विधायकों की अयोग्यता: सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर की शक्तियों पर संसद से पुनर्विचार करने को कहा

सर्वोच्च न्यायालय ने विधानसभाओं के सदस्यों की अयोग्यता के बारे में निर्णय लेने के लिए एक स्वतंत्र तंत्र की स्थापना का सुझाव दिया है.

(फोटो: पीटीआई)

सर्वोच्च न्यायालय ने विधानसभाओं के सदस्यों की अयोग्यता के बारे में निर्णय लेने के लिए एक स्वतंत्र तंत्र की स्थापना का सुझाव दिया है.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को विधानसभाओं के सदस्यों की अयोग्यता के बारे में निर्णय लेने के लिए एक स्वतंत्र तंत्र की स्थापना का सुझाव दिया.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जस्टिस आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने संसद को यह पुनर्विचार करने को कहा है कि क्या सदन के अध्यक्ष और किसी राजनीतिक दल के सदस्य के पास विधायकों को अयोग्य ठहराने की शक्ति होनी चाहिए.

शीर्ष अदालत कांग्रेस नेताओं द्वारा मणिपुर विधानसभा से विधायक टी. श्यामकुमार सिंह को दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित करने की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. सिंह ने 2017 में कांग्रेस के टिकट पर मणिपुर विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन बाद में भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के मंत्री के रूप में शपथ ली.

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर विधानसभा के स्पीकर को इस याचिका पर फैसला लेने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता मो. फजुर रहमान और के. मेघाचंद्रा को ये रियायत दी है कि अगर फैसला नहीं दिया जाता है तो वे दोबारा कोर्ट आ सकते हैं.

इससे पहले मणिपुर हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था और दसवीं अनुसूची के तहत अपने अधिकार क्षेत्र की सीमा का हवाला देते हुए कोई भी आदेश को पारित करने से इनकार कर दिया.