सीमा पर 42 गांवों में पाकिस्तानी गोलीबारी, लगातार चौथे दिन संघर्ष विराम का उल्लंघन

सर्जिकल स्ट्राइक को चुनावों में ख़ूब भुनाया गया. सरकार का दावा था कि अब पाकिस्तान की ओर से हमलों और पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद पर लगाम लग जाएगी. लेकिन हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं.

/
सीमा पर गोलीबारी के चलते गांव ख़ाली करके शिविरों में जाते लोग. (फोटो: पीटीआई)

सर्जिकल स्ट्राइक को चुनावों में ख़ूब भुनाया गया. सरकार का दावा था कि अब पाकिस्तान की ओर से हमलों और पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद पर लगाम लग जाएगी. लेकिन हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं.

Rajouri: Border migrants take shelter in a bunker after shelling from Pakistan side at Nowshera sector of Rajouri district on Saturday. PTI Photo
राजौरी ज़िले के नौशेरा सेक्टर में पाकिस्तान की ओर से जारी गोलाबारी के बीच बंकर में शरण लेता एक परिवार. (फोटो: पीटीआई)

भारत पाकिस्तान सीमा पर लगातार चार दिन से गोलीबारी हो रही है. 14 मई को लगातार चौथे दिन पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम का उल्लंघन करते हुए राजौरी के चिती बकरी इलाक़े में गोलीबारी की. इसके पहले 13 मई को नौशेरा के आवासीय इलाक़ों को निशाना बनाया गया, जिसमें 3 नागरिकों की मौत हुई और 13 नागरिक व कई रेंजर जख़्मी हो गए.

समाचार एजेंसी भाषा की 13 मई की ख़बर के मुताबिक, पाकिस्तानी सैनिकों ने पिछले तीन दिनों में तीसरी बार नियंंत्रण रेखा से लगे कई इलाक़ों में भारी गोलाबारी की जिसमें तीन भारतीय नागरिकों की मौत हो गई और छह अन्य घायल हो गए. गोलाबारी से राजौरी ज़िले के नौशेरा और मांजाकोटे सेक्टरों में 42 गांवों और कई रक्षा चौकियों को निशाना बनाया गया.

भारतीय सेना ने कहा कि पाकिस्तानी सेना की ओर से बिना उकसावे के छोटे हथियारों और स्वचालित हथियारों तथा मोर्टार से गोलाबारी की गई जिसका वह ज़ोरदार एवं प्रभावी तरीके से जवाब दे रही है. राजौरी और पुंछ के बालाकोट में नियंत्रण रेखा से लगे क्षेत्र में स्कूल अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिये गए और लोगों से सीमाई इलाकों में नहीं जाने को कहा गया है.

Villagers move with their belongings to a safer place after heavy shelling from Pakistan side along the line of control in Rajouri district in Jammu on Saturday. PTI
पाकिस्तान की ओर से की जा रही गोलीबारी के बीच राजौरी ज़िले में लाइन आॅफ कंट्रोल के पास स्थित एक गांव से अपने सामान के साथ सुरक्षित स्थान के लिए जाता एक परिवार. (फोटो: पीटीआई)

एजेंसी के मुताबिक, सरकार ने पिछले महीने कहा था कि पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने पिछले एक साल में 268 बार संघर्षर्विराम का उल्लंघन किया है, जिसमें नौ लोगों की मौत हुई. राजौरी में नियंत्रण रेखा से लगे गांवों से 270 लोगों को निकालकर शिविरों में पहुंचाया गया है. अभी तक तीन शिविर चालू किये गए हैं और 28 अन्य को अधिसूचित किया गया है. विभिन्न विभागों के क़रीब 120 अधिकारियों को राहत शिविरों में सुविधाओं की देखरेख करने के लिए लगाया गया है.

