बिहार: कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच बदहाल क्वारंटीन व्यवस्थाओं में रहने को मजबूर कामगार

बिहार: कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच बदहाल क्वारंटीन व्यवस्थाओं में रहने को मजबूर कामगार

बिहार के विभिन्न ज़िलों के क्वारंटीन सेंटर में रह रहे प्रवासी मजदूर लगातार खाने-पीने और स्वच्छता संबंधी अव्यवस्थाओं की शिकायत कर रहे हैं. कुछ सेंटर में रहने वाले कामगारों का यह भी आरोप है कि उनके इस बारे में शिकायत करने के बाद पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया है.

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People are seen inside a temporary quarantine centre, during an extended nationwide lockdown to slow the spread of the coronavirus disease (COVID-19), in Kolkata, India, April 15, 2020. REUTERS/Rupak De Chowdhuri

बिहार के विभिन्न ज़िलों के क्वारंटीन सेंटर में रह रहे प्रवासी मजदूर लगातार खाने-पीने और स्वच्छता संबंधी अव्यवस्थाओं की शिकायत कर रहे हैं. कुछ सेंटर में रहने वाले कामगारों का यह भी आरोप है कि उनके इस बारे में शिकायत करने के बाद पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया है.

बेगूसराय जिले के एक स्कूल में बना क्वारंटीन सेंटर.
बेगूसराय जिले के एक स्कूल में बना क्वारंटीन सेंटर.

देश के विभिन्न हिस्सों में कोरोना वायरस के बढ़ते  संक्रमण के बीच बड़ी संख्या में लोगों को क्वारंटीन सेंटरों में रखा गया है. इसी बीच बिहार में कई क्वारंटीन सेंटर पर पर्याप्त सुविधाएं न मिलने के कारण लगातार हंगामे की तस्वीरें सामने आ रही हैं.

कहीं पर खाने की गुणवत्ता, कहीं शौचालय की व्यवस्था नहीं है, तो कहीं पीने के पानी को लेकर इन सेंटरों में रह रहे लोग लगातार शिकायत कर रहे हैं.

कई ऐसे भी सेंटर हैं, जहां लोगों ने इन अव्यवस्थाओं की शिकायत करने पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज का आरोप भी लगाया है. इन्हीं अव्यवस्थाओं के कारण यहां रह रहे लोग इन सेंटरों को जेल सरीखा बताने लगे हैं.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिलों के प्रखंड स्तर के क्वारंटीन सेंटरों में ही ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को रखने और टेस्ट किए जाने पर जोर दे रहे हैं, लेकिन कई जिलों के सेंटरों में लोगों की मूलभूत सुविधाओं को लेकर नाराजगी है. साथ ही यहां रह रहे लोगों की टेस्टिंग न के बराबर हो रही है.

कोरोना वायरस के खतरे को लेकर सरकार सैनिटाइजेशन पर सबसे ज्यादा ध्यान देने को कह रही है लेकिन कई सारे क्वारंटीन सेंटरों पर साफ-सफाई की स्थिति बेहद खराब है.

इसका उदाहरण रोहतास जिले के उत्क्रमित मध्य विद्यालय, खालसापुर में बना क्वारंटीन सेंटर है, जहां रहने के साथ शौचालय की व्यवस्था का भी हाल बेहाल है. यहां कुल 13 कमरों में बाहर से आए करीब 150 लोग रह रहे हैं.

जिले के दिनारा ब्लॉक के रहने वाले योगेश गिरी अहमदाबाद से लौटे हैं और 5 दिन से इसी क्वारंटीन सेंटर में हैं. गिरी कहते हैं, ‘यहां जिस तरीके से भेड़ियाधसान (क्षमता से ज्यादा) है, बिना सोशल डिस्टेंसिंग के रखा जा रहा है, इससे अच्छा होता कि सरकार सबको गांव के क्वारंटीन सेंटर में भेज देती.’

वे आगे बताते हैं, ‘कमरों में जमीन पर बिस्तर दिया गया है, न कभी शौचालय में सफाई की जाती है न कमरे में. शौचालय में सिर्फ पानी डाला जाता है, जिसके कारण बदबू आती रहती है. आस-पास कहीं भी कुछ सैनिटाइज करने जैसी कोई व्यवस्था नहीं है.’

