यूपी: बांदा में बीमारी और क़र्ज़ से परेशान किसान ने फांसी लगाई, एक अन्य व्यक्ति ने भी जान दी

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट ज़िले में हुई एक अन्य घटना में गुजरात के सूरत शहर से लौटे में प्रवासी मज़दूर ने भी फांसी लगाकर जान दे दी है.

(फोटो साभार: indiarailinfo)

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट ज़िले में हुई एक अन्य घटना में गुजरात के सूरत शहर से लौटे में प्रवासी मज़दूर ने भी फांसी लगाकर जान दे दी है.

(फोटो साभार: indiarailinfo)
(फोटो साभार: indiarailinfo)

बांदा/चित्रकूट: उत्तर प्रदेश में बांदा जिले के अतर्रा थाना क्षेत्र के बरेंहड़ा गांव के पतारी पुरवा में बीमारी और कर्ज से परेशान एक बुजुर्ग किसान ने पेड़ से फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली है.

पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. अतर्रा थाना के प्रभारी निरीक्षक रवींद्र तिवारी ने बताया कि पतारी पुरवा में बृहस्पतिवार को 60 वर्षीय किसान कल्लू उर्फ रामेश्वर (60) ने पेड़ से फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली है. पोस्टमॉर्टम कराने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया है.

उन्होंने मृत किसान के बेटे शिवपूजन के हवाले से बताया कि वह ब्रेन टीबी के मरीज थे और लखनऊ में इलाज चल रहा था. साथ ही उन्होंने बैंक से 60 हजार रुपये का कर्ज ले रखा था.

शिवपूजन ने पुलिस को बताया कि बीमारी और कर्ज अदायगी के नोटिस से परेशान होकर उनके पिता ने आत्महत्या की है.

एक अन्य घटना में जिले के गिरवां थाना के प्रभारी निरीक्षक शशि कुमार पांडेय ने बताया कि सहेवा गांव में रामबाबू (27) ने कोई जहरीला पदार्थ पी लिया, जिससे उसकी मौत हो गयी है. पोस्टमॉर्टम कराने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया है.

प्रभारी निरीक्षक ने रामबाबू के पिता के हवाले से बताया कि 10 दिन पूर्व तीन बेटों के बीच घर और डेढ़ बीघे खेत का बंटवारा किया था, तब से वह अलग रह रहे थे. एसएचओ ने कहा कि परिजन आत्महत्या का कोई खास कारण नहीं बता पाए. आगे की जांच की जा रही है.

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले की सदर कोतवाली क्षेत्र के भुईहरी माफी गांव में बृहस्पतिवार को गृहकलह से परेशान एक प्रवासी मजदूर ने कथित तौर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.

कर्वी सदर कोतवाली पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि भुईहरी माफी गांव में तीन माह पूर्व सूरत से लौटे प्रवासी मजदूर शिवमूरत (30) ने गृहकलह से परेशान होकर बृहस्पतिवार को खेत में स्थित पेड़ से फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली है.

शिवमूरत की बीमार पत्नी आरती के हवाले से पुलिस ने बताया कि इलाज कराने को लेकर बुधवार की शाम उसके और पति के बीच विवाद हुआ था और पति पैसा न होने की बात कहकर शाम को ही घर से निकल गया था. बृहस्पतिवार सुबह शव पेड़ से लटका मिला.

दैनिक जागरण के मुताबिक 30 वर्षीय शिवमूरत मौर्य तीन भाइयों में सबसे बड़े थे. शिवमूरत सूरत में अपने भाई के साथ मजदूरी करते थे. उनकी पत्नी आरती डेढ़ साल की बच्ची के साथ गांव में रहती थीं. लॉकडाउन में काम बंद होने पर वह सूरत से गांव आ गए थे. गांव आने के बाद वह मनरेगा में काम करने लगे थे.

उनके पिता चुनकानन मौर्य ने बताया कि शिवमूरत की पत्नी गर्भवती है. एक सप्ताह पहले पेट में दर्द होने पर वह पत्नी की दवा कराने कर्वी ले गया था और करीब दो हजार रुपये की दवा लाया था. दवा नहीं खाने को लेकर बुधवार को पत्नी से विवाद हुआ था.

उन्होंने बताया कि उसके बाद वह अपनी बहन शिवकुमारी को बबेरु बांदा छोड़ने गया था. वापस आने के बाद उसने देर शाम घर से 500 मीटर दूर खेत पर बबूल के पेड़ में रस्सी के फंदे में लटकर खुदकुशी कर ली. देर रात तक नहीं लौटने पर खोजबीन करने पर शव पेड़ से लटका मिला.

पुलिस ने बताया कि पोस्टमॉर्टम कराने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया है. घटना की जांच शुरू कर दी गई है.

बता दें कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से लगातार कोरोना वायरस और लॉकडाउन से बनी परिस्थितियों में आत्महत्या की खबरें आ रही हैं. बांदा जिले में लॉकडाउन के दौरान 17 से 18 लोगों के आत्महत्या करने की खबरें आ चुकी हैं.

बांदा जिले की नगर कोतवाली क्षेत्र के पडुई गांव में बीते 23 जून को 23 वर्षीय सरोज ने अपने घर के शौचालय में फांसी लगाकर जान दे दी थी.

बीते 21 जून को ललितपुर और बांदा जिलों में एक किसान और  एक सफाईकर्मी ने आत्महत्या की थी. ललितपुर जिले में ग़रीबी और क़र्ज़ से कथित तौर पर परेशान 40 वर्षीय किसान ने ज़हर खा लिया था. वहीं, बांदा जिले के नरैनी पंचायत में कार्यरत सफाईकर्मी ने कथित तौर पर घरेलू कलह से परेशान होकर आत्महत्या की थी.

