पशुओं की ख़रीद-बिक्री संबंधी केंद्र की अधिसूचना पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मवेशियों की खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध लगाने संबंधी केंद्र की अधिसूचना पर मद्रास हाईकोर्ट की अंतरिम रोक बरकरार रहेगी और यह पूरे देश पर लागू होगी.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मवेशियों की खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध लगाने संबंधी केंद्र की अधिसूचना पर मद्रास हाईकोर्ट की अंतरिम रोक बरकरार रहेगी और यह पूरे देश पर लागू होगी.

Cattle Market 1 PTI
(फोटो: पीटीआई)

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस अधिसूचना पर रोक लगा दी है जिसके तहत केंद्र सरकार ने पशुओं को वध के लिए खरीदने या बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया था. इस अधिसूचना पर इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने रोक लगाई थी, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगा दी है. फिलहाल इस अधिसूचना के नियम लागू नहीं होंगे.

कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि वध के लिए मवेशियों की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगाने संबंधी केंद्र की अधिसूचना पर मद्रास हाईकोर्ट की अंतरिम रोक बरकरार रहेगी और यह पूरे देश पर लागू होगी.

एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने वध के लिए पशुओं की ख़रीद-बिक्री पर पाबंदी संंबंधी केंद्र की 23 मई अधिसूचना पर चार हफ्तों के लिए रोक लगा दी थी.

प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने केंद्र सरकार के इस वक्तव्य का संज्ञान लिया कि इस मामले में विभिन्न पक्षों की तमाम आपत्तियों और सुझावों के मद्देनजर अधिसूचना पर पुनर्विचार किया जा रहा है और वह अब एक संशोधित अधिसूचना लाएगी.

कोर्ट ने कहा कि मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ द्वारा दिए गए अंतरिम निर्देश प्रभावी रहेंगे और पूरे देश में इन्हें लागू किया जा रहा है.

इससे पहले, केंद्र की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल पीएस नरसिम्हा ने कहा कि हाल में जारी अधिसूचना वैसे भी उस समय तक प्रभावी नहीं होगी जब तक इसके अंतर्गत राज्य सरकारें मवेशियों की खरीद फरोख्त के लिए स्थानीय बाजार को चिन्हित नहीं करती हैं.

उन्होंने कहा, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और दूसरे संबंधित प्राधिकरण अधिसचूना को लेकर दिए गए तमाम सुझावों और आपत्तियों पर गौर कर रहे हैं और एक संशोधित अधिसूचना जारी की जाएगी. केंद्र सरकार मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध नहीं कर रही है और वह न्यायालय को मौजूदा स्थिति से अवगत करा रही है.

कोर्ट में केंद्र की ओर से कहा गया कि अधिसूचना के नियमों को लेकर राज्यों से कई आपत्तियां और सुझाव आए हैं, जिन पर विचार किया जा रहा है. सरकार अभी इन नियमों को लागू नहीं कर रही है, इसमें बदलाव करके इसे दोबारा जारी करेगी. इसमें तीन महीने का वक्त लगेगा.

शीर्ष अदालत ने सरकार से कहा कि प्रभावित पक्षों को पर्याप्त समय दिया जाए ताकि वे यदि कोई समस्या हो तो फिर से न्यायालय जा सकें.

केंद्र सरकार ने 23 मई को एक अधिसूचना जारी करके मवेशी बाजार से पशुओं के वध के लिए उनकी खरीद फरोख्त पर प्रतिबंध लगाने संबंधी अधिसूचना जारी की थी. सरकार के इस कदम से मांस और चमड़े के कारोबार और निर्यात पर असर पड़ने की संभावना थी.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि वध के लिए गाय सहित अन्य मवेशियों के संबंध में केंद्र की अधिसूचना पर मद्रास उच्च न्यायालय की रोक जारी रहेगी और यह पूरे देश में वैध होगी.

कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार जब तक इस अधिसूचना के प्रावधानों में बदलाव करके इसे रिनोटिफाई नहीं करती, इस पर प्रतिबंध बना रहेगा.

केंद्र की अधिसूचना के बाद इसे चुनौती देने के लिए मद्रास हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दाख़िल की गई थीं. इन पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने वध के लिए पशुओं की खरीद-बिक्री पर रोक संबंधी नए नियमों के आदेश के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी थी.

केंद्र सरकार की इस अधिसूचना का केरल, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी सरकारों ने विरोध किया था. साथ ही कई ग़ैर भाजपाई दलों ने भी केंद्र के इस फैसले का विरोध किया था. केरल विधानसभा में इस नियम के खिलाफ एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया था. इस दौरान विधायकों ने गोमांस का सेवन कर विरोध जताया था. मेघालय सरकार ने केंद्र की अधिसूचना के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित किया था.

हाईकोर्ट की रोक के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में आया था. कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार जो नये नियम बनाएगी, उसे कोई भी व्यक्ति कोर्ट में चुनौती दे सकता है.

इसके पहले सुप्रीम कोर्ट में पशु बाजार में वध के लिए मवेशियों की खरीद बिक्री पर रोक लगाने वाली अधिसूचना को चुनौती दी गई थी, जिस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था.

हैदराबाद के वकील फहीम कुरैशी ने केंद्र की अधिसूचना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट याचिका दायर की थी. इस याचिका में उन्होंने दलील दी थी कि यह अधिसूचना ‘भेदभाव पूर्ण और असंवैधानिक’ है क्योंकि यह पशु व्यापारियों के अधिकारों का हनन करती है. कुरैशी ने पशु क्रूरता रोकथाम (जब्त पशुओं की देखभाल तथा इलाज) कानून, 2017 और पशु क्रूरता रोकथाम (मवेशी बाजार विनियमन) कानून, 2017 को को चुनौती देते हुए इसे मनमाना, अवैध तथा असंवैधानिक बताया है.

इस अधिसूचना में क्या था

इस अधिसूचना में कहा गया था कि पशु बाज़ार समिति के सदस्य सचिव को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी शख़्स बाज़ार में अवयस्क पशु को बिक्री के लिए न लेकर आए.

किसी भी शख़्स को पशु बाज़ार में मवेशी को लाने की इजाज़त नहीं होगी जब तक कि वहां पहुंचने पर वह पशु के मालिक द्वारा हस्ताक्षरित लिखित घोषणा-पत्र न दे दे जिसमें मवेशी के मालिक का नाम और पता हो और फोटो पहचान-पत्र की एक प्रति भी लगी हो. साथ ही मवेशी की पहचान का पूरा ब्योरा देने के साथ यह भी स्पष्ट करना होगा कि मवेशी को बाज़ार में बिक्री के लिए लाने का उद्देश्य उसका वध नहीं है.

इस अधिसूचना के मुताबिक किसी भी शख़्स को पशु बाज़ार में मवेशी को लाने की इजाज़त नहीं होगी जब तक कि वहां पहुंचने पर वह पशु के मालिक द्वारा हस्ताक्षरित लिखित घोषणा-पत्र न दे दे जिसमें मवेशी के मालिक का नाम और पता हो और फोटो पहचान-पत्र की एक प्रति भी लगी हो. पशु बाज़ार समिति के सदस्य सचिव को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी शख़्स बाज़ार में अवयस्क पशु को बिक्री के लिए न लेकर आए.

सरकार ने मवेशियों से जुड़ीं क्रूर परंपराओं पर भी प्रतिबंध लगाया है, जिसमें उनके सींग रंगना तथा उन पर आभूषण या सजावट के सामान लगाना शामिल है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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