ऊंची जाति के जज अपनी न्यायिक शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं: जस्टिस कर्णन

सुप्रीम कोर्ट से अपने खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी होने के बाद कोलकाता हाईकोर्ट के जस्टिस सीएस कर्णन ने न्यायिक व्यवस्था पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं.

सुप्रीम कोर्ट से अपने खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी होने के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस सीएस कर्णन ने न्यायिक व्यवस्था पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं.

Justice CS Karnan
जस्टिस सीएस कर्णन. फाइल फोटो: पीटीआई

जस्टिस कर्णन दलित वर्ग से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि पीठ का झुकाव सवर्णों की तरफ है. ऊंची जाति वाले जज एक दलित से छुटकारा पाने के लिए अपनी न्यायिक शक्तियों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को दलित विरोधी भी बताया. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट की ओर से अपने खिलाफ नोटिस जारी करने के अधिकार पर सवाल खड़े किए हैं.

उन्होंने कहा, ‘किसी हाईकोर्ट के मौजूदा जज पर कार्रवाई करने का ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है.’ बीते गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की बेंच ने जस्टिस कर्णन को अवमानना का नोटिस जारी किया था. इस मामले में उन्हें 13 फरवरी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा गया है. साथ ही, उनसे कोई भी न्यायिक या प्रशासनिक काम न करने को कहा गया है.

उन्हें ये नोटिस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी उस चिट्ठी की वजह से मिला है, जिसमें उन्होंने 20 जजों का नाम लेकर भ्रष्ट बताया है. बताया जाता है कि इस तरह का नोटिस पाने वाले कर्णन हाईकोर्ट के पहले सिटिंग जज हैं.

सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को लिखी अपनी चिट्ठी में उन्होंने अपना पक्ष साफ किया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस के रिटायरमेंट के बाद होनी चाहिए. अगर बहुत जल्दी हो तो मामले को संसद रेफर किया जाना चाहिए. वहां मैं ये साबित कर दूंगा कि प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी की सभी बातें सही हैं. इस दौरान मेरे न्यायिक और प्रशासनिक काम मुझे वापस दिए जाने चाहिए.’

गौरतलब है कि जस्टिस सीएस कर्णन इससे पहले भी लगातार विवादों में रहे हैं. 2011 में वह तब चर्चा में आए जब अनुसूचित जाति राष्ट्रीय आयोग को चिट्ठी लिखी कि उनके दलित होने की वजह से वह अन्य जजों द्वारा उत्पीड़ित किए जाते हैं.

पिछले साल जस्टिस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम द्वारा मद्रास हाईकोर्ट से कलकत्ता हाईकोर्ट में ट्रांसफर किए जाने के आदेश पर भी उन्होंने सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा था कि वह ऐसे देश में बसना चाहते हैं जहां जातिवाद न हो. साथ ही उन्होंने भारत में पैदा होने का दुख भी जताया था.

जस्टिस कर्णन को मार्च 2009 में मद्रास हाईकोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त किया गया था. इसके बाद वह लगातार जजों और सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ अपने अलग अलग बयानों की वजह से सुर्खियों में बने रहे.

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