राजौरी में नियंत्रण रेखा से सटे इलाके में 10 मई की रात को पाकिस्तानी गोलाबारी में एक महिला की मौत हो गई थी और दो अन्य जख्मी हो गए थे.

आज तक की ख़बर के मुताबिक, ‘पाकिस्तान द्वारा राजौरी के मंजाकोटे इलाक़े के सात गांवों को निशाना बनाया गया है और 82 एमएम और 120 एमएम मोर्टार से अंधाधुंध फायरिंग की जा रही है. नौशेरा में गोलीबारी से ख़ौफ़ज़दा सैकड़ों लोगों ने राहत कैंपों में पनाह ली है. इलाक़े के स्कूल- कॉलेजों को भी बंद कर दिया गया है.’

लेफ्टिनेंट उमर फ़याज़ का अपहरण कर बेरहमी से हत्या 

कश्मीर के शोपियां जिले में नौ मई को आतंकवादियों ने सेना के अधिकारी लेफ्टिनेंट उमर फयाज का अपहरण कर लिया फिर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी. वे किसी रिश्तेदार के शादी समारोह में शिरकत करने वहां गए थे. पुलिस ने बताया कि लेफ्टिनेंट उमर फयाज का शोपियां में उनके रिश्तेदार के घर से अपहरण कर लिया गया था और 10 मई की सुबह शोपियां जिले के हेरमैन इलाके से उनका गोलियों से छलनी हुआ शव बरामद हुआ.

Screen Shot 2017-05-10 at 3.49.28 PM
लेफ्टिनेंट उमर फ़याज़ (फोटो: एएनआई)

दूसरी तरफ, नौ मई को ही कश्मीर के बारामुला जिले में नियंत्रण रेखा पर आतंकवादियों ने घुसपैठ की कोशिश की, जिसे सेना के जवानों ने विफल कर दिया.

अपहरण के बाद लेफ्टिनेंट फ़याज़ की हत्या पर रक्षा मंत्री अरुण जेटली का कहना था कि ‘शोपियां में लेफ्टिनेंट उमर फयाज का अपहरण और उनकी हत्या आतंकवादियों की कायरता और नीचतापूर्ण हरकत है.’ निश्चित तौर पर यह बात सही है. लेकिन उन्होंने या उनकी सरकार ने अपने उस झूठ पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है कि ‘नोटबंदी से और सर्जिकल स्ट्राइक से पाकिस्तानी समर्थित आतंकवाद की कमर टूट जाएगी.’

दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में 6 मई की रात हुए आतंकवादी हमले में एक पुलिसकर्मी शहीद हो गया. पुलिस की जवाबी कार्रवाई में एक आतंकवादी भी मारा गया. साथ में दो नागरिकों की भी मौत हो गई. मुठभेड़ में एक पुलिसकर्मी और एक आतंकवादी सहित कुल चार लोग मारे गए. हमले में तीन लोग घायल भी हुए.

इस महीने के पहले ही दिन यानी एक मई को कुलगाम में जम्मू-कश्मीर बैंक की कैश वैन पर आतंकियों ने हमला कर दिया था, जिसमें पांच पुलिस जवान शहीद हो गए थे. बैंक के दो अफसरों की भी जान चली गई. आतंकवादी कैश वैन से 50 लाख रुपये और जवानों के हथियार अपने साथ ले गए थे.

एक मई को ही सीमा पर पाकिस्तान ने कृष्ण घाटी सेक्टर में रॉकेट और मोर्टार दागने के साथ भारी गोलीबारी की. इस दौरान पाकिस्तानी सेना ने दो भारतीय जवानों की हत्या करके उनके शवों के साथ बर्बरता की थी. पुंछ में पाकिस्तान ने संघर्षविराम का उल्लंघन किया और फायरिंग की आड़ में बर्बरता पूर्वक भारतीय जवानों की हत्या की. गोलीबारी में एक अन्य जवान राजेंद्र सिंह जख़्मी भी हुआ था. रक्षा मंत्री अरुण जेटली और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस घटना की ‘कड़ी निंदा’ करके अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली.

