क्या केरल में गर्भवती हथिनी की मौत के मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई?

बीती 27 मई को केरल के पलक्कड़ ज़िले में गर्भवती हथिनी की मौत हो गई थी, बताया गया था कि उसे कथित तौर पर पटाखे खिलाए जाने से वह गंभीर रूप से ज़ख़्मी थी. कांग्रेस ने भाजपा नेताओं पर इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने का आरोप लगाया है. भाजपा सांसद मेनका गांधी पर इस घटना को लेकर दंगा फैलाने की मंशा का मामला दर्ज किया गया है.

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(फोटो साभार: पीटीआई/ट्विटर)

बीती 27 मई को केरल के पलक्कड़ ज़िले में गर्भवती हथिनी की मौत हो गई थी, बताया गया था कि उसे कथित तौर पर पटाखे खिलाए जाने से वह गंभीर रूप से ज़ख़्मी थी. कांग्रेस ने भाजपा नेताओं पर इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने का आरोप लगाया है. भाजपा सांसद मेनका गांधी पर इस घटना को लेकर दंगा फैलाने की मंशा का मामला दर्ज किया गया है.

(फोटो साभार: पीटीआई/ट्विटर)
(फोटो साभार: पीटीआई/ट्विटर)

तिरुवनंतपुरमः बीती 27 मई को केरल के पलक्कड़ जिले में पटाखे खाने से हुई गर्भवती हथिनी की मौत को लेकर भाजपा और कांग्रेस के नेताओं में आरोप-प्रत्यारोप के बीच मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश भी की गई.

इस बीच गर्भवती हथिनी की मौत के मामले में कथित रूप से भड़काऊ टिप्पणी को लेकर राज्य केरल ने भाजपा सांसद मेनका गांधी के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

मलप्पुरम जिला पुलिस प्रमुख अब्दुल करीम यू का कहना है कि जलील नामक व्यक्ति की शिकायत के आधार पर मेनका गांधी के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 (जानबूझकर दंगा फैलाने की मंशा) का मामला दर्ज किया गया है.

शिकायत में आरोप लगाया गया है कि मेनका गांधी ने दंगा भड़काने के इरादे से मलप्पुरम के लोगों के खिलाफ आधारहीन आरोप लगाए हैं.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, इस संबंध में मेनका गांधी के खिलाफ केरल की मलप्पुरम पुलिस को सात से अधिक शिकायतें मिली थीं, जिसके बाद यह मामला दर्ज किया गया है. एकअधिकारी ने बताया कि मामले की जांच जारी है.

बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने ट्वीट कर कहा था कि मलप्पुरम अपनी आपराधिक गतिविधियों के लिए कुख्यात है, खासतौर से पशुओं के खिलाफ. एक भी शिकारी या वन्यजीव हत्यारे के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की गई, इसलिए वे लगातार ऐसा कर रहे हैं.

तीन जून को समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में भाजपा नेता मेनका गांधी ने कहा था, ‘मल्लपुरम एक ऐसा जिला है, जो पूरे देश में शायद सबसे ज्यादा अशांत है. रोज के रोज एक न एक कांड मल्लपुरम से निकलता है. ये जानवरों को तो मारते ही मारते हैं, हाथियों को ही नहीं, वहां के लोग जहर फेंक देते हैं और हजारों जानवर एक साथ मर जाते हैं.’

इस वीडियो ट्वीट में वे कहती हैं, ‘चिड़ियों को मारते हैं, कुत्तों को मारते हैं. वहां रोज के रोज मारा-पीटी होती है. इतनी सारी औरतों को मार चुके हैं. ये हिंदू-मुस्लिम लड़ाई करके लोगों के बाजू काट देते हैं. मल्लपुरम की बहुत भयानक स्थिति है.’

मेनका गांधी के अनुसार, ‘ऐसा लगता है कि केरल की सरकार उनसे डरती है, क्योंकि वहां कोई भी कार्रवाई नहीं होती है. प्रशासन के जो सबसे कमजोर लोग हैं, उन्हें मल्लपुरम भेजा जाता है.’

