नागरिकता क़ानून: यूपी में नागरिक सत्याग्रह निकाल रहे छात्र, सामाजिक कार्यकर्ता गिरफ़्तार

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी पर गाजीपुर स्थित सदर के एसडीएम प्रभास कुमार ने कहा कि इस समूह को किसी भी जुलूस की अनुमति नहीं थी और उनके पास से जो पर्चे मिले उसमें सीएए-एनआरसी के विरुद्ध भी कुछ बातें थीं. उनकी गिरफ़्तारी केवल अव्यवस्था फैलाने की आशंकाओं पर की गई है.

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स्थानीय लोगों से बात करते नागरिक सत्याग्रह के सदस्य. (फोटो: द वायर)

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी पर गाजीपुर स्थित सदर के एसडीएम प्रभास कुमार ने कहा कि इस समूह को किसी भी जुलूस की अनुमति नहीं थी और उनके पास से जो पर्चे मिले उसमें सीएए-एनआरसी के विरुद्ध भी कुछ बातें थीं. उनकी गिरफ़्तारी केवल अव्यवस्था फैलाने की आशंकाओं पर की गई है.

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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के चौरी-चौरा से दिल्ली के राजघाट तक 1,300 किलोमीटर की नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा निकाल रहे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं समेत 10 लोगों को गाजीपुर जिले में गिरफ्तार कर लिया गया है.

गिरफ्तार किए गए लोगों में अधिकतर बीएचयू के छात्र हैं, जिनमें प्रियेश पांडे, मुरारी कुमार, राज अभिषेक, अनंत प्रकाश शुक्ल, नीरज राय, अतुल यादव शामिल हैं. इनके साथ सामाजिक कार्यकर्ता मनीष शर्मा, शेष नारायण ओझा, रविंद्र कुमार रवि और प्रदीपिका सारस्वत शामिल हैं.

बता दें कि, छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के इस समूह ने पिछले महीने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ उत्तर प्रदेश में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में पुलिसिया बर्बरता पर एक ‘स्टूडेंट्स रिपोर्ट ऑन पुलिस ब्रूटैलिटी एंड आफ्टरमाथ’ नामक रिपोर्ट जारी की थी.

लगभग 190 किमी की पदयात्रा करके ये सत्याग्रही मऊ से आगे बढ़कर गाजीपुर पंहुचे थे. नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा की शुरुआत चौरी-चौरा के शहीद स्मारक से गत 2 फरवरी 2020 को हुई थी. यात्रा का प्रथम चरण बनारस में 16 फरवरी 2020 को बनारस में सम्पन्न होना तय था.

इन पदयात्रियों के मुताबिक यह यात्रा चौरी-चौरा से इसलिए शुरू की गई क्योंकि ‘यह वो जगह थी जहां 1922 में यानी लगभग सौ साल पहले अंग्रेजों के खिलाफ हुई हिंसा के कारण गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था. उस दिन ऐसे आज़ाद हिंदुस्तान की तासीर तय हो गई थी जहां हिंसा के लिए कोई जगह नहीं थी, फिर चाहे वो हमारा शोषक, हमारा दुश्मन ही क्यों न हो.’

नागरिक सत्याग्रह मुहिम से जुड़े धनंजय त्रिपाठी ने द वायर  से बात करते हुए कहा, ‘हमारी यात्रा गोरखपुर के चौरी-चौरा से निकली थी. गोरखपुर, आजमगढ़, मऊ होते हुए यह गाजीपुर पहुंची थी. गाजीपुर पहुंचते ही पुलिस हमारे साथ चलने लगी लेकिन कहा कि वह केवल सुरक्षा के लिए चल रहे हैं. पदयात्रा आगे बढ़ने पर पुलिस ने बिना किसी चेतावनी के यात्रा में शामिल सभी 10 लोगों को हिरासत में ले लिया.’