पिछले छह महीने में तीसरी बार जवानों के शव के साथ बर्बरता की गई. पाकिस्तानी सेना ने पुंछ और राजौरी सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर अप्रैल महीने में सात बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया.

एनडीटीवी के मुताबिक, सीमा पर इस साल यानी जनवरी से अप्रैल तक 65 दफा सीजफायर का उल्‍लंघन हुआ है. इस साल 42 आतंकी मारे गए हैं. 2016 में 225 दफा युद्धविराम का उल्‍लंघन हुआ था, 2015 में 150 बार और 2014 में 153 दफा युद्धविराम का उल्‍लंघन हुआ.

जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा के पंजगाम सेक्टर में 27 अप्रैल को आर्मी कैंप पर हुए आतंकी हमले में एक कैप्टन समेत तीन जवान शहीद हो गए थे. सेना की जवाबी कार्रवाई में दो आतंकी भी मारे गए थे. इसके पहले 17 अप्रैल को जम्मू एवं कश्मीर के पुंछ जिले में एलओसी हुई गोलीबारी में एक भारतीय जवान शहीद हो गया था.

क्या सर्जिकल स्ट्राइक बेअसर हो गई?

सीमा पर लगातार आतंकी हमलों और जवानों की दुखद शहादत के बीच यह सवाल उठता है कि जिस सर्जिकल स्ट्राइक के बाद प्रधानमंत्री ने दावा किया था कि अब आतंकी हमले नहीं होंगे, उस दावे का क्या हुआ?

इसी तरह आर्थिक सर्जिकल स्ट्राइक यानी नोटबंदी से नक्सलवाद और आतंकवाद का ख़ात्मा होने की घोषणा प्रधानमंत्री ने की थी, लेकिन हाल ही में नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 25 जवान शहीद हो गए.

बीती फरवरी में पांच राज्यों में चुनावी माहौल के बीच उत्तराखंड के श्रीनगर में आयोजित एक चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब ये शब्द बोल रहे थे, उसी समय मीडिया में खबरें रही थीं कि सीमा पर तीन जवान शहीद हो गए.

उधर तीन जवान शहीद हुए थे उधर प्रधानमंत्री बोल रहे थे- ‘…भाइयों बहनों, फौज के प्रति सम्मान क्या होता है, यह हमारी सरकार ने करके दिखाया है. भाइयों बहनों, हमने सर्जिकल स्ट्राइक किया, देश की सेना जवान कब तक मार झेलते रहेंगे? कब तक दुश्मनों का वार झेलते रहेंगे? भाइयों बहनों, वक्त बदल चुका है, दिल्ली में सरकार बदल चुकी है, मेरे देश का फौजी अब वार नहीं सहेगा. वह प्रतिवार करेगा.’

प्रधानमंत्री ने अपनी रैली में सर्जिकल स्ट्राइक पर सरकार की पीठ ठोंकी और विपक्ष घेरने की कोशिश की. यदि प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी चुनावी रैलियों में सर्जिकल स्ट्राइक पर वोट मांग रहे हैं तो उनके और सरकार के दावे पर निश्चित ही यह विचार करना चाहिए कि वाकई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान की अकल ठिकाने आ गई है या नहीं?

हैरानी की बात है कि जिस सर्जिकल स्ट्राइक पर प्रधानमंत्री जनता का समर्थन मांग रहे हैं, उस सर्जिकल स्ट्राइक के बाद सीमा पर झड़प, घुसपैठ, आतंकी हमले और गोलीबारी की घटनाएं उल्लेखनीय स्तर तक बढ़ गई हैं.

