एल्गार परिषद में कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी गलत, पुलिस कार्रवाई की एसआईटी से जांच हो: पवार

एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा, 'राजद्रोह के आरोप में कार्यकर्ताओं को जेल भेजना गलत है. लोकतंत्र में अपनी असहमति का सख्ती से विरोध दर्ज कराने की इजाजत है. यह पुलिस आयुक्त और कुछ अधिकारियों द्वारा शक्ति का दुरुपयोग है.'

एनसीपी प्रमुख शरद पवार. (फोटो: पीटीआई)

एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा, ‘राजद्रोह के आरोप में कार्यकर्ताओं को जेल भेजना गलत है. लोकतंत्र में अपनी असहमति का सख्ती से विरोध दर्ज कराने की इजाजत है. यह पुलिस आयुक्त और कुछ अधिकारियों द्वारा शक्ति का दुरुपयोग है.’

Mumbai: Nationalist Congress Party President Sharad Pawar addresses a press conference, in Mumbai, Wednesday, Sept. 25, 2019. The Enforcement Directorate (ED) has filed a money laundering case against  Sharad Pawar, his nephew Ajit Pawar and others in connection with the Maharashtra State Cooperative Bank (MSCB) scam case. (PTI Photo/Mitesh Bhuvad)(PTI9_25_2019_000122B)
शरद पवार. (फाइल फोटो: पीटीआई)

पुणे: राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार ने बीते शनिवार को एल्गार परिषद मामले में कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को गलत और प्रतिशोधपूर्ण बताते हुए पुणे पुलिस की कार्रवाई की एसआईटी से जांच कराने की मांग की.

उन्होंने कहा कि इस विशेष जांच दल का गठन किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अगुवाई में होना चाहिए. साथ ही पवार ने गिरफ्तारियों में शामिल पुलिस अधिकारियों को भी निलंबित किए जाने की मांग की.

पवार ने कहा, ‘राजद्रोह के आरोप में कार्यकर्ताओं को जेल भेजना गलत है. लोकतंत्र में अपनी असहमति का सख्ती से विरोध दर्ज कराने की इजाजत है. यह पुलिस आयुक्त और कुछ अधिकारियों द्वारा शक्ति का दुरुपयोग है. उन्होंने लोगों की मूल स्वतंत्रता पर हमला किया है और कोई भी इन सबका मूकदर्शक नहीं हो सकता है.’

उन्होंने कहा, ‘हम मुख्यमंत्री से मांग करेंगे कि पुलिसिया कार्रवाई की जांच के लिए किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अगुवाई में एसआईटी का गठन किया जाए.’

एनसीपी प्रमुख ने कहा, ‘तथ्य प्रमाणित किए जाने चाहिए. पूर्व की सरकार और जांच दल की भूमिका संदेहपूर्ण है. संबंधित पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया जाना चाहिए और उनकी कार्रवाई की जांच होनी चाहिए.’

पुणे पुलिस के मुताबिक 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में एल्गार परिषद की बैठक की गई, जिसे माओवादियों का समर्थन हासिल था और कार्यक्रम में दिए गए भड़काऊ भाषणों के चलते अगले दिन जिले के कोरेगांव-भीमा में हिंसा हुई थी.

पुलिस ने दावा किया कि जांच के दौरान गिरफ्तार किए गए वामपंथी विचारधारा वाले कार्यकर्ताओं का माओवादियों के साथ संपर्क था. उनके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था.

पुणे पुलिस ने मामले के संबंध में नौ कार्यकर्ताओं- सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, महेश राउत, शोमा सेन, अरुण फरेरा, वर्नोन गोन्जाल्विस, सुधा भारद्वाज और वरवरा राव को गिरफ्तार किया था.

कोरेगांव-भीमा हिंसा में हिंदुत्व समर्थक नेताओं संभाजी भिडे और मिलिंद एकबोटे की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा, ‘पूर्व की सरकार पक्षपाती थी और उन्होंने अपने शासन के दौरान कुछ लोगों का पक्ष लिया.’

उन्होंने राज्य विधानसभा में शुक्रवार को पेश की गई कैग की रिपोर्ट की भी विशेषज्ञ समिति से जांच कराने की मांग की, जिसमें 31 मार्च 2018 तक 66,000 करोड़ रुपये की कीमत के उपयोग प्रमाण-पत्र जमा नहीं कराने के लिए महाराष्ट्र सरकार को जिम्मेदार माना गया.

पवार ने कहा, ‘समिति को इसकी जांच करनी चाहिए और लोगों के सामने सच लाना चाहिए.’

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