भाजपा सांसद मेनका ने कहा था, ‘अब सवाल ये है कि केरल सरकार करती क्या है? हर साल केरल में 600 के करीब हाथी मारे जाते हैं. यानी हर तीसरे दिन एक हाथी मरता है. मंदिर इनको मारते हैं. धूप में इनको परेड पर ले जाते हैं और अगर ये घबराकर इधर-उधर घूमते हैं तो उसी वक्त उनको मार देते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘ये इंश्योरेंस लेते हैं और फिर उनके ऊपर (हाथी) जंग भरे कील लगा देते हैं, ताकि उनको गैंगरीन हो जाए. फिर वे मर जाएं और उनके नाम पर इंश्योरेंस ले लें. इनके ऊपर बेड़ियां डालकर पानी में डुबो देते हैं.’

मेनका ने अनुसार, ‘केरल के बारे में एक चीज मशहूर है कि आप कुछ भी मारो, केरल की सरकार तिनका भर भी काम नहीं करने वाली. आशा थॉमस जो बेकार वन्य सचिव है, जो बेकार मुख्य वन्य जीव वार्डन सुरेंद्र है, जो बेकार मंत्री है राजू इनसे बोल-बोलकर हम लोग पागल हो गए है. ये पहला तो नहीं हुआ है. तीन दिन पहले, पांच दिन पहले हाथी मरते जा रहे हैं.’

एक अन्य वीडियो ट्वीट में भाजपा नेता कहती हैं, ‘वन्य जीव वार्डन को पद से हटा देना चाहिए. मल्लपुरम में हर उस व्यक्ति को गिरफ्तार करना चाहिए, जो इस मामले में संदिग्ध है. वे लगातार ऐसे अपराध करते हैं. अनाथालयों में बच्चे बेचे जाते हैं, जिसकी जानकारी हमें मल्लपुरम से मिली है.’

उन्होंने कहा, ‘मल्लपुरम में अपराध की दर देखिए. मल्लपुरम में सांप्रदायिक तनाव के मामले सबसे अधिक हैं. हमने दूसरे जिलों में इस संबंध में कार्रवाई की है. वन्य सचिव को हटाया जाना चाहिए. वन मंत्री को अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए. राहुल गांधी उस क्षेत्र से सांसद हैं, उन्होंने इस संबंध में कार्रवाई क्यों नहीं सुनिश्चित कराई.’

कांग्रेस नेता राहुल गांधी केरल के वायनाड से लोकसभा सांसद हैं. हालंकि इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि 2014-15 और 2018-19 के बीच  पांच साल की अवधि में अप्राकृतिक कारणों- जैसे करंट लगने, शिकार और जहर देने से 490 हाथियों की मौत हुई.

हाथियों की अधिकांश मौतें (259) असम, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में हुई.

मालूम हो कि इस घटना के सामने आने के बाद कुछ मीडिया रिपोर्ट में हथिनी की मौत की घटना मल्लपुरम जिले में होने की बात कही गई थी.

इसे स्पष्ट करते हुए केरल के मुख्य वन्य जीव वार्डन और मुख्यमंत्री ने कहा है कि हथिनी की मौत पलक्कड़ जिले में हुई है जो मल्लपुरम से 85 किलोमीटर दूर है.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री पिनारई विजयन ने इस बात की ओर इशारा किया था कि मल्लपुरम का नाम इस घटना से जोड़ने की कोशिश इसलिए की गई थी, क्योंकि यह केरल का एकमात्र मुस्लिम बहुल जिला है.

उन्होंने कहा था कि केंद्रीय मंत्रियों सहित कुछ लोग घटना का इस्तेमाल राज्य की छवि खराब करने के लिए कर रहे हैं. कुछ ऐसे भी हैं, जिन्होंने इस दुखद घटना का इस्तेमाल नफरत और कट्टरता फैलाने के अभियान के लिए किया.

उन्होंने ट्वीट कर कहा था, ‘पलक्कड़ जिले में हुई दुखद घटना में एक गभवती हथिनी की जान चली गई. बहुत सारे लोग हमारे पास आए. हम उनसे कहना चाहते हैं कि आपकी चिंताएं बेकार नहीं जाएंगी. न्याय मिलेगा.’

उनके अनुसार, ‘हम इस तथ्य से दुखी हैं कि कुछ लोगों ने इस त्रासदी का इस्तेमाल घृणा फैलाने के लिए किया है. गलत विवरणों और आधे-अधूरे सच पर आधारित झूठ से सच को रोकने के लिए किया गया. इस घटना से कुछ लोगों ने कट्टरता फैलाने की भी कोशिश की.’

