जम्मू कश्मीर की ज़िला अदालतों की नौकरियों के लिए देशभर से आवेदन मांगे जाने पर विवाद

विपक्षी दलों ने इन दोनों केंद्र शासित क्षेत्रों के रोज़गार के अवसरों को सभी भारतीयों के लिए खोलने पर कड़ी आपत्ति जताई है. इन दलों ने जम्मू कश्मीर में सरकारी नौकरियों में स्थानीय निवासियों को आरक्षण देने की मांग की है.

जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक)

विपक्षी दलों ने इन दोनों केंद्र शासित क्षेत्रों के रोज़गार के अवसरों को सभी भारतीयों के लिए खोलने पर कड़ी आपत्ति जताई है. इन दलों ने जम्मू कश्मीर में सरकारी नौकरियों में स्थानीय निवासियों को आरक्षण देने की मांग की है.

जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक)
जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक)

जम्मू: जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख की जिला अदालतों में खाली 33 पदों को भरने के लिये देशभर से आवेदन आमंत्रित किए हैं, जिस पर विवाद खड़ा हो गया है.

पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान खत्म होने के बाद यहां पहली बार भर्तियां निकाली गई हैं.

विपक्षी दलों ने इन दोनों केंद्र शासित क्षेत्रों के रोजगार के अवसरों को सभी भारतीयों के लिए खोलने पर कड़ी आपत्ति जताई है.

उच्च न्यायालय ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख की जिला अदालतों में जिन 33 गैर राजपत्रित अधिकारी पदों के लिए देशभर के योग्य उम्मीदवारों से आवेदन मांगे हैं, उनमें वरिष्ठ तथा कनिष्ठ स्तर के आशुलिपिक (स्टेनोग्राफर), टंकक (टाइपिस्ट), कंपोजिटर, बिजली मिस्त्री तथा चालकों के पद शामिल हैं.

रिक्तियों को भरने के लिए जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के महापंजीयक संजय धर की ओर से 26 दिसंबर को जारी विज्ञापन में आवेदन जमा कराने की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2020 दी गई है.

अदालत की इस अधिसूचना के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस, जेकेएनपीपी और विभिन्न वाम दलों समेत विपक्षी पार्टियों ने विरोध किया है. उन्होंने जम्मू कश्मीर में सरकारी नौकरियों में स्थानीय निवासियों को आरक्षण देने की मांग की.

नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रांतीय अध्यक्ष देवेंद्र सिंह राणा ने दलील दी कि हालिया वर्षों में केंद्र शासित प्रदेश में बेरोजगारी खतरनाक ढंग से बढ़ी है और राज्य की नौकरियां सिर्फ स्थानीय लोगों के लिये आरक्षित होनी चाहिए.

राणा ने कहा, ‘जम्मू कश्मीर की सरकारी नौकरियां शिक्षित बेरोजगार स्थानीय निवासियों के लिये हैं और इन्हें सिर्फ स्थानीय लोगों के लिये ही आरक्षित रखा जाए.’

जम्मू कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी (जेकेएनपीपी) के अध्यक्ष हर्षदेव सिंह ने पत्रकारों से कहा, ‘यह न केवल स्थानीय, बेरोजगार, शिक्षित युवाओं की उम्मीदों पर पानी फेरेगा, बल्कि पूर्ववर्ती राज्य के शिक्षित और आकांक्षी युवाओं पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा.’

वहीं माकपा की राज्य इकाई के सचिव जीएन मलिक ने भी इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि यह अनुच्छेद 370 और 35ए हटाए जाने के बाद भाजपा सरकार का जम्मू कश्मीर के बेरोजगार युवाओं के लिए ‘पहला तोहफा’ है.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश रिक्तियों के लिए लिए स्नातक डिग्री वाले आवेदन कर सकते हैं. बिजली मिस्त्री 12 तक की शिक्षा अनिवार्य है और ड्राइवर के लिए मिडिल स्कूल पास होने के साथ आवेदक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस जरूरी है.

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार आवेदन से संबंधित विज्ञापन में कहा गया है, ‘जम्मू कश्मीर और लद्दाख के सभी मुख्य जिला न्यायाधीश आवेदकों की सूची के साथ सभी आवेदन जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को सात फरवरी 2020 से पहले भेज सकते हैं.’

कश्मीर, भद्रवाह, किश्तवाड़ और लद्दाख के मुख्य न्यायाधीशों से इसके लिए सभी जरूरी व्यवस्थाएं करने को कहा गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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