सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा पर 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एलगार परिषद की बैठक में भड़काऊ भाषण देने के आरोप हैं, जिसके बाद पुणे के भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़की थी.
नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट का कहना है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को दिल्ली से मुंबई ले जाने में बेवजह जल्दबाजी की है.
अदालत का कहना है कि नवलखा की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई से एक दिन पहले मंगलवार को उन्हें मुंबई ले जाया गया.
जस्टिस अनूप जयराम भम्भानी ने कहा, ‘यह अदालत इस मामले में ज्यादा जल्दबाजी का कोई कारण नहीं देख रही है, एनआईए ने याचिकाकर्ता को दिल्ली से मुंबई ले जाने में जो जल्दबाजी दिखाई है, उससे अदालत को लगता है कि मौजूदा कार्यवाही में अगर जल्दबाजी नहीं दिखाई गई तो इस न्यायिक अधिकार क्षेत्र में सभी कार्यवाहियां बिल्कुल निष्फल हो जाएंगी. यह मामला लंबित है और एनआईए ने खुद ही स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के लिए वक्त मांगा था.’
मालूम हो कि नवलखा को 26 मई को ट्रेन से दिल्ली से मुंबई ले जाया गया था.
हाईकोर्ट ने कहा कि पिछली सुनवाई की तारीख पर अंतरिम जमानत याचिका के जवाब में स्थिति रिपोर्ट दायर करने के लिए एनआईए को पर्याप्त वक्त दिया गया था और एनआईए ने याचिका का विरोध करते हुए हलफनामा दायर किया था.
अदालत ने 22 मई को एनआईए से नवलखा (67) की याचिका पर जवाब मांगा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि ऐसे समय में जबकि पूरा देश कोरोना वायरस के खतरे का सामना कर रहा है, वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं.
याचिका में कहा गया था कि उनकी आयु के मद्देनजर उनके इस वायरस से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा है, खासतौर से भीड़भाड़ वाली जेल में.
सुनवाई के दौरान नवलखा की तरफ से पेश हुई वकील नित्या रामाकृष्णन ने अदालत से कहा कि उनकी अंतरिम जमानत याचिका लंबित है.
इससे पहले 23 मई को मामले की एनआईए अदालत में सुनवाई हुई थी, जिसमें गौतम नवलखा की न्यायिक हिरासत को 22 जून तक के लिए बढ़ा दिया गया था.
एनआईए ने 24 मई को रविवार होने के बावजूद मुंबई की विशेष अदालत से नवलखा को 26 मई की सुबह 11 बजे मुंबई में जज के सामने पेश करने के लिए प्रोडक्शन वारंट भी जारी करवाया था.
प्रोडक्शन वारंट के आधार पर तिहाड़ जेल के सुपरिटेंडेंट ने ईद की छुट्टी के दिन 25 मई को नवलखा को दिल्ली से मुंबई ट्रांसफर करवाने के लिए दिल्ली एनआईए अदालत में आवदेन किया, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया, जिसके बाद गौतम नवलखा को 26 मई को ट्रेन से मुंबई ले जाया गया.
नवलखा को मुंबई की तलोजा जेल में रखा गया है.
नवलखा की वकील ने आरोप लगाया कि दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष उनके मुवक्किल की जमानत याचिका लंबित होने की जानकारी एनआईए ने दिल्ली और मुंबई की एनआईए की विशेष अदालतों को नहीं दी.
वकील ने कहा कि एनआईए ने नवलखा को दिल्ली से मुंबई इसलिए भेजा ताकि वो दिल्ली हाईकोर्ट की न्यायिक सीमा से बाहर चले जाए और उनकी जमानत याचिका बेमानी हो जाए.
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के जोखिम के चलते दिल्ली हाईकोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की गई थी लेकिन नवलखा को मुंबई भेज दिया गया, जहां इस बीमारी का सबसे ज्यादा जोखिम है.
अदालत ने गौतम नवलखा की न्यायिक हिरासत अवधि बढ़ाने और मुंबई भेजने को लेकर एनआईए से सभी दस्तावेज उपलब्ध करवाने के लिए कहा है. इसके साथ ही अदालत ने तिहाड़ जेल के सुपरिटेंडेंट से नवलखा के मेडिकल रिकॉर्ड भी कोर्ट में जमा का निर्देश दिया.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिलने के कारण 14 अप्रैल को नवलखा ने एनआईए के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था. नवलखा को सुप्रीम कोर्ट ने आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था. इसके बाद नवलखा को तिहाड़ जेल में रखा गया था.
नवलखा पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था. मामले की अगली सुनवाई तीन जून को है.
सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा पर 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एलगार परिषद की बैठक में भड़काऊ भाषण देने के आरोप हैं, जिसके बाद पुणे के भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़की थी.
मालूम हो कि 28 अगस्त 2018 को महाराष्ट्र की पुणे पुलिस ने माओवादियों से कथित संबंधों को लेकर पांच कार्यकर्ताओं- कवि वरवरा राव, अधिवक्ता सुधा भारद्वाज, सामाजिक कार्यकर्ता अरुण फरेरा, गौतम नवलखा और वर्णन गोंसाल्विस को गिरफ़्तार किया था. महाराष्ट्र पुलिस का आरोप है कि इस सम्मेलन के कुछ समर्थकों के माओवादी से संबंध हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)