अप्रैल महीने में दो तारीख़ को श्रीनगर के नौहट्टा में ग्रेनेड हमले में एक पुलिसकर्मी शहीद हुआ और 14 लोग घायल हुए. फिर अगले दिन तीन अप्रैल को श्रीनगर के पास पंथा चौक पर सीआरपीएफ काफिले पर हुए हमले में एक जवान शहीद हो गया.

23 फरवरी को शोपियां ज़िले में आतंकियों के हमले में तीन जवान शहीद हो गएग और एक महिला नागरिक मारी गई. 14 फरवरी को उत्तरी कश्मीर में अलग अलग दो मुठभेड़ हुई जिसमें 4 आतंकी मारे गए और 4 सैनिक भी शहीद हुए.

इंडियन एक्सप्रेस अखबार की खबर के मुताबिक, 12 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में सेना के तीन जवान शहीद हो गए. इस मुठभेड़ में चार आतंकीऔर दो नागरिक भी मारे गए.

इसके पहले 28 जनवरी को कुपवाड़ा में घुसपैठियों से मुठभेड़ में देहरादून के संदीप सिंह रावत शहीद हो गए थे.

बीते साल 18 सितंबर को चार आतंकवादियों ने उरी सेक्टर में आर्मी हेडक्वार्टर पर हमला कर दिया था, जिसमें 19 जवान शहीद हो गए थे. इसके बाद 28-29 सितंबर की रात सेना की स्पेशल फोर्स ने आतंकियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की थी. कहा गया कि सेना के कमांडोज ने एलओसी के पार जाकर पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकियों के 7 कैंप तबाह कर दिए, इस कार्रवाई में 38 आतंकी मारे गए.

2016 में 2008 के बाद सबसे ज़्यादा शहादत 

इस कार्रवाई के बाद से ही भारत सरकार आम आदमी की भाषा में यह प्रचारित करने की कोशिश कर रही है कि उसने सेना को पाकिस्तान में घुसकर मारने की इजाजत दे दी है. लेकिन इस कार्रवाई से फायदा क्या हुआ?

आंकड़ों के मुताबिक, 2016 में पूरे साल भर में जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों में कुल 87 जवान शहीद हुए. साल 2008 के बाद किसी एक साल में यह शहादत का सबसे बड़ा आंकड़ा है. खबरों में कहा गया कि सर्जिकल स्ट्राइक की कार्रवाई के बाद से सीमा पर आतंकी हमलों और सैनिकों की शहादत में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई.

28-29 सितंबर की रात को सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक की थी, इसके बाद 15 फरवरी तक जम्मू-कश्मीर में करीब एक दर्जन आतंकी हमले हो चुके हैं. जिसमें शोपियां में सीआरपीएफ की टुकड़ी पर आतंकी हमले से लेकर कुलगाम की मुठभेड़ तक शामिल हैं.

बीते नवंबर में समाचार एजेंसी भाषा ने खबर दी कि ’29 सितंबर को पीओके में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर की गई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से पाकिस्तान नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गोलीबारी की 286 घटनाओं को अंजाम दे चुका है जिनमें 14 सुरक्षाकर्मियों सहित 26 लोगों की मौत हुई है.’

Uri: Army personnel in action inside the Army Brigade camp during a terror attack in Uri, Jammu and Kashmir on Sunday. PTI Photo(PTI9_18_2016_000154B)
(फाइल फोटो: पीटीआई)

यानी जिस सर्जिकल स्ट्राइक को मोदी सरकार चुनावों में अपनी उपलब्धि बताकर वोट मांग रही है, उसके बाद सीमा पर संघर्ष विराम उल्लंघन और घुसपैठ की घटनाओं में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई.

सर्जिकल स्ट्राइक के बाद 29 नवंबर को जम्मू के नगरोटा में आतंकियों ने सैन्य शिविर पर हमला किया जिसमें दो अधिकारी सहित सात जवान शहीद हो गए. यह हमला 16 कोर मुख्यालय के निकट सैन्य शिविर पर था जो सुरक्षा की दृष्टि से यह काफी संवेदनशील है. सेना की सबसे बड़ी ऑपरेशनल नगरोटा कोर के मुख्यालय के पास यह पहली बार था जब आतंकी हमला हुआ.

