कोरोना लॉकडाउन: दुनियाभर में 40,000 भारतीय समुद्री नाविक फंसे

समुद्री सेवाओं से जुड़े विभिन्न संगठनों ने कहा कि करीब 15 हजार समुद्री नाविक मालवाहक जहाजों पर जबकि 25,000 यात्री जहाजों पर हैं. वे सभी घर वापस आने के लिये बेताब हैं कि क्योंकि उनका रोजगार अनुबंध समाप्त हो चुका है.

प्रतीकात्मक तस्वीर. (फोटो: पीटीआई)

समुद्री सेवाओं से जुड़े विभिन्न संगठनों ने कहा कि करीब 15 हजार समुद्री नाविक मालवाहक जहाजों पर जबकि 25,000 यात्री जहाजों पर हैं. वे सभी घर वापस आने के लिये बेताब हैं कि क्योंकि उनका रोजगार अनुबंध समाप्त हो चुका है.

प्रतीकात्मक तस्वीर. (फोटो: पीटीआई)
प्रतीकात्मक तस्वीर. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दुनियाभर में भारत के 40 हजार समुद्री नाविक और चालक दल के सदस्य मालवाहक और यात्री जहाजों में फंसे हैं और अपने घरों को लौटने के इंतजार में हैं.

सरकार ने कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिये जारी ‘लॉकडाउन’ (बंद) हटने के बाद उन्हें हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है.’ समुद्री सेवाओं से जुड़े विभिन्न संगठनों ने यह कहा है.

करीब 15 हजार समुद्री नाविक मालवाहक जहाजों पर जबकि 25,000 यात्री जहाजों पर हैं.

एनयूएसआई (नेशनल यूनियन ऑफ सीफेएरर्स ऑफ इंडिया), एमयूआई (मैरीटाइम यूनियन ऑफ इंडिया) और एमएससए (मैरिटाइम एसोसएिशन ऑफ शिप आनर, शिप मैनेजर एंड एजेंट) जैसे समुद्री संगठनों ने कहा कि उन्होंने पोत परिवहन मंत्रालय के साथ इस मुद्दे को उठाया है.

मंत्रालय ने ‘लॉकडाउन’ हटने के बाद हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है.

एमएएसएसए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कैप्टन शिव हाल्बे ने कहा, ‘ऐसा अनुमान है कि दुनियाभर में करीब 40,000 भारतीय समुद्री नाविक मालवाहक जहाजों और यात्री जहाजों पर फंसे हैं. वे सभी घर वापस आने के लिये बेताब हैं कि क्योंकि उनका रोजगार अनुबंध समाप्त हो चुका है.

उन्होंने कहा कि मामले को पोत परिवहन मंत्री मनसुख लाल मांडविया के समक्ष रखा गया और उन्होंने देशव्यापी बंद हटने के बाद उन लोगों की सुरक्षित वापसी का भरोसा जताया है.’

हाल्बे के अनुसार हालांकि मंत्री ने कहा कि समुद्री नाविकों का परीक्षण किया जाएगा और उसके बाद उन्हें कुछ दिन बिल्कुल अलग रखा जाएगा’ इन संगठनों के प्रतिनिधियों की मंत्री के साथ वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये बैठक हुई थी.’

एमयूआई के महासचिव अमर सिंह ठाकुर ने कहा, ‘मंत्री इस बात पर सहमत हुए कि समुद्री नाविकों को जरूरी सेवा देने वाले कर्मचारियों की श्रेणी में रखने और बंदरगाहों पर सुगम राहत सुविधा उपलब्ध कराने की आवश्यकता है.’