पंजाब के सबसे अधिक आबादी वाले लुधियाना ज़िले के सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर नहीं: रिपोर्ट

पिछले सप्ताह लुधियाना के सिविल अस्पताल के डॉक्टरों ने ख़राब गुणवत्ता के मास्क को लेकर प्रदर्शन किया था और यहां के लेवल-2 आइसोलेशन सेंटर में कोरोना मरीजों को ख़राब खाना दिए जाने के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे.

(फाइल फोटोः पीटीआई)

पिछले सप्ताह लुधियाना के सिविल अस्पताल के डॉक्टरों ने ख़राब गुणवत्ता के मास्क को लेकर प्रदर्शन किया था और यहां के लेवल-2 आइसोलेशन सेंटर में कोरोना मरीजों को ख़राब खाना दिए जाने के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे.

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(फोटोः पीटीआई)

लुधियानाः पंजाब के लुधियाना जिले के सरकारी अस्पतालों में कोई वेंटिलेंटर या आईसीयू नहीं है. लुधियान पंजाब का सबसे ज्यादा आबादी वाला जिला है. यहां की लगभग 35 लाख की आबादी कोरोना वायरस के तीसरे चरण (लेवल-3) के इलाज के लिए पूरी तरह से निजी अस्पतालों पर निर्भर है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, लुधियाना के लेवल-1 कोविड केयर सेंटर्स (सीसीसी) में एक भी मरीज नहीं है. 108 योजना के तहत 30 एंबुलेंस हैं, लेकिन किसी में भी बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) उपकरण नहीं है.

मालूम हो कि लेवल-1 कोविड केयर सेंटर्स में हल्के लक्षणों वाले मरीजों और लेवल-3 में गंभीर लक्षणों वाले मरीजों का इलाज किया जाता है.

पिछले सप्ताह यहां के सिविल अस्पताल के डॉक्टरों ने खराब गुणवत्ता के मास्क को लेकर प्रदर्शन किया था और यहां के लेवल-2 आइसोलेशन सेंटर में कोरोना मरीजों को खराब खाना दिए जाने के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे.

लुधियाना के सिविल सर्जन डॉ. राजेश बग्गा ने कहा, ‘लुधियाना जिले के किसी भी सरकारी अस्पताल में कोई वेंटिलेटर नहीं है. एक साल से भी अधिक समय से सिविल अस्पताल में चार वेंटिलेंटर बिना इस्तेमाल के पड़े हुए हैं, इन्हें ऑपरेट करने के लिए अस्पताल में कोई स्टाफ भी नहीं है. इन मशीनों को पास के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (सीएमसीएच) ले जाया गया, जो एक लेवल-3 इकाई है.’

इन वेंटिलेटर्स को 31 मार्च को हुई एक घटना के बाद शिफ्ट किया गया. 31 मार्च को अस्पताल 32 साल के एक मरीज का इलाज नहीं कर सका, जिसे बाद में पटियाला के राजेंद्र मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया, जहां कुछ ही घंटों में उनकी मौत हो गई.

बग्गा ने कहा कि हमारे पास सेंट्रेलाइज सक्शन सिस्टम युक्त ऑक्सीजन बेड हैं. इस संबंध में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने कहा कि सरकार ने सीएमसीएच में पांच बेड वाले आईसीयू तैयार कराए हैं.

उन्होंने कहा, ‘लेकिन हां, हमारे सरकारी अस्पतालों में ये सभी सुविधाएं होनी चाहिए. हमने स्वास्थ्य से जुड़े बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करने के लिए 600 करोड़ रुपये की लागत से एक योजना बनाई है, जिसके तहत सभी जिला मुख्यालयों में आईसीयू बनाए जाएंगे.’

लुधियाना के डिप्टी कमिश्नर प्रदीप अग्रवाल ने कहा, ‘अच्छी सुविधाएं दी गई हैं. लेवल-3 मरीजों के लिए हमने निजी अस्पतालों से करार किया है, जहां जरूरत पड़ने पर हम मरीजों को रेफर करेंगे.’

सिविल हॉस्पिटल के डॉक्टर डॉ. देवेंद्र सिद्धू ने कहा, ‘खराब रेस्पिरेटर वॉल्वज़ के साथ मास्क को लेकर भी प्रदर्शन किए गए थे, लेकिन अब सप्लाई में सुधार किया गया है और पर्याप्त संख्या में किट आ रही हैं. चार वार्ड हेल्पर्स के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद इस मामले को उठाया गया था.’

यहां खाने की गुणवत्ता और उसका समय पर उपलब्ध न होना भी एक मुद्दा रहा है. लुधियाना में कोविड केयर सेंटर्स (सीसीसी) खाली पड़े हैं और मौजूदा समय में सिर्फ 1,897 लोग ही होम क्वारंटीन में हैं.

बग्गा ने कहा, ‘जब मरीज कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है तो हम उसे सीधे दयानंद मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (डीएमसीएच) में शिफ्ट कर देते हैं. हम सभी कोरोना पॉजिटिव मरीजों का लेवल-2 में इलाज करते हैं फिर चाहे उनमें हल्के लक्षण हो या मध्यम.’

लेवल-3 में 84 बेड में से 25 पर मरीज हैं. इनमें से चार सीएमसीएच, डीएमसीएच, फोर्टिस हॉस्पिटल और एसपीएस हॉस्पिटल हैं.

अब तक चार मरीजों को वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ी है लेकिन इनमें से सभी की बाद में मौत हो गई. इनमें से एक 52 साल के एएसआई भी थे, जिन्होंने 18 अप्रैल को फोर्टिस अस्पताल में दम तोड़ दिया था.

लुधियाना में 28 अप्रैल तक कोरोना के 18 मामले सामने आए थे, जिनमें से चार की मौत हो गई थी. 29 अप्रैल से 15 मई तक 118 मामले दर्ज हुए थे. मौजूदा समय में कोरोना के मामलों की संख्या बढ़कर 284 हो गई है जबकि मृतकों की संख्या बढ़कर 14 हो गई है.