रोहतास (बाएं) और छपरा के क्वारंटीन सेंटर के शौचालय का हाल.
रोहतास (बाएं) और छपरा के क्वारंटीन सेंटर के शौचालय का हाल.

बेगूसराय जिले में भी कई क्वारंटीन सेंटर पर बाहर से आने वाले मजदूर सफाई के अलावा बुनियादी सुविधाएं न मिलने से परेशान हैं.

जिले के मध्य विद्यालय परिहारा में बनाए गए क्वारंटीन सेंटर में 5 दिनों से रह रहे राहुल साह बताते हैं, ‘सफाई के नाम पर झाड़ू भी नहीं लगाया जाता है. इस सेंटर की हालत यह है कि मई की तपती गर्मी में यहां पंखा तक नहीं है. 4 कमरों के इस क्वारंटीन सेंटर में भी एक कमरे में 10-12 लोग रह रहे हैं, जो गर्मी में तड़पने को मजबूर हैं.’

राहुल आगे बताते हैं, ‘यहां पंखा भी नहीं लगा हुआ है, कल लाइट लगाया है. बेंच को मिलाकर बेड बनाया गया है. यहां तीन शौचालय हैं जिसमें दो स्टाफ के लिए है. यहां रह रहे 30 लोग एक ही शौचालय का इस्तेमाल करते हैं. रोज साफ-सफाई भी नहीं होती है, यहां तक कि कमरे में भी  कोई सफाई नहीं किया जा रहा है.’

ऐसा ही हाल छपरा जिले के एसडीएस कॉलेज जलालपुर में बने क्वारंटीन सेंटर का है. इस सेंटर में गुजरात से लौटे सूरज भी रह रहे हैं.

वे बताते हैं, ‘यहां कोई सफाई नहीं है, इसके लिए कुछ किया भी नहीं जाता है. यहां फिलहाल करीब 110-120 लोग रह रहे हैं. 4 कमरों के अलावा एक हॉल भी है. हॉल में 40-50 लोग रहते हैं लेकिन इतने लोगों के हिसाब से इतनी गर्मी में सिर्फ 7 पंखे हैं.

बाकी जगहों की सफाई और सैनिटाइजेशन के बारे में वे बताते हैं, ‘शौचालय में घुसते ही बहुत तेज बदबू आती है, सब लोग एक ही शौचालय इस्तेमाल कर रहे हैं. जहां सोते हैं, वहां खुद से झाड़ू लगा लेते हैं, लेकिन कोई भी केमिकल वगैरह नहीं छिड़का जा रहा है.’

इसके अलावा सूरज ने बताया कि खाने में दोनों टाइम चावल ही मिल रहा है. पूछने पर बताया जाता है कि रोटी नहीं मिल सकती है.

स्वच्छता के उचित इंतजामों को लेकर सीवान जिले के सेंटर का हाल भी कुछ अलग नहीं है. जिले के बड़हरिया प्रखंड में जीएम उच्च विद्यालय में बने क्वारंटीन सेंटर में 250 से ज्यादा लोगों को रखा गया है.

बालेन्द्र कुमार राम करीब एक सप्ताह से यहां क्वारंटीन में हैं. वे कहते हैं, ‘2 दिन पहले समय पर खाना नहीं मिलने के कारण यहां हंगामा हुआ था. उसके बाद यहां साफ-सफाई भी लगातार हो रही है.

वे बताते हैं, ‘यहां एक कमरे में 7-8 लोग रहते हैं. अभी तक कोई टेस्ट नहीं किया गया है. सिर्फ कभी-कभी टेंपरेचर चेक किया जाता है. हंगामा होने से पहले यहां न सफाई हो रही थी और न ही खाना टाइम पर मिल रहा था.’

बेगूसराय के बखरी प्रखंड के राजकीयकृत मध्य विद्यालय में बने क्वारंटीन सेंटर में फिलहाल करीब 150 लोग क्वारंटीन में हैं. सभी बाहर से आए हुए मजदूर हैं.

यहां एक कमरे में 10-12 लोग रहे हैं, यहां रह रहे लोगों द्वारा भेजी तस्वीरों को देखकर लगता है कि सोशल डिस्टेंसिंग की बात इनके लिए बेमानी है. यहां भी बिस्तर के नाम पर स्कूल के ही दो बेंच को मिला दिया गया है.