कुछ अन्य मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उरी हमले के बाद से 30 नवंबर तक 27 जवान पाकिस्तानी फायरिंग व आतंकी हमले में शहीद हुए.

टेरर वाच डेटा साइट साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के मुताबिक, 2008 में कुल 90 जवान शहीद हुए थे. 2009 में यह संख्या 78 रही. 2010 में 67, 2011 में 30, 2012 में 17, 2013 में 61, 2014 में 51 और 2015 में 41 जवान आतंकी हमलों में शहीद हुए थे.

साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के हवाले से द क्विंट बेवसाइट के मुताबिक, ‘उरी आतंकी हमले में मारे गए 18 जवानों से अलग 156 जवान अकेले नरेंद्र मोदी सरकार के दो साल के कार्यकाल में शहीद हुए हैं. आतंकी वारदातों में मारे गए जवानों की सालाना औसत मृत्यु दर पर नजर डालें, तो यह आंकड़ा कांग्रेस की मनमोहन सरकार से जरा भी कम नहीं है. बल्कि कश्मीर में आतंकी वारदातों की संख्या वाजयेपी और मनमोहन सरकार की तुलना में मोदी सरकार के दौरान बढ़ी हैं.’

साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के मुताबिक, 1988 से लेकर सितंबर, 2016 तक आतंकी वारदातों में कुल 6,250 भारतीय सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं. जवाबी कार्रवाई में कुल 23,084 आतंकियों को भारतीय जवानों ने मारा. इन घटनाओं में करीब 15000 नागरिक मरे हैं.

इस बीच एक आरटीआई के जवाब में गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि पाकिस्तान ने 2015 और 2016 में रोज संघर्ष विराम का उल्लंघन किया है. इन 2 सालों में संघर्ष विराम उल्लंघन में ही भारत के 23 जवान शहीद हुए.

गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, 2012 से 2016 के दौरान जम्मू-कश्मीर में 1,142 आतंकी घटनाएं हुईं. इसमें 236 जवान शहीद हुए और 90 नागरिक भी मारे गए. इस दौरान भारतीय सेना ने 507 आतंकियों को मार गिराया.

गृह मंत्रालय के मुताबिक, पाकिस्तान ने 2016 में सीमा पर 449 और 2015 में 405 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया. 2012 में जम्मू-कश्मीर में 220, 2013 में 170, 2015 में 208 और 2016 में 322 आतंकी घटनाएं हुईं. .

आतंकी घटनाओं में 2012 में 15, 2013 में 53, 2014 में 47, 2015 में 39 और 2016 में 87 जवान शहीद हुए.

एक अन्य आरटीआई के जवाब में गृह मंत्रालय ने बताया है कि जम्मू कश्मीर में अलगाववादी और आतंकवादी हिंसा के चलते पिछले तीन दशक में 40 हज़ार से ज़्यादा मौतें हो चुकी हैं. 1990 से लेकर 9 अप्रैल 2017 तक यानी पिछले 27 सालों में अब तक आतंकवादी हमलों और अभियानों में 40961 लोग मारे गए हैं. इनमें स्थानीय नागरिक, सुरक्षा बल के जवान और आतंकवादी शामिल हैं. आंकड़ों के मुताबिक 1990 से 31 मार्च 2017 तक की अवधि में घायल हुए जवानों की संख्या 13502 हो गई है.

सवाल उठता है कि क्या लगातार युद्ध, गोलीबारी और मौतें ही पाकिस्तानी समस्या का समाधान हैं? मौतों की इस आंकड़ेबाजी में बढ़ोत्तरी के सिवा नरेंद्र मोदी सरकार की क्या उपलब्धि है?