बीते शुक्रवार को दिल्ली में यमुना नदी में ज़हरीले झाग वाला पानी देखा गया. एनजीटी द्वारा यमुना निगरानी समिति ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति और उद्योग आयुक्त से इसके स्रोत का पता लगाने और जिम्मेदार लोगों के ख़िलाफ़ त्वरित कार्रवाई करने को कहा है.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा नियुक्त यमुना निगरानी समिति (वाईएससी) ने नदी में अचानक से झाग नजर आने को लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) एवं उद्योग आयुक्त से रिपोर्ट मांगी है.
एनजीटी के सेवानिवृत्त विशेषज्ञ बीएस साजवान और दिल्ली की पूर्व मुख्य सचिव शैलजा चंद्रा की दो सदस्य समिति ने सीपीसीबी, डीपीसीसी के अध्यक्ष रंजीव खीरवार और उद्योग आयुक्त विकास आनंद को नदी के जल में झाग के स्रोत का पता लगाने के लिए त्वारित कार्रवाई करने कहा है.
साथ ही इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई करने को कहा है. समिति ने प्रदूषण रोधी संस्थाओं से मामले में उसे जानकारी देते रहने को भी कहा.
दैनिक जागरण के मुताबिक शुक्रवार को यमुना नदी में जहरीला झाग देखा गया. विशेषज्ञों के मुताबिक यमुना नदी में इस गंदगी भरे झाग की वजह से बीमारी फैलने का खतरा बढ़ सकता है. खासकर जो लोग यमुना के पानी का इस्तेमाल नहाने के लिए करते हैं, उन्हें इससे खतरा है.
#WATCH Delhi: Toxic foam seen in river Yamuna at Okhla Barrage. pic.twitter.com/JinH1WCtti
— ANI (@ANI) July 24, 2020
इससे पहले नवंबर, 2019 में दिल्ली में यमुना इतनी प्रदूषित हो गई थी कि वो गंदगी के नाले की तरह दिखाई पड़ती थी. नवंबर में यमुना में गंदा झाग वाला पानी बह रहा था.
हालांकि लॉकडाउन के दौरान यमुना बिल्कुल साफ हो गई थी. इस दौरान दिल्ली के 28 औद्योगिक क्षेत्रों से प्रतिदिन निकलने वाला 213 मिलियन गैलन गंदा पानी पूर्णतया बंद था.
साथ ही उस समय यमुना में पूजा सामग्री डालने, नहाने, कपड़े धोने और सॉलिड वेस्ट डालने की प्रक्रिया भी बंद थी.
शुक्रवार को दिल्ली जल बोर्ड ने यमुना में प्रदूषकों के उच्च स्तर के कारण वजीराबाद, चंद्रावल और ओखला जल शोधन संयंत्रों में जल आपूर्ति को कम कर दिया था.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, जल बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि हरियाणा ने भारी वर्षा के बाद उच्च प्रदूषक वाले स्थिर पानी के नालों के द्वार खोल दिए गए हैं.
इसके अलावा वज़ीराबाद बैराज के ऊपर औद्योगिक इकाइयों के खुलने से नदी में प्रदूषक स्तर भी बढ़ सकता है.
पिछले साल नवंबर में यमुना निगरानी समिति ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति और उद्योग आयुक्त को ऐसे पर्यावरणीय खतरे पैदा करने वाले उद्योगों को बंद करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने के लिए कहा था.
बता दें कि हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया है कि यमुना में अशोधित जल-मल गिराने के एवज में वह राष्ट्रीय राजधानी के सभी मकानों पर सीवेज शुल्क लगाए.
अधिकरण ने कहा था कि दिल्ली की अवैध कालोनियों में रहने वाले 2.3 लाख लोगों ने सीवेज का कनेक्शन नहीं लिया है जिसके कारण नदी में प्रदूषक तत्व जा रहे हैं.
साथ ही एनजीटी ने कहा था कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि प्रदूषणकारी उद्योगों को रोका जाए और नए उद्योगों को सुरक्षा उपायों के बिना अनुमति न दी जाए.
इससे पहले एनजीटी द्वारा गठित एक समिति ने कहा था कि यमुना की सफाई की निगरानी में सबसे बड़ी चुनौती ‘आधिकारिक उदासीनता’ है, क्योंकि वैधानिक प्रावधानों और काफी उपदेशों के बावजूद जल प्रदूषण प्राथमिकता नहीं है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)