बखरी के क्वारंटीन सेंटर के लोग भी बताते हैं कि यहां भी झाड़ू लगाने के अलावा सैनिटाइजेशन के नाम पर कुछ नहीं हो रहा है, झाड़ू भी कई बार कहने पर लगाया जा रहा है. पीने के लिए चापाकल (हाथ से चलाने वाला नल) का पानी ही है. इन लोगों का कहना है कि चापाकल के पानी से बीमारी का खतरा भी है.

राजस्थान के नागौर जिले से लौटे देवक सिंह 12 दिन इस सेंटर पर बिता चुके हैं. बखरी प्रखंड के रहने वाले देवक कहते हैं, ‘खाने में दोनों टाइम चावल दिया जाता है. मुझे बवासीर की बीमारी है, डॉक्टर ने चावल और मसालेदार सब्जी खाने से मना किया है पर कहने के बावजूद न खाना बदला जा रहा है और न ही दवा दी जा रही है. स्थिति ऐसी है कि लगता है जेल में बंद कर दिए गए हैं.’

सीवान जिले का क्वारंटीन सेंटर.
सीवान जिले का क्वारंटीन सेंटर.

हाजीपुर में कपड़े की दुकान पर काम करने वाले गुलशन कुमार भी 8 दिनों से बेगूसराय जिले के इसी क्वारंटीन सेंटर पर हैं. वे कहते हैं, ‘दो बेंच को मिलाकर बेड बनाया गया है, जिससे सोने में दिक्कत होती है. हम लोग क्या कर सकते हैं. यहां अगर शिकायत करने जाएंगे तो ये लोग लाठीचार्ज करेंगे.’

वे भी दोनों टाइम खाने में चावल मिलने से  परेशान हैं. इनका कहना है कि रात में चावल खाने से तबियत भी खराब हो जा रही है. उनका यह भी आरोप है कि रात के खाने में रोटी की मांग करने पर दो-तीन पहले इन पर लाठीचार्ज किया गया.

गुलशन कहते हैं, ‘हम लोगों ने यहां के स्टाफ से शिकायत की तो उन्होंने पुलिस को बुला लिया. पुलिस ने आते ही लाठी चलाना शुरू कर दिया, एक लड़के को इतना मारा गया कि उसका पैर फ्रैक्चर हो गया.’

इस लाठीचार्ज की घटना को लेकर जब बखरी थाने के एसएचओ से बात की, तो उन्होंने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया. उनका कहना था, ‘फोन पर ये सब बात नहीं हो सकती है. आप हमारे सीनियर से बात कर लीजिए.’

इसके बाद जब बखरी एसडीपीओ में बात करने की कोशिश की गई, तब वहां के एक अधिकारी कुछ बताने के बजाय सवाल करने लगे कि किसने बताया कि लाठीचार्ज हुआ, उनका नाम बताइए. इसके बाद उन्होंने स्पष्ट कहा कि आप इसके बारे में कुछ नहीं जान सकते हैं.

इसके बाद बेगूसराय पुलिस अधीक्षक (एसपी) अवकाश कुमार से बात करने की कोशिश की गई, उनसे बात नहीं हो सकीय लेकिन मैसेज के जवाब में उन्होंने बताया कि कहीं कोई लाठीचार्ज नहीं हुआ है.

लाठीचार्ज की एक घटना करीब सप्ताह भर पहले बांका जिले के शंभूगंज प्रखंड में द्वारिका अमृत अशर्फी उच्च विद्यालय में बने क्वारंटीन सेंटर में भी सामने आई थी. लोगों ने आरोप लगाया था कि खाने और अन्य चीजों की शिकायत करने पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसमें एक व्यक्ति का हाथ भी टूट गया.

हालांकि यहां भी पुलिस ने लाठीचार्ज के आरोपों से इनकार कर दिया और बताया था कि बारिश की वजह से फिसलने से उसका हाथ टूट गया.

स्पेशल ट्रेन से आए लोगों को नहीं किया जा रहा क्वारंटीन

राज्य में बाहर से प्रवासी मजदूर और अन्य कामगार लगातार वापस आ रहे हैं, जिन्हें क्वारंटीन सेंटर में पहुंचाया जा रहा है और लगातार संख्या बढ़ने से इन सभी के लिए समुचित व्यवस्था रखना राज्य सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण बनता जा रहा है.

