बांदा: लॉकडाउन में मुंबई से लौटे मज़दूर ने कथित तौर पर काम न मिलने से की आत्महत्या

उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले के इंगुआ गांव का मामला. मृतक के भाई ने बताया कि मुंबई से लौटने के बाद गांव में उन्हें कोई काम नहीं मिल रहा था, जिस वजह से वह आर्थिक रूप से परेशान थे.

(फोटो साभार: indiarailinfo)

उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले के इंगुआ गांव का मामला. मृतक के भाई ने बताया कि मुंबई से लौटने के बाद गांव में उन्हें कोई काम नहीं मिल रहा था, जिस वजह से वह आर्थिक रूप से परेशान थे.

(फोटो साभार: indiarailinfo)
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बांदा: उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के इंगुआ गांव में बेरोजगारी से परेशान एक मजदूर ने कथित तौर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.

मरका थाना पुलिस ने शुक्रवार को कहा, ‘इंगुआ गांव में जंगल में एक युवक का शव बृहस्पतिवार को पेड़ से लटका मिला. उसकी पहचान मनोज (22) के तौर पर हुई है.’

उन्होंने कहा, ‘लॉकडाउन घोषित होने के बाद वह मई में मुंबई से लौटे थे और बुधवार दोपहर से लापता थे.’

पुलिस ने मृत मजदूर के भाई रामसेवक के हवाले से बताया कि यहां गांव में उन्हें कोई काम नहीं मिल रहा था, जिस वजह से वह आर्थिक रूप से परेशान थे.

उन्होंने कहा, ‘पोस्टमार्टम के बाद शव परिवार को सौंप दिया गया. आत्महत्या के कारणों की जांच की जा रही है.’

अमर उजाला के मुताबिक मृतक चार भाइयों में सबसे छोटे और अविवाहित थे. उन्हें मनरेगा योजना के तहत मजदूरी नहीं मिल रही थी, इसलिए आर्थिक तंगी से परेशान थे.

 

बता दें कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से लगातार कोरोना वायरस और लॉकडाउन से बनी परिस्थितियों में आत्महत्या की खबरें आ रही हैं. बांदा जिले में लॉकडाउन के दौरान 21 से 22 लोगों के आत्महत्या करने की खबरें आ चुकी हैं.

बीते दो जुलाई को मुजफ्फरनगर जिले में 48 वर्षीय ढाबा मालिक ने मंसूरपुर रेलवे स्टेशन के समीप एक ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली थी. उनके परिवार ने बताया था कि वह कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए लॉकडाउन के दौरान अपना ढाबा बंद होने के कारण कथित तौर पर परेशान थे.

उधर, जिले के कुटेसरा गांव में एक नवविवाहिता ने शादी के दो दिन बाद कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी.

बीते 25 जून को बांदा और चित्रकूट जिलों अलग-अलग घटनाओं में तीन लोगों ने आत्महत्या कर ली थी.

बीते 23 जून को बांदा जिले की नगर कोतवाली क्षेत्र के पडुई गांव में एक युवती ने अपने घर के शौचालय में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.

23 वर्षीय युवती सरोज ने स्नातक की पढ़ाई की हुई थी. उनकी मां यशोदा और भाई विक्रम गुजरात में मजदूरी करने गए हैं और वहां से नहीं आ पाए हैं. बबेरू में उसके रिश्ते की बात चल रही थी, लेकिन मां और भाई की वापसी न हो पाने पर रिश्ते को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका था.

बीते 19 जून को बांदा जिले के चिल्ला ही महेड़ गांव में एक 17 वर्षीय लड़की ने घर में जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी. बीते पांच जून को मुज़फ्फरनगर जिले में लॉकडाउन की वजह से आर्थिक तंगी से परेशान एक गन्ना किसान ने आत्महत्या की थी. उनकी पहचान 50 वर्षीय ओमपाल सिंह के रूप में हुई थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)