कश्मीर में जो बच्चे कट्टरपंथी हो गए हैं, उन्हें शिविरों में रखने की ज़रूरत: बिपिन रावत

देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने एक कार्यक्रम में कहा कि घाटी में चरमपंथ से निपटने के लिए सबसे पहले यह विचारधारा फैलाने वालों की पहचान करके उन पर कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता है. चरमपंथ से प्रभावित बच्चों को बाकी बच्चों से अलग किया जाना चाहिए.

New Delhi: Army Chief Bipin Rawat addresses a press conference ahead of Army Day, in New Delhi, Thursday, Jan. 10, 2019. (PTI Photo/Manvender Vashist) (PTI1_10_2019_000077B)
New Delhi: Army Chief Bipin Rawat addresses a press conference ahead of Army Day, in New Delhi, Thursday, Jan. 10, 2019. (PTI Photo/Manvender Vashist) (PTI1_10_2019_000077B)

देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने एक कार्यक्रम में कहा कि घाटी में चरमपंथ से निपटने के लिए सबसे पहले यह विचारधारा फैलाने वालों की पहचान करके उन पर कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता है. चरमपंथ से प्रभावित बच्चों को बाकी बच्चों से अलग किया जाना चाहिए.

New Delhi: Army Chief Bipin Rawat addresses a press conference ahead of Army Day, in New Delhi, Thursday, Jan. 10, 2019. (PTI Photo/Manvender Vashist) (PTI1_10_2019_000077B)
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत. (फाइल फोटोः पीटीआई)

नई दिल्लीः देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत का कहना है कि कश्मीर में 10 और 12 साल के छोटे बच्चों को कट्टरपंथी बनाया जा रहा है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार को नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय ‘रायसीना डायलॉग’ कार्यक्रम में सीडीएस रावत ने कहा कि जो बच्चे पूरी तरह से कट्टरपंथी बन गए हैं, उनकी पहचान कर उन्हें ऐसे शिविरों में रखने की जरूरत हैं, जहां से वे वापस मुख्यधारा में लौट सकें.

उन्होंने कहा कि सबसे पहले लोगों को कट्टर बनाने वालों की पहचान कर उन पर कार्रवाई करने की जरूरत है.

इस दौरान उनसे पूछा गया कि अगर देश में कट्टरता के खिलाफ अभियान कारगर साबित नहीं हो रहा है तो आतंकवाद पर काबू कैसे पाया जा सकता है?

इसके जवाब में सीडीएस ने कहा, ‘कट्टरवाद को खत्म किया जा सकता है. वे कौन लोग हैं जो लोगों को कट्टर बना रहे हैं. स्कूलों में, विश्वविद्यालयों में, धार्मिक स्थलों में ऐसे लोग हैं. ऐसे लोगों का समूह है जो कट्टरता फैला रहे हैं. आपको सबसे पहले नब्ज पकड़ना होगा. आपको ऐसे लोगों की पहचान कर इन्हें लगातार अलग-थलग करना होगा.’

उन्होंने कहा, ‘यह स्कूलों, यूनिवर्सिटी, धार्मिक स्थलों हर जगह हो रहा है. ऐसे कुछ लोगों का समूह है, जो ये फैला रहे हैं. इस तरह के लोगों की पहचान कर दूसरे लोगों को धीरे-धीरे इनसे अलग करने की जरूरत है.’

उन्होंने कहा, ‘लोगों को कट्टरपंथी बनाए जाने से रोकने के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया जाना चाहिए. सबसे पहले पूरी तरह कट्टरपंथी बन चुके लोगों को पहचानने की जरूरत है.’

रावत ने कश्मीर का उदाहरण देते हुए कहा, ‘हम कश्मीर में जो देख रहे हैं, हम वहां लोगों को कट्टरपंथी बनते देख रहे हैं. आज छोटे-छोटे बच्चों तक को कट्टरपंथी बनाया जा रहा है. 10 से 12 साल तक के बच्चे, बच्चियों को कट्टरपंथी बनाया जा रहा है.’

