झारखंड में मिली हार के साथ भाजपा ने पिछले एक साल में गंवाए पांच राज्य

झारखंड हारने के बाद केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा का शासन देश के मात्र 35 प्रतिशत हिस्से तक सिमट गया है, जबकि 2017 में देश के 71 प्रतिशत हिस्से पर उसका नियंत्रण था. लोकसभा चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत झारखंड में 55 प्रतिशत से अधिक था तो हरियाणा में 58 प्रतिशत था. इन दोनों राज्यों में विधानसभा चुनावों में उसका वोट प्रतिशत गिरकर क्रमश: 33 एवं 36 प्रतिशत पर आ गया.

(फोटो: पीटीआई)

झारखंड हारने के बाद केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा का शासन देश के मात्र 35 प्रतिशत हिस्से तक सिमट गया है, जबकि 2017 में देश के 71 प्रतिशत हिस्से पर उसका नियंत्रण था. लोकसभा चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत झारखंड में 55 प्रतिशत से अधिक था तो हरियाणा में 58 प्रतिशत था. इन दोनों राज्यों में विधानसभा चुनावों में उसका वोट प्रतिशत गिरकर क्रमश: 33 एवं 36 प्रतिशत पर आ गया.

New Delhi: A workers carries cut-outs of Prime Minister Narendra Modi and Union Home Minister Amit Shah on the eve of  BJP rally at Ramlila Maidan in New Delhi, Saturday, Dec. 21, 2019. (PTI Photo)(PTI12_21_2019_000185B)
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नई दिल्ली: बीते 23 दिसंबर को झारखंड विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. यहां झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और राजद गठबंधन ने विधानसभा में स्पष्ट बहुमत हासिल किया. इस हार के साथ झारखंड पांचवां ऐसा राज्य है जहां भाजपा ने पिछले एक साल (दिसंबर 2018) में अपनी सत्ता गंवा दी है.

झारखंड के अलावा इसी साल भाजपा को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनावों में सत्ता गंवानी पड़ी थी.

झारखंड में सोमवार को आए नतीजों के अनुसार, 81 सीटों वाली विधानसभा में झारखंड मुक्ति मोर्चा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. पार्टी को यहां 30 सीटें हासिल हुईं, वहीं भाजपा को सिर्फ 25 सीटों से संतोष करना पड़ा और कांग्रेस के खाते में 16 सीटें गईं.

इसके अलावा झारखंड विकास मोर्चा ने तीन, निर्दलीय और एजेएसयू ने दो-दो और राजद, एनसीपी तथा सीपीआईएमएल ने एक-एक सीटों पर जीत दर्ज की.

इस प्रकार झामुमो, कांग्रेस और राजद गठबंधन को कुल 47 सीटें प्राप्त हुईं.

इससे पहले भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरने के बाद भी सरकार नहीं बना सकी थी. महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 105 सदस्य हैं, जबकि शिवसेना के 56, राकांपा के 54 और कांग्रेस के 44 सदस्य हैं.

यहां बीते 24 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद शिवसेना और भाजपा में सरकार बनाने के लिए मचे सियासी घमासान के अंतत: शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. परिणाम आने के 36 दिन बाद महाराष्ट्र में सरकार का गठन हो सका था.

पिछले एक साल में भाजपा किसी भी बड़े राज्य में निर्णायक तौर पर विजयी नहीं रही है. पिछले साल दिसंबर में छत्तीसगढ़ की सत्ता में कांग्रेस 15 साल बाद लौटी. वहीं दिसंबर 2018 में ही राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस ने सत्ता में अपनी जगह पक्की की.

मध्य प्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को 114 सीटें मिली हैं. कांग्रेस ने यहां बसपा के दो, सपा के एक और चार अन्य निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई है. उसे फिलहाल कुल 121 विधायकों का समर्थन हासिल है. वहीं भाजपा को विधानसभा में 109 सीटें मिली हैं.

2017 में देश के 71 प्रतिशत हिस्सा भाजपा शासित था अब सिर्फ 35 प्रतिशत बचा

भाजपा के हाथ से निकलते राज्यों में झारखंड के भी शामिल होने के बाद केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी की हिस्सेदारी अब देश के मात्र 35 प्रतिशत हिस्से पर रह गई है, जबकि 2017 में पूरी हिंदी भाषी पट्टी पर शासन के साथ 71 प्रतिशत हिस्से पर उसका नियंत्रण था.

अप्रैल-मई में हुए लोकसभा चुनावों में बड़ी जीत के बावजूद कई राज्यों में भाजपा की हार से पार्टी के बड़े नेता आगामी विधानसभाओं चुनावों के लिए अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने को मजबूर हो सकते हैं. आने वाले समय में दिल्ली और बिहार में चुनाव होने हैं.

आंकड़ों का विश्लेषण बताता है कि जिन राज्यों में भाजपा की उसके अपने दम पर या सहयोगियों के साथ सरकार है, वहां आबादी करीब 43 प्रतिशत है जबकि दो साल पहले 69 फीसदी से अधिक आबादी वाले राज्यों में भाजपा की सरकार थी.

पार्टी के लिए यह चिंता की बात है कि 2018 से राज्यों के चुनाव में उसका ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है. वह इस अवधि में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सत्ता खो चुकी है. लोकसभा चुनाव में उसकी जबरदस्त जीत भी राज्यों में लाभ दिलाने में कामयाब नहीं रही.

राजनीतिक जानकारों की मानें तो भाजपा को विधानसभा चुनावों में रणनीति बदलनी होगी.

हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव में विपक्षी दलों ने पिछली बार के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन किया. भाजपा दोनों ही राज्यों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर तो उभरी लेकिन पहले की तुलना में उसे कई सीटें गंवानी पड़ीं.

पार्टी ने हरियाणा में जननायक जनता पार्टी के साथ हाथ मिलाकर सरकार बना ली लेकिन महाराष्ट्र में प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस-राकांपा के सामने भाजपा का सपना टूट गया जिसने उसकी पुरानी सहयोगी शिवसेना के साथ हाथ मिलाकर सरकार बना ली.

झारखंड की स्थापना के बाद से पहली बार भाजपा सबसे बड़ी पार्टी भी नहीं बन पाई है. इससे पहले वह हमेशा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है.

लोकसभा चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत झारखंड में 55 प्रतिशत से अधिक था तो हरियाणा में 58 प्रतिशत था. हालांकि इन दोनों राज्यों में कुछ ही महीने बाद हुए विधानसभा चुनावों में उसका वोट प्रतिशत गिरकर क्रमश: 33 एवं 36 प्रतिशत पर आ गया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)