बीते चार जून को कांग्रेस ने भाजपा पर इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास करने का आरोप लगाया था और कहा कि इसके लिए उसे बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए.

पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने यह दावा भी किया था कि भाजपा के कई नेता, मंत्री और समर्थक केरल के पलक्कड़ जिले में हुई इस घटना को मलप्पुरम जिले की घटना के तौर पर प्रचारित-प्रसारित कर रहे हैं.

एक बयान में उन्होंने कहा था, ‘भाजपा की वरिष्ठ नेता मेनका गांधी और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर इस घटना के बारे में जान-बूझकर गलत जानकारी फैला रहे हैं. यह घटना पलक्कड़ जिले की है, लेकिन मंत्री और दक्षिणपंथी ट्रोल इसे मलप्पुरम जिले की घटना बता रहे हैं. वे सांप्रदायिक दुर्भावना से गलत सूचना फैला रहे हैं.’

गौरतलब है कि पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस घटना पर संज्ञान लेते हुए कहा था कि भारतीय संस्कृति में पटाखे खिलाना और हत्या करना शामिल नहीं है.

उन्होंने ट्वीट किया था, ‘केंद्र सरकार ने मलप्पुरम में एक हथिनी की हत्या पर गंभीर है. हम इस घटना की उचित जांच करने और दोषियों को पकड़ने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे. पटाखे खिलाना और हत्या करना भारतीय संस्कृति में शामिल नहीं हैं.’

केंद्र सरकार ने इस मामले पर गंभीर रुख अपनाते हुए राज्य से रिपोर्ट मांगी है. जावड़ेकर ने घटना पर गंभीर रुख अपनाते हुए कहा कि केंद्र ने इस पर पूरी रिपोर्ट मांगी है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

गर्भवती हथिनी की मौत के मामले में एक गिरफ्तार

वहीं केरल पुलिस ने हथिनी की मौत के मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, केरल के वन मंत्री के. राजू ने शुक्रवार को बताया कि विल्सन नाम के व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, जो घटनास्थल के पास स्थित अंबालापरा में खेती करता है.

घटना के अन्य संदिग्धों की को पकड़ने की कोशिश जारी है. वन विभाग ने एक ट्वीट में कहा है, ‘हथिनी के शिकार के लिए दर्ज मामले में कई संदिग्धों से पूछताछ की गई है. इस संबंध में गठित एसआईटी को अहम सुराग मिले हैं. वन विभाग दोषियों को अधिकतम सजा दिलवाने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेगा.’

इससे पहले मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने गुरुवार को कहा था कि जांच टीमों की नजर तीन संदिग्धों पर है.

मालूम हो कि बीते दिनों पलक्कड़ जिले के साइलेंट वैली जंगलों के बाहरी इलाके में एक गर्भवती हथिनी की मौत हो गई थी. ऐसा बताया गया था कि ये गर्भवती हथिनी खाने की तलाश में भटकते हुए 25 मई को जंगल के पास के गांव में आ गई थी और कथित तौर पर कुछ शरारती तत्वों ने उसे पटाखों से भरा अनानास खिला दिया था.

इसे खाते ही उसके मुंह में विस्फोट हुआ, जिस कारण उसका जबड़ा और दांत भी टूट गए. दर्द से तड़प रही हथिनी वेलियार नदी में जा खड़ी हुई थी. 27 मई को नदी में ही उसकी मौत हो गई थी.

हालांकि इसके बाद आई एक मीडिया रिपोर्ट में यह आशंका जताई गई थी कि ऐसा भी हो सकता है कि हथिनी ने वो पटाखे खा लिए हों, जिन्हें इस इलाके में अक्सर जानवरों को भगाने के लिए लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है.

एक वन्य अधिकारी ने बताया था कि ऐसा सामने आ चुका है कि जंगल के सीमांत इलाकों में लोग सुअर और अन्य जंगली जीवों को मारने के लिए पटाखों और देसी बमों का उपयोग करते हैं. ऐसा हो सकता है कि हथिनी ने गलती से उन्हें खा लिया हो.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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