबह तक डायल 100 पर कोई जवाब नहीं मिलता है. अरुण कुमार सिंह ने कहा कि अब 100 व 102 सहित अन्य नंबर को एक साथ जोड़कर 112 किया जा रहा है. जनवरी महीने के अंत तक इसका काम पूरा हो जाएगा.

मालूम हो कि हाल ही में लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान निर्भया कोष के आवंटन के संबंध में केंद्र सरकार ने बताया था कि इस मद में आवंटित धनराशि में से 11 राज्यों ने एक रुपया भी ख़र्च नहीं किया. इन राज्यों में महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा के अलावा दमन और दीव शामिल हैं.

इसके अलावा दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, झारखंड, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, दादरा नगर हवेली और गोवा जैसे राज्यों को महिला हेल्पलाइन के लिए दिए गए पैसे जस के तस पड़े हैं.

दिल्ली में 2012 में हुए नई दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के बाद सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए समर्पित एक विशेष फंड की घोषणा की थी, जिसका नाम निर्भया फंड रखा गया था.

इसके अलावा महिला पुलिस स्वयंसेवक योजना के मद में आवंटित राशि में अंडमान निकोबार, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा और उत्तराखंड ने कोई राशि खर्च नहीं की.

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, साल 2015 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3.29 लाख मामले दर्ज किए गए. 2016 में इस आंकड़े में 9,711 की बढ़ोतरी हुई और इस दौरान 3.38 लाख मामले दर्ज किए गए. इसके बाद 2017 में 3.60 लाख मामले दर्ज किए गए. साल 2015 में बलात्कार के 34,651 मामले, 2016 में बलात्कार के 38,947 मामले और 2017 में ऐसे 32,559 मामले दर्ज किए गए.

इसके अलावा सरकार ने बताया था कि साल 2015 से 2018 तक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने केंद्र सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा के लिए निर्भया फंड के तहत आवंटित की गई राशि का 20 फीसदी से भी कम हिस्सा इस्तेमाल किया.

केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए 854.66 करोड़ रुपये में से मात्र 165.48 करोड़ रुपये का इस्तेमाल विभिन्न राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों ने किया था.

रांची में बलात्कार के बाद जिंदा जलाई गई पीड़िता के मुख्य आरोपी को फांसी

राज्य की राजधानी रांची में 2016 में 15-16 दिसंबर की मध्यरात्रि इंजीनियरिंग की एक छात्रा को बलात्कार के बाद जिंदा जलाकर मारने के मुख्य आरोपी राहुल राज को फांसी की सजा सुनाई गई.

सीबीआई की एके मिश्रा की विशेष अदालत ने इस मामले में मुख्य आरोपी राहुल राज को फांसी की सजा सुनायी और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं में बीस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया.

साल 2016 के इस मामले को 28 मार्च, 2018 को सीबीआई को सौंपा गया था और लगभग 15 माह की जांच के बाद सीबीआई ने जून, 2019 में लखनऊ से राहुल राज को गिरफ्तार किया था.

जांच में पता चला कि राहुल दिसंबर 2016 में इस नृशंस घटना को अंजाम देकर लखनऊ भाग गया था.

सीबीआई ने हत्याकांड के आसपास की बस्ती के लोगों की डीएनए प्रोफाइलिंग करके और घटनास्थल पर पीड़िता के शव और कपड़ों से बरामद डीएनए सैंपल से उसका मिलान कर राहुल राज को पकड़ा था.

अदालत ने इस साल अक्टूबर के अंत में राहुल के खिलाफ आरोप तय किए थे और लगातार 16 दिनों की सुनवाई में तीस गवाहों की गवाहियां करवाईं और शुक्रवार को उसे दोषी करार दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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