बिपिन रावत ने कहा, ‘इन लोगों को भी धीरे-धीरे इस कट्टरपंथ से अलग किया जा सकता है लेकिन दूसरी तरफ ऐसे भी लोग हैं, जो पूरी तरह से कट्टरपंथी बन गए हैं, जिन्हें अलग करके ऐसे कैंपों ले जाने की जरूरत हैं, जहां से वे मुख्यधारा में लौट सकें.’

सीडीएस ने कहा कि दूसरे चरण में पता लगाना होगा कि किन लोगों में कट्टरता का कितना अंश है. जो लोग पूरी तरह कट्टर बन चुके हैं, उनसे काम शुरू करना होगा. उन्हें कट्टरता के खिलाफ कार्यक्रमों में शामिल करना होगा. 12 साल के लड़के-लड़कियों को भी कट्टरता का पाठ पढ़ाया जा रहा है. इन लोगों को धीरे-धीरे कट्टरता से दूर किया जा सकता है. इसके लिए ‘डीरैडिकलाइजेशन कैंप’ बनाना होगा.

उन्होंने कहा, ‘आपको बता दूं कि पाकिस्तान भी यह कर रहा है. वहां ऐसे कैंप हैं क्योंकि कुछ आतंकवादी संगठन जिन्हें उसने बढ़ावा दिया, अब उसे ही नकुसान पहुंचाने लगे हैं.’

घाटी में पैलेट गण के इस्तेमाल पर जनरल रावत ने कहा, ‘सेना पैरों पर ही निशाना बनाती है, लेकिन जब लोग पत्थर उठाने के लिए नीचे झुकते हैं, तब उनके चेहरे पर चोट पहुंचती है. यही वजह है कि पैलेट गन से लगी चोटों के लिए सेना को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.’

जब उनसे यह पूछा गया कि क्या भारतीय सेना कश्मीर में कुछ ज्यादा ही कड़ाई नहीं करती है? जनरल रावत ने कहा, ‘इस तरह की धारणा बनाई गई है. जब (1990 के समय) छद्म युद्ध लड़ा जा रहा था, तब सेना ने कड़ाई की थी, लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है.’

उन्होंने यह बताते हुए कि एक आतंकी को मारने में तीन सैनिक शहीद होते हैं, कहा, ‘अगर हम इतनी ही सख्ती कर रहे होते, तब इतनी मौतें नहीं होतीं.’.

सीडीएस ने पाकिस्तान के नाम का जिक्र किए बिना कहा कि हमें आतंकवाद से निपटने के लिए ठीस उसी तरह का रुख अपनाना होगा, जैसा अमेरिका ने  9/11 हमला होने के बाद अपनाया था.

उन्होंने कहा, ‘हमें आतंकवाद को खत्म करना होगा और ऐसा सिर्फ उसी तरीके से किया जा सकता है जो तरीका अमेरिका ने 9/11 हमले के बाद अपनाया. उन्होंने (अमेरिकियों ने) आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक युद्ध छेड़ दिया.’

सीडीएस ने कहा, ‘आतंकवाद के खात्मे के लिए आतंकवादियों के साथ-साथ उन सभी को अलग-थलग करने की जरूरत है जो आतंकवाद की फंडिंग या उसका बचाव करते हैं. इन्हें दंडित करना ही होगा.’

उन्होंने आतंकवादी संगठनों के साथ शांति समझौतों के बारे में कहा कि ऐसे समझौतों में अमन-चैन सुनिश्चित करने की गारंटी ली जानी चाहिए.

जनरल रावत ने कहा, ‘आपको (अफगानिस्तान में) सभी के साथ शांति समझौता करना है, अगर आप आपको उनके साथ यह करना है तो आपको शांति सुनिश्चित करनी होगी. तालिबान हो या आतंकवाद में संलिप्त कोई भी संगठन, उन्हें आतंक के मंसूबे त्यागना होगा, उन्हें मुख्यधारा की राजनीति में आना ही होगा.’

रायसीना डायलॉग पहली बार 2015 में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन थिंक टैंक ने भारतीय विदेश मंत्रालय के सहयोग से शुरू किया था. हर साल इसमें अलग-अलग देशों के प्रमुख और विदेश मंत्री पहुंचते हैं. इस साल 17 देशों के मंत्री और विदेश नीति के जानकार कार्यक्रम में पहुंचे हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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