जेएनयू में हिंसा से पहले सर्वर रूम में सीसीटीवी कैमरे नहीं तोड़े गए थेः आरटीआई

आरटीआई में हुआ ये खुलासा जेएनयू प्रशासन के उन दावों के विपरीत है, जिनमें कहा गया था कि छात्रों ने तीन जनवरी को बायोमीट्रिक प्रणाली और सीसीटीवी कैमरों को तोड़ दिया था. पांच जनवरी को हुई हिंसा के बाद प्रशासन ने छात्रसंघ अध्यक्ष ओइशी घोष और अन्य छात्रों के ख़िलाफ़ सर्वर रूम में तोड़फोड़ करने के आरोप में केस दर्ज कराया था.

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New Delhi: JNU students gather at the entrance gate of the Jawahar Lal University before leaving for their protest march from Mandi House to HRD Ministry, demanding removal of the university vice-chancellor, in New Delhi, Thursday, Jan. 9, 2020. (PTI Photo) (PTI1_9_2020_000199B)
New Delhi: JNU students gather at the entrance gate of the Jawahar Lal University before leaving for their protest march from Mandi House to HRD Ministry, demanding removal of the university vice-chancellor, in New Delhi, Thursday, Jan. 9, 2020. (PTI Photo) (PTI1_9_2020_000199B)

आरटीआई में हुआ ये खुलासा जेएनयू प्रशासन के उन दावों के विपरीत है, जिनमें कहा गया था कि छात्रों ने तीन जनवरी को बायोमीट्रिक प्रणाली और सीसीटीवी कैमरों को तोड़ दिया था. पांच जनवरी को हुई हिंसा के बाद प्रशासन ने छात्रसंघ अध्यक्ष ओइशी घोष और अन्य छात्रों के ख़िलाफ़ सर्वर रूम में तोड़फोड़ करने के आरोप में केस दर्ज कराया था.

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) (फोटो: पीटीआई)
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के सर्वर रूम में बायोमीट्रिक प्रणाली और सीसीटीवी संबंधी तोड़फोड़ जनवरी के पहले सप्ताह में नहीं हुई थी. विश्वविद्यालय ने यह बात एक आरटीआई आवेदन के जवाब में कही है.

यह विश्वविद्यालय प्रशासन के उन दावों के विपरीत है, जिनमें कहा गया था कि छात्रों ने तीन जनवरी को बायोमीट्रिक प्रणाली और सीसीटीवी कैमरों को तोड़ दिया था.

नेशनल कैम्पेन फॉर पीपुल्स राइट टू इन्फॉर्मेशन के सदस्य सौरव दास ने आरटीआई के तहत आवेदन दायर कर यह जानकारी मांगी थी.

विश्वविद्यालय द्वारा दी गई जानकारी में कहा गया है कि सेंटर फॉर इन्फॉर्मेशन सिस्टम (सीआईएस) में जेएनयू का मुख्य सर्वर तीन जनवरी को बंद हुआ था और अगले दिन बिजली आपूर्ति बाधित होने की वजह से ठप हो गया था.

आरटीआई के जवाब में कहा गया है कि पांच जनवरी को दोपहर तीन बजे से रात 11 बजे तक जेएनयू परिसर के उत्तरी और मुख्य द्वार पर लगे कैमरों की कोई पूरी सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं है. इसी दिन नकाबपोश भीड़ ने कैंपस में छात्रों और शिक्षकों पर हमला किया था.

आरटीआई आवेदन के जवाब में कहा गया, ‘जेएनयू का मुख्य सर्वर तीन जनवरी को बंद हुआ और अगले दिन विद्युत आपूर्ति नहीं होने से यह ठप हो गया. 30 दिसंबर 2019 से आठ जनवरी 2020 के बीच कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं टूटा.’

जवाब में यह भी कहा गया कि चार जनवरी को दोपहर एक बजे 17 फाइबर ऑप्टिकल केबल नष्ट हुईं. 30 दिसंबर 2019 से आठ जनवरी 2020 के बीच कोई बायोमीट्रिक प्रणाली नहीं टूटी.

आरटीआई के जरिए यह भी पूछा गया कि क्या जेएनयू कैंपस में सीआईएस कार्यालय के भीतर या आसपास सीसीटीवी कैमरों के सर्वर हैं?

इसके जवाब में कहा गया कि सीसीटीवी कैमरों के सर्वर डेटा सेंटर में हैं, न कि सीआईएस कार्यालय में.

आरटीआई के जवाब में कहा गया, ‘सीसीटीवी कैमरों की स्थिति का विवरण सुरक्षा कारणों से उपलब्ध नहीं कराया जा सकता है.’

आवेदन में यह भी पूछा गया कि 25 दिसंबर 2019 से आठ जनवरी 2020 तक तकनीकी खामी या समस्या की वजह से जेएनयू की वेबसाइट कितनी बार बंद हुई.

इसके जवाब में कहा गया कि इस अवधि में वेबसाइट वैकल्पिक बैकअप प्रबंधों की वजह से लगातार चलती रही.

मालूम हो कि जेएनयू प्रशासन ने एफआईआर में कहा था कि तीन जनवरी को नकाबपोश छात्रों का एक समूह सीआईएस में जबरन घुसा और बिजली आपूर्ति बंद कर दी, जिससे सर्वर बंद हो गए, जिस वजह से सीसीटीवी सर्विलांस, बायोमीट्रिक अटेंडेंस और इंटरनेट सेवाएं निष्क्रिय हो गईं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जेएनयू के वाइस चांसलर जगदीश कुमार ने कहा था, ‘हम पांच जनवरी की घटना के सीसीटीवी डेटा को इकट्ठा करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि उग्र छात्रों ने इसे नष्ट करने की कोशिश की थी, जिस वजह से कई घंटों तक यह निष्क्रिय रहा था. तीन और चार तारीख को इन्होंने (छात्रों) ऐसा क्यों किया? इन्होंने सर्वर क्यों बंद किए? और फिर पांच जनवरी को ये घटना हुई. क्या इन्हें पता था कि पांच तारीख को कुछ होने जा रहा है?’

मालूम हो कि पांच जनवरी को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुई हिंसा के बाद दिल्ली पुलिस ने जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष ओइशी घोष सहित 19 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. जेएनयू के सर्वर रूम में तोड़फोड़ और सुरक्षा गार्डों पर हमला करने के आरोप में घोष और अन्य 19 लोगों के खिलाफ यह केस विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से दर्ज कराया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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