मोदी सरकार की विवादित पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना वापस लेने की मांग कर रही वेबसाइट को ब्लॉक करने का आदेश देते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा था कि उनकी गतिविधियां देश की अखंडता के लिए ठीक नहीं हैं. अब पुलिस का कहना है कि यूएपीए वाला नोटिस ‘ग़लती’ से चला गया था.
नई दिल्ली: मोदी सरकार की विवादित पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना-2020 के मसौदे के खिलाफ अभियान चला रही एक वेबसाइट को दिल्ली पुलिस के निर्देश पर 10 जुलाई 2020 को अचानक ब्लॉक कर दिया गया था.
अब इससे जुड़ा एक नया तथ्य सामने आया है कि इस वेबसाइट को ब्लॉक करने के संबंध में दिल्ली पुलिस के साइबर सेल द्वारा जारी नोटिस में कहा गया था इस वेबसाइट की गतिविधियां देश की अखंडता और शांति के लिए ठीक नहीं है. इसके कारण कठोर यूएपीए कानून के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है.
2)July 23rd, India:@FFFIndia’s website, https://t.co/xLBS8nzx81
was taken down on July 10th,2020 without any notice during the peak of their awareness campaign intended to draw attention to the draft EIA Notification 2020 and make it easier for people to raise their concerns— Fridays For Future India (@FFFIndia) July 23, 2020
पर्यावरण कार्यकर्ताओं और वॉलंटियरों के समूह FridaysforFuture.in या एफएफएफ इंडिया ने 23 मार्च को जारी किए गए विवादित पर्यावरण कानून के खिलाफ चार जून 2020 को एक ऑनलान कैंपेन शुरू किया था.
इसके जरिये उन्होंने लोगों से इन नये कानून पर राय मांगी और इसकी खामियों के बारे में लोगों को अवगत करना शुरू किया.
इस समूह ने अपने वेबसाइट पर पर्यावरण मंत्रालय और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की ई-मेल आईडी डाली, जो पहले से ही सार्वजनिक है और लोगों से कहा कि वे अपनी राय इन पर भेजकर अपना विरोध या सुझाव दर्ज कराएं.
इस कैंपेन के बाद जावड़ेकर को ये विवादित कानून वापस लेने के लिए ढेर सारे ईमेल आए, जिसके बाद उन्होंने दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज की और कहा कि उन्हें ‘ईआईए 2020’ के नाम से बहुत ई-मेल प्राप्त हुए हैं और वे संबंधित आरोपी के खिलाफ कार्रवाई चाहते हैं.
इसके बाद दिल्ली पुलिस ने आठ जुलाई को एफएफएफ इंडिया वेबसाइट को होस्ट करने वाले डोमेन प्रोवाइडर को नोटिस भेजा और उन्हें निर्देश दिया कि वे तत्काल इसे ब्लॉक करें.
इतना ही नहीं, साइबर सेल ने ये भी कहा कि इस वेबसाइट की गतिविधियां और कार्यप्रणाली देश की अखंडता के लिए सही नहीं है, जिसके कारण इस पर यूएपीए के तहत केस दर्ज हो सकता है.
Web censorship in India 🇮🇳. @FFFIndia was objecting the draft #EIA2020 as invited by the Indian government.
The blocking of their website https://t.co/NVGRXZrJEk is an attempt to suppress democracy. We stand with them!#FridaysForFuture @ClimateCrisishttps://t.co/K31q4EqS0x pic.twitter.com/wrmM8XRT71
— Parents For Future #UnsereGenerationUnserJob (@parents4future) July 23, 2020
उन्होंने कहा, ‘उपरोक्त वेबसाइट में आपत्तिजनक सामग्री और गैरकानूनी गतिविधियों या आतंकवादी गतिविधियों को दर्शाया गया है, जो भारत की शांति और संप्रभुता के लिए खतरनाक हैं. ऐसी आपत्तिजनक सामग्री का प्रकाशन और प्रसारण गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की धारा 18 के तहत संज्ञेय और दंडनीय अपराध है.’
गौरतलब है कि आए दिन केंद्र सरकार पर ये आरोप लगते रहे हैं कि वे विरोध की आवाज दबाने के लिए यूएपीए कानून का गलत इस्तेमाल कर रही है और इसकी मदद से सत्ता के खिलाफ उठ रही आवाजों को डराया-धमकाया जा रहा है.
पुलिस ने डोमेन प्रोवाइडर से कहा कि आपकी सुविधाओं का इस्तेमाल आपत्तिजनक चीजों को फैलाने में हो रहा है, इसलिए इसे ब्लॉक किया जाए और इसके संबंध में अनुपाल रिपोर्ट भेजी जाए.
उन्होंने ने कहा कि इस तरह के अपराधों की सजा पांच साल से लेकर उम्रकैद तक है.
इसके बाद एफएफएफ इंडिया ने 22 जुलाई को दिल्ली के साइबर क्राइम यूनिट को एक जवाबी पत्र लिखा।
इसमें कहा गया कि वेबसाइट ने खुद कोई ईमेल नहीं भेजा है, बल्कि अन्य लोगों को अपने सुझाव और आपत्तियां भेजने में मदद की है. यदि आप एक सामान्य जांच करते हैं तो पता चलेगा कि कोई भी ईमेल हमारी वेबसाइट से नहीं भेजा गया था. नागरिकों ने अपने-अपने आईडी से ईमेल भेजा है.
उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने भी अपने कई आदेशों में माना है कि इस अधिसूचना पर गहन विचार-विमर्श की जरूरत है और इसकी सभी भाषाओं में पब्लिसिटी की जानी चाहिए. कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी आठ जुलाई और 16 जुलाई के आदेशों में यही बात कही है.
हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार ने कहा है कि इस अधिसूचना का खूब प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए ताकि लोग 11 अगस्त 2020 से पहले तक अपने सुझाव भेज पाएं.
पर्यावरणीय वेबसाइट ने कहा, ‘वेबसाइट का ब्लॉक होना चौंकाने वाला और भयावह है. यह परेशान और निराशाजनक है कि सरकार डिजिटल रूप से आंदोलन को रोक रही है और भारत के युवाओं पर पूरी तरह से बेतुकी बातें करने का आरोप लगा रही है. यह शासन में जवाबदेही की कमी का संकेत है कि दुनिया का सबसे बड़ा प्रतिनिधि लोकतंत्र नागरिक नागरिकों के सुझाव को आपत्तिजनक गतिविधि के रूप में देखता है.‘
7) Fridays for Future India stated,” We are youth in India, inspired by the global Fridays for Future movement, who came together in 2019, after connecting digitally, to do good for the environment, our community and our country.
— Fridays For Future India (@FFFIndia) July 23, 2020
हालांकि दिल्ली पुलिस ने इस पर सफाई देते हुए कहा है कि यूएपीए के आरोप वाला नोटिस ‘गलती’ से चला गया था.
फर्स्टपोस्ट के मुताबिक, दिल्ली पुलिस के साइबर सेल के डीसीपी एन्येश रॉय ने कहा, ‘यूएपीए का कोई आरोप नहीं है. नोटिस एक ऐसी धारा के तहत जारी किया गया था जो मामले के लिए उपयुक्त नहीं था. इसे तुरंत वापस ले लिया गया और हमने आईटी अधिनियम की धारा 66 के तहत नोटिस भेजा था. जिस पल यह मुद्दा सुलझ गया, नोटिस भी वापस ले लिया गया. वर्तमान में, यदि वेबसाइट नहीं चल रही है, तो यह हमारी वजह से नहीं है.’
लेकिन एफएफएफ इंडिया ने कहा है कि उन्होंने ऐसा कोई स्पष्टीकरण दिल्ली पुलिस से प्राप्त नहीं किया है. उन्होंने कहा कि यदि ऐसा होता तो उन्हें 22 जुलाई को नोटिस का जवाब न भेजना पड़ता.
एफएफएफ इंडिया के अलावा दो अन्य प्लेटफॉर्म ThereisnoEarthB.com और LetIndiaBreathe को भी इस तरह का अभियान चलाने के लिए ब्लॉक कर दिया गया था.
मालूम हो कि देश के विभिन्न स्तरों पर मोदी सरकार के इस विवादित पर्यावरण कानून का विरोध हो रहा है. दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर इस अधिसूचना पर जनता से सुझाव प्राप्त करने की समयसीमा बढ़ाकर 11 अगस्त 2020 की गई है.
इससे पहले केंद्र के पर्यावरण मंत्रालय ने ईआईए नोटिफिकेशन, 2020 पर जनता से आपत्तियां या सुझाव प्राप्त करने की आखिरी तारीख 30 जून 2020 निर्धारित की थी.
इस विवादास्पद अधिसूचना में कुछ उद्योगों को सार्वजनिक सुनवाई से छूट देना, उद्योगों को सालाना दो अनुपालन रिपोर्ट के बजाय एक पेश करने की अनुमति देना और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में लंबे समय के लिए खनन परियोजनाओं को मंजूरी देने जैसे प्रावधान शामिल हैं.
जैसा कि द वायर ने पहले ही रिपोर्ट कर बताया था कि लोगों द्वारा भेजे गए सुझावों के आधार पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों ने प्रस्ताव रखा था कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए अधिसूचना पर सुझाव और आपत्तियां भेजने की आखिरी तारीख को 60 दिन बढ़ाकर 10 अगस्त 2020 किया जाना चाहिए.
हालांकि पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एकतरफा फैसला लेते हुए इस मांग को खारिज कर दिया था और बिना कोई कारण बताए अधिसूचना पर राय देने की समयसीमा 30 जून 2020 तय की.
द वायर ने अपनी एक अन्य रिपोर्ट में बताया था कि बहुत बड़ी संख्या में लोग इसका विरोध कर रहे हैं और ईआईए अधिसूचना भारत के राजपत्र में प्रकाशित होने के सिर्फ 10 दिन के भीतर सरकार को 1,190 पत्र सिर्फ ईमेल के जरिये प्राप्त हुए, जिसमें से 1,144 पत्रों में इसका विरोध किया गया और पर्यावरण मंत्रालय से इसे वापस लेने की मांग की गई है.
कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों का कहना है कि ईआईए अधिसूचना, 2006 में बदलाव करने के लिए लाया गया 2020 का ये नई अधिसूचना पर्यावरण विरोधी और हमें समय में पीछे ले जाने वाला है.