उन्होंने कहा, ‘पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 151, 107 और 116 के तहत गिरफ्तारी की है. सभी को जिला जेल में रखा गया है और ढाई-ढाई लाख की जमानत राशि मांग रहे हैं. यात्रा में अधिकतर छात्रों के शामिल होने का हवाला देते हुए हमने जब एसडीएम से जमानत राशि कम करने की गुहार लगाई तब उन्होंने कहा कि लगाना तो हमें पांच-पांच लाख रुपये का था लेकिन अभी ढाई लाख ही लगाया है. फिलहाल हम अपनी एक महिला साथी प्रदीपिका सारस्वत की जमानत की तैयारी कर रही हैं.’

धनंजय कहते हैं, ‘हमने इस पदयात्रा के लिए किसी को आवेदन नहीं दिया था क्योंकि कहीं पर भी हम धारा 144 का उल्लंघन नहीं कर रहे थे. 10-12 लोगों की हमारी टीम तीन-तीन और चार-चार लोगों के समूह में चल रही थी. रास्ते में हम पर्चे बांटते हुए और अलग-अलग जगहों पर छोटी-छोटी सभा करके शांति-सौहार्द की बात करते हुए चल रहे थे.’

स्थानीय लोगों से शांति और सौहार्द की बात करते नागरिक सत्याग्रह के सदस्य. (फोटो: द वायर)
स्थानीय लोगों से बात करते नागरिक सत्याग्रह के सदस्य. (फोटो: द वायर)

करीब छह-सात लोगों के इस जत्थे की अकेली महिला सदस्य और पेशे से लेखक एवं पत्रकार प्रदीपिका सारस्वत ने गिरफ्तार होने से पहले बताया था कि बीते तीन-चार दिनों से पुलिस उनके आसपास मंडरा रही थी. उनसे यात्रा को लेकर सवाल-जवाब भी किए जा रहे थे.

गिरफ्तार होने से पहले उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, ‘कल शाम से लोकल इंटेलिजेंस और पुलिस यात्रियों के चक्कर काट रही है, तस्वीरें खींच रही है, वीडियो उतार रही है. राज्य इतना डरा हुआ कि चंद लोगों को शांति और सौहार्द की बात करते हुए नहीं देख पा रहा है.’

इस बारे में द वायर  से बात करते हुए सदर एसडीएम प्रभास कुमार ने कहा, ‘उन्हें सीआरपीसी की धारा 151, 107 और 116 के तहत गिरफ्तार किया गया है. उन्हें किसी भी जुलूस की अनुमति नहीं थी और उनके पास से जो पर्चे मिले उसमें भी उन्होंने लोगों को अपने साथ आगे चलने का आह्वान कर रखा था. उसमें सीएए-एनआरसी के विरुद्ध भी कुछ बातें थीं.’

एसडीएम ने कहा, ‘थाना बिरनो की रिपोर्ट में इस बात को साफ किया गया है कि जनपद की शांति व्यवस्था को खतरा है. इसको देखते हुए गिरफ्तारी के बाद उन लोगों से बातचीत की गई और फिर कार्रवाई की गई. उन्होंने अभी तक कोई अव्यवस्था नहीं फैलाई थी और उनकी गिरफ्तारी केवल अव्यवस्था फैलाने की आशंकाओं पर की गई है क्योंकि वे जा रहे हैं, गांव में घूम रहे हैं, लोगों को जुटा रहे हैं. कानून की अनुमति के बिना इस तरह की अव्यवस्थाएं फैलाने के कारण धारा 151 में कार्रवाई की गई.’

उन्होंने कहा, ‘107 और 116 की कार्रवाई किए जाने पर जमानत की प्रक्रिया होती है और 111 की नोटिस की शर्तों को पूरा करना होता है. उस नोटिस की शर्तों को अभी तक पूरा नहीं किया गया है. शर्तें पूरी करते ही कार्रवाई आगे बढ़ेगी.’

यह पूछे जाने पर कि  जमानत पर रिहा होने के बाद इन लोगों के पदयात्रा जारी रखने पर प्रशासन का क्या रुख होगा, कुमार ने कहा कि फिलहाल वे इस बारे में नहीं बता सकते हैं.

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