रोज़गार के लिए उत्तर प्रदेश से हो रहा सबसे ज्यादा पलायन: एसोचैम

साल 2001 से 2011 के बीच करीब 59 लाख लोगों ने उत्तर प्रदेश से पलायन किया. पिछले दशक की तुलना में यह आंकड़ा दोगुना है.

साल 2001 से 2011 के बीच करीब 59 लाख लोगों ने उत्तर प्रदेश से पलायन किया. पिछले दशक की तुलना में यह आंकड़ा दोगुना है.

Migration Reuters
(फोटो: रॉयटर्स)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा संख्या में लोग रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में जाते हैं और हाल के दशकों में यह सिलसिला दोगुनी तेजी से बढ़ा है.

भारतीय वाणिज्य उद्योग मंडल (एसोचैम) और थॉट आर्बिट्रेज रिसर्च इंस्टीट्यूट टारी की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है. एसोचैम ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए छह सूत्री एजेंडा बनाया है जिसे ‘एक्शन प्लान फॉर द न्यू गवर्नमेंट’ नाम दिया गया है.

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा संख्या में लोग रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में जाते हैं और हाल के दशकों में यह सिलसिला और तेज हुआ है.

रिपोर्ट के अनुसार इसे रोकने के लिए विस्थापन अथवा पलायन से प्रभावित क्षेत्रों में क्षमता विकास तथा रोजगार सृजन की जिला आधारित नीतियां बनायी जानी चाहिए. पूर्वी क्षेत्रों से चूंकि ज्यादा पलायन हो रहा है इसलिये कौशल विकास केंद्रों की स्थापना इन्हीं इलाकों में की जानी चाहिए.

रिपोर्ट के मुताबिक 2001 से 2011 के बीच 20 से 29 साल आयु वर्ग के 58 लाख 34 हजार लोगों ने रोजगार के लिए दूसरे स्थानों पर पलायन किया जबकि 1991 से 2001 के बीच यह आंकड़ा 29 लाख 55 हजार था. इस तरह से पलायन का आंकड़ा लगभग दोगुना हो चुका है.

एसोचैम के अध्यक्ष संदीप जजोडिया, महासचिव डीएस रावत तथा टारी की निदेशक क्षमा वी कौशिक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद प्रेस कांफ्रेंस में इस सुझाव पत्र को संयुक्त रूप से जारी किया. मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री को यह सुझाव-पत्र भेंट भी किया गया.

रावत ने कहा प्रदेश से रोजगार के वास्ते पलायन रोकने के लिये कौशल विकास कार्यक्रम खासकर उन कार्यों पर केंद्रित होना चाहिये, जिनसे श्रमिकों को अपने राज्य के बाहर काम मिलता है. इनमें निर्माण, संगठित खुदरा व्यवसाय एवं परिवहन वाहन चालक शामिल हैं.

एसोचैम के अध्यक्ष जजोडिया ने कहा कि उद्योग मंडल जुलाई के अंतिम सप्ताह में लखनऊ में महिला उद्यमियों का स्टैंडअप कांफ्रेंस आयोजित करेगा. मुख्यमंत्री योगी ने इसमें मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करने पर रजामंदी दी है.

उन्होंने बताया कि एसोचैम ने प्रदेश की नई उद्योग नीति में सरकार के साथ सहयोग करने की इच्छा जतायी है. एसोचैम जल्द ही एक समिति गठित करेगा. यह समिति देश की सबसे सफल उद्योग नीतियों का गहराई से अध्ययन करके एक मसविदा तैयार करेगी.

यह प्रपत्र 15 जुलाई तक राज्य सरकार को सौंप दिया जाएगा. राज्य सरकार से अनुरोध किया जाएगा कि वह इस मसविदे में शामिल सुझावों को नई उद्योग नीति में शामिल करे.

राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा ने अपने चुनाव घोषणा-पत्र में पलायन का मुद्दा खासतौर से उठाया था. रावत ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कृषि तथा सम्बन्धित गतिविधि क्षेत्र उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है.

यह क्षेत्र अपने कार्यबल के 66 प्रतिशत हिस्से को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ-साथ कुल आय में 23 प्रतिशत का योगदान करता है. इसके बावजूद सार्वजनिक क्षेत्र में निवेश घट रहा है और ग्रामीण मूलभूत ढांचा लगातार खराब होता जा रहा है.

टारी की निदेशक क्षमा वी कौशिक ने कहा कि उत्तर प्रदेश से पलायन को रोकने के लिए गुणवत्तापूर्ण क्षमता विकास बहुत जरूरी है. खासकर कौशल विकास का प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षकों को भी प्रशिक्षित करने की जरूरत है. स्टार्ट अप नीति के क्रियान्वयन पर बहुत ध्यान देने की आवश्यकता है.

पत्र में सुझाव दिया गया है कि राज्य सरकार को औरैया एवं झांसी में एकीकृत औद्योगिक टाउन के विकास, दादरी-नोएडा-गाजियाबाद निवेश क्षेत्र की स्थापना तथा आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के किनारे आईटी निवेश क्षेत्र बनाने पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए. ये परियोजनाएं या तो प्रस्तावित हैं, अथवा स्वीकृत की जा चुकी हैं. ऐसी ही और परियोजनाएं भी स्थापित की जानी चाहिए.

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