13 मई को मुख्यमंत्री कार्यालय ने जानकारी दी कि अब तक अलग-अलग राज्यों में फंसे 1.37 लाख मजदूर और अन्य कामगार 115 ट्रेनों के जरिये वापस आ चुके हैं. वहीं 267 ट्रेनों से 4.27 लाख और लोगों को वापस लाया जाएगा. यह भी बताया गया था कि आगे और लोगों को लाने की योजना बनेगी.

हालांकि 12 मई से शुरू हुई स्पेशल ट्रेन (राजधानी) से वापस आ रहे लोगों को राज्य सरकार क्वारंटीन नहीं कर रही है. हाल यह है कि हर रोज दूसरे राज्यों से हजारों लोग वापस आ रहे हैं.

इस बारे में सवाल करने पर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव अनुपम कुमार का कहना है, ‘इनको नियमों में मिली छूट के तहत लाया जा रहा है. इसमें अधिकतर लोग वो हैं, जो किसी न किसी काम की वजह से आ रहे हैं. ये लोग पहले से स्क्रीन करके भेजे जा रहे हैं, इसलिए इन्हें क्वारंटीन नहीं किया जा रहा है.’

हालांकि वे यह भी कहते हैं कि कोटा या दूसरे किसी राज्य से आ रहे छात्रों को सरकार होम क्वारंटीन कर रही है. वहीं विदेश से आने वाले लोगों को होटल में या अन्य जगह पेड क्वारंटीन किया जाएगा यानी उन्हें क्वारंटीन होने के लिए भुगतान करना होगा.

इसके अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कहा है कि सात दिनों के अंदर दूसरे राज्यों से बिहार आने की इच्छा रखने वाले ज्यादा से ज्यादा लोगों को वापस लाने के लिए अन्य राज्यों के साथ समन्वय स्थापित कर तुंरत कार्रवाई करेगी. साथ ही नजदीक के राज्यों से जो प्रवासी मजदूर बिहार आना चाहते हैं उन्हें बस से लाने की भी व्यवस्था जल्द होगी.’

Patna: Migrants from Jaipur arrive by 'Shramik Special' train at Danapur junction, during the nationwide lockdown to curb the spread of coronavirus, in Patna, Saturday, May 2, 2020. (PTI Photo)(PTI02-05-2020_000186B)
श्रमिक स्पेशल ट्रेन से दानापुर पहुंचे बिहार के कामगार. (फोटो: पीटीआई)

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव अनुपम बताते हैं कि ब्लॉक स्तर पर क्वारंटीन सेंटर की संख्या 4,163 हो गई है और इनमें अभी करीब 1.90 लाख लोग रह रहे हैं.

वहीं आपदा प्रबंधन के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने हाल ही में बताया है कि राज्य में 172 आपदा राहत केंद्र चलाए जा रहे हैं. उनके अनुसार प्रखंड क्वारंटाइन सेंटर पर 3.75 लाख जबकि पंचायत स्तरीय क्वारंटाइन सेंटर पर 2.42 लाख लोगों को क्वारंटीन करने की व्यवस्था सुनिश्चित कर ली गई है.

राज्य में अब तेजी से बढ़ रहे हैं संक्रमण के मामले

राज्य में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. ऐसे में टेस्ट की जरूरत बहुत बढ़ गयी है, लेकिन सेंटरों पर रह रहे लोगों का कहना है कि उनकी कोई जांच नहीं हुई है.

बेगूसराय के बखरी प्रखंड के क्वारंटीन सेंटर में रह रहे कई लोगों ने बताया है कि अब तक कोई उनका कोई टेस्ट भी नहीं हुआ है, सिर्फ तापमान चेक किया जा रहा है. जबकि ये सभी लोग बाहर से आए हैं.

बिहार में 14 मई की सुबह 10 बजे तक 41,915 लोगों की जांच हुई थी. लाखों लोगों के बाहर आने के बावजूद जांच की रफ्तार काफी कम है.

आंकड़े बताते हैं कि बाहर से आ रहे प्रवासी मजदूरों और अन्य में अभी तक 277 लोग संक्रमित पाए गए हैं. यह संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है.

राज्य में 14 मई की सुबह तक संक्रमण के 953 मामले सामने आ चुके थे और 7 लोगों की मौत हो चुकी है. राज्य सर्कार के अनुसार बिहार में अभी कोरोना के 546 सक्रिय मामले हैं, वहीं इस वायरस से अब तक 400 लोग ठीक भी हो चुके हैं.

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं.)