निजी सुरक्षा उपकरण की मांग को लेकर दिल्ली नर्स यूनियन ने काम रोकने की चेतावनी दी

दिल्ली स्टेट हॉस्पिटल्स नर्सेज़ यूनियन ने सरकार और प्रशासन को चेतावनी देते हुए मांग की है कि पीपीई और मास्क की कमी दूर की जाए, एक ही हॉल में बेड लगाकर सभी नर्सों के रुकने का इंतज़ाम करने की बजाय उन्हें अलग कमरे दिए जाएं.

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A group of students wearing protective masks wait to buy tickets at a railway station amid coronavirus fears, in Kochi, India, March 10, 2020. [Sivaram V/Reuters]

दिल्ली स्टेट हॉस्पिटल्स नर्सेज़ यूनियन ने सरकार और प्रशासन को चेतावनी देते हुए मांग की है कि पीपीई और मास्क की कमी दूर की जाए, एक ही हॉल में बेड लगाकर सभी नर्सों के रुकने का इंतज़ाम करने की बजाय उन्हें अलग कमरे दिए जाएं.

A group of students wearing protective masks wait to buy tickets at a railway station amid coronavirus fears, in Kochi, India, March 10, 2020. [Sivaram V/Reuters]
(प्रतीकात्मक तस्वीर: रॉयटर्स)
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच देश के विभिन्न अस्पतालों में चिकित्साकर्मी लगातार अपनी सुरक्षा की मांग कर हैं. वजह ये है कि कोरोना वायरस से बचाव में लगे डॉक्टर और नर्सों के अलावा अन्य मेडिकल स्टाफ भी इसकी चपेट में आ रहे हैं.

इस स्थितियों को देखते हुए कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए इन चिकित्साकर्मियों द्वारा लगातार निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई) और मास्क उपलब्ध कराए जाने की मांग सरकार से की जा रही है.

ताजा मामला राजधानी दिल्ली के लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में सामने आया है. यहां नर्सों की यूनियन ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर पीपीई और रहने की सही व्यवस्था नहीं हुई तो वे काम नहीं करेंगे.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली स्टेट हॉस्पिटल्स नर्सेज़ यूनियन ने सरकार और प्रशासन को चेतावनी देते हुए मांग की है कि पीपीई और मास्क की कमी दूर की जाए, एक ही हॉल में बेड लगाकर सभी नर्सों के रुकने का इंतज़ाम करने की बजाय उन्हें अलग कमरे दिए जाएं.

रिपोर्ट के अनुसार, लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल से ड्यूटी के बाद 95 प्रतिशत नर्सों को घर जाना पड़ रहा है, ऐसे में घरवालों के संक्रमित होने का ख़तरा बना रहता है.

दिल्ली नर्सेस यूनियन की महासचिव जीमोल शाजी ने कहा, ‘हमारा जीवन भी हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. हमारा यही कहना है कि हम कोई भी ड्यूटी नहीं करेंगे. प्रबंधन को हमने इस संबंध में कई बार मेल भेजा, लेकिन इन मांगों को लेकर अब तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है.’

रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से जब एक नर्स को अस्पताल में भर्ती किया गया तो नर्सों की इन मांगों ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है.

दिल्ली नर्सेस फेडरेशन के महासचिव लीलाधर रामचंदानी ने कहा, ‘हमारा मानना है कि हर मेडिकल स्टाफ को कोरोना संदिग्ध मानकर चलना होगा और कोई भी मरीज इस वायरस से ग्रसित हो सकता है.’

उन्होंने कहा कि पीपीई और मास्क की कमी है. मेडिकल स्टाफ की रहने की उचित व्यवस्था नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘दिल्ली का कोई भी अस्पताल चाहें जीटीबी अस्पताल हो या लोकनायक हो, दीनदयाल हो या फिर अंबेडकर अस्पताल, किसी भी अस्पताल में रहने की सुविधा, पीपीई किट और मास्क आदि उपलब्ध नहीं कराए गए हैं.’

मालूम हो कि बीते आठ मार्च को मुंबई में बृह्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के एक अस्पताल में नर्सों और पैरामेडिक्स कर्मचारियों समेत चिकित्साकर्मियों ने अस्पताल में कोविड-19 के मरीज की मौत के बाद उन्हें पृथक किए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था.

इस दौरान अस्पताल के कुछ स्टाफ सदस्यों ने उन्हें दिए गए निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई) की खराब गुणवत्ता का भी मुद्दा उठाया था.

सुरक्षा उपकरणों की कमी के कारण बीते दिनों दिल्ली के हिंदू राव अस्पताल से चार डॉक्टरों के इस्तीफा देने का भी मामला सामने आया था.

इसके अलावा महाराष्ट्र के औरंगाबाद ज़िले के एक सरकारी अस्पताल की नर्सों ने भी सुरक्षा उपकरणों की मांग की थी. नर्सों ने बताया था कि अस्पताल में पर्याप्त व्यक्तिगत सुरक्षा किट, आवश्यक दवाएं, सैनिटाइजर और हैंडवाश सुविधाएं नहीं हैं.

मालूम हो कि इससे पहले भारतीय चिकित्सा परिषद (आईएमए) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य डॉ. शांतनु सेन ने कहा था कि कोरोना वायरस के खिलाफ भारत सामूहिक रूप से असफल होगा अगर डॉक्टरों, नर्सों और इलाज कर रहे अन्य कर्मचारियों के लिए पर्याप्त व्यक्तिगत रक्षा उपकरण (पीपीई) की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं की जाएगी.