बीते 20 जून को बांदा जिले के मटौंध इलाके के बोधी पुरवा गांव में बालू खदान में मजदूरी करने वाले युवक ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.

बीते 19 जून को बांदा जिले के चिल्ला थाना क्षेत्र के चकला गांव में 45 वर्षीय किसान मुन्ना निषाद ने खेत में जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी, जबकि जिले के महेड़ गांव में एक अन्य घटना में एक 17 वर्षीय लड़की ने घर में जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी.

बीते 18 जून को बांदा जिले के अतर्रा और बिसंडा थाना क्षेत्र में दो मजदूरों ने आत्महत्या की थी. एक मज़दूर दो महीने से काम न मिलने के कारण कथित तौर पर परेशान थे, जबकि एक अन्य मज़दूर गुजरात के वापी शहर से लौटे थे.

बीते 17 जून को बांदा जिले के बिसंडा थाना क्षेत्र के जरोहरा गांव में महाराष्ट्र के पुणे शहर से लौटे एक मजदूर ने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. मृतक की पहचान 25 वर्षीय अखिलेश सिंह के रूप में हुई.

इसी तरह जिले के अतर्रा थाना क्षेत्र के उरइहा पुरवा गांव में कथित रूप से आर्थिक तंगी से परेशान होकर 16 जून को एक मजदूर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. युवक की पहचान 20 वर्षीय रामकेश (20) के रूप में हुई थी. वह पंजाब में मजदूरी करते थे.

बीते 11 जून को बांदा जिले के गिरवां थाना क्षेत्र के महुआ गांव में मजदूर सुखराज प्रजापति (35) ने कथित तौर पर आर्थिक तंगी से परेशान होकर गुरुवार रात आत्महत्या कर ली. वह ईंट-भट्ठे पर काम करते थे और लॉकडाउन के कारण काम बंद होने पर अपने गांव वापस लौटे आए थे.

बीते आठ जून को बांदा जिले में एक युवक ने फांसी लगाकर जान दे दी थी. लॉकडाउन के कारण वह हाल ही में गुजरात के अहमदाबाद शहर से लौटे थे. घटना मरका थाना क्षेत्र के मऊ गांव में हुई और मृतक की पहचान 19 वर्षीय उदय गुप्ता के रूप में हुई थी.

बीते तीन जून को बांदा ज़िले की नरैनी कोतवाली क्षेत्र के मोतियारी गांव में कथित तौर पर आर्थिक तंगी से परेशान एक महिला ने अपने तीन बच्चों के साथ जहर खाकर खुदकुशी की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें बचा लिया गया था. महिला के पति ने एक महीने पहले ही जान दे दी थी.

इसी तरह बीती 28 मई को उत्तर प्रदेश में ही बांदा ज़िले के तिंदवारी थाना क्षेत्र में एक क्वारंटीन सेंटर में रह रहे प्रवासी मजदूर ने वहां से भागकर कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी.

उनकी पहचान 35 वर्षीय जगदीश निषाद के रूप में हुई थी. वह सूरत में मजदूरी का काम करते थे. पुलिस ने बताया था कि पति-पत्नी के बीच हुए विवाद के चलते आत्महत्या करने की वजह पता चली है.

बीती 27 मई को बांदा ज़िले में कथित रूप से आर्थिक तंगी से परेशान दो प्रवासी मजदूरों ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. लॉकडाउन के चलते लोहरा गांव के 22 वर्षीय सुरेश कुछ दिन पहले दिल्ली से घर लौटे थे. वहीं पैलानी थाना क्षेत्र के 20 साल के मनोज दस दिन पहले मुंबई से लौटे थे.

इससे पहले 25 मई को इसी ज़िले के बिसंडा थाना क्षेत्र के ओरन कस्बे में एक मजदूर ने बेरोजगारी से परेशान होकर कथित रूप से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. इससे पहले 22 मई को कमासिन थाना क्षेत्र के मुसीवां गांव के सुनील (19) ने होम-क्वारंटीन में फांसी लगा ली थी. वह कुछ रोज पहले ही मुंबई से लौटे थे.

इसी तरह 14 मई को तिंदवारी थाना क्षेत्र के लोहारी गांव के 25 वर्षीय सूरज ने अपने घर में फांसी लगा ली थी. वह आगरा की एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे, जो लॉकडाउन के कारण बंद हो गई थी.

इसी तरह बीते 11 जून को उत्तर प्रदेश बलिया जिले में उत्तराखंड से लौटे एक प्रवासी मजदूर ने आत्महत्या कर ली थी. मृतक की पहचान जिले के बैरिया थाना क्षेत्र के मठ योगेंद्र गिरि गांव के अंजनी कुमार सिंह के रूप में हुई थी. पुलिस ने आशंका जताई थी कि आर्थिक तंगी के कारण घरेलू कलह से परेशान होकर उन्होंने आत्महत्या की थी.

बीते पांच जून को मुज़फ्फरनगर जिले में लॉकडाउन की वजह से आर्थिक तंगी से परेशान एक गन्ना किसान ने आत्महत्या की थी. उनकी पहचान 50 वर्षीय ओमपाल सिंह के रूप में हुई थी.

बीती 29 मई को राज्य के लखीमपुर खीरी ज़िले में लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हुए एक 50 वर्षीय शख्स भानु प्रकाश गुप्ता ने ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली. मृतक की जेब से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ था, जिसमें उन्होंने अपनी गरीबी और बेरोजगारी